मूवी रिव्‍यू: असरदार है माधवन की ये ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’

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मूवी रिव्‍यू: असरदार है माधवन की ये ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’


मूवी रिव्‍यू: असरदार है माधवन की ये ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’

फिल्म यानी एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरनेमेंट। फिल्मों के बारे में अक्सर यही कहा जाता है, पर इसी बीच एक ऐसी फिल्म आती है, जो आपको झकझोर जाती है। जिसका असर कुछ देर तक आप पर तारी रहता है और ऐसा ही प्रभाव छोड़ती है, आर माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’। फिल्म पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित रॉकेट वैज्ञानिक नंबी नारायणन की जिंदगी पर आधारित है। देश का एक ऐसा महान वैज्ञानिक, जिसने रॉकेट साइंस की दुनिया में भारत का कद ऊंचा करने के लिए दिलोंजान लगा दिया। सारी बाधाओं के बावजूद वह रॉकेट इंजन ईजाद किया, जिसके चलते भारत अपने सैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए दूसरे देशों का मोहताज नहीं रहा। अपने पैरों पर खड़ा हो सका, पर इसके इस बदले में उसे मिला, देशद्रोही होने का दाग, पुलिस की अमानवीय यातना, लोगों का तिरस्कार। उनकी ये कहानी पर्दे पर सजीव होकर रोंगटे खड़े कर देती है।

‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ का रिव्‍यू
हालांकि, ऐसा नहीं है कि फिल्म में कमियां नहीं हैं। इसमें मुख्य भूमिका निभाने के साथ-साथ लेखन, डायरेक्शन, प्रॉडक्शन की विविध भूमिकाएं निभा रहे R. Madhavan ने नंबी नारायणन की कहानी को Rocketry: The Nambi Effect में दो भागों में बांटा है। पहला भाग उनकी उपलब्धियों और देश के स्पेस विज्ञान में उनके योगदान को दिखाता है। इसमें प्रिस्टन कॉलेज में स्कॉलरशिप, नासा का मोटी सैलरी की जॉब ठुकराकर इसरो का दामन थामे रखना, स्कॉटलैंड से 400 पाउंड के स्पेस उपकरण फ्री में ले आना, फ्रांस से तकनीक सीखकर उनसे बेहतर रॉकेट इंजन बनाना, अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस से क्रायोजेनिक इंजन के पार्ट लाना आदि शामिल है। लेकिन वैज्ञानिक शब्दावली और तकनीक की भरमार के चलते ये हिस्सा थोड़ा जटिल हो गया है। यूं लगता है कि आप साइंस क्लास या लैब में पहुंच गए हैं। उस पर नंबी नारायणन (माधवन) की इन विदेश यात्राओं के दौरान ज्यादातर डायलॉग अंग्रेजी में है, इसके चलते भी आम दर्शकों के लिए कुछ चीजें समझना मुश्किल हो सकता है। वैसे, इस दौरान माधवन कई डायलॉग मजेदार बनाने में कामयाब रहे हैं। इंजन टेस्टिंग वाला हिस्सा भी गर्व से भर देता है।

रॉकेट्री: द नंबी इफेक्‍ट का ट्रेलर

वहीं, फिल्म का दूसरा हिस्सा जबरदस्त है, जिसमें नंबी नारायणन को रॉकेट साइंस तकनीक बेचने के झूठे आरोप में गिरफ्तार किए जाने से लेकर इस अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई को दर्शाया गया है। जेल में उन्हें यातना देने से लेकर बारिश में पत्नी संग बीच सड़क रास्ते पर धकेल दिए जाने जैसे कई सीन तो इतने मार्मिक हैं कि आपकी आंखें नम हो जाएंगी। फिल्म का पूरा भार माधवन के कंधों पर है, जिसे उन्होंने पूरी मजबूती के साथ उठाया है। फिल्म में उनका अभिनय याद रखा जाएगा। वहीं, शाहरुख खान विशेष भूमिका में अपनी छाप छोड़ते हैं। इसके अलावा, नंबी की पत्नी के रूप में सिमरन, उन्नी के रूप में सैम मोहन, साराभाई के रूप में रजित कपूर, कलाम के रूप में गुलशन ग्रोवर आदि ने भी अच्छा सहयोग दिया है। सिरसा रे का कैमरा भारत सहित अमेरिका, रूस, स्कॉटलैंड, फ्रांस की खूबसूरती के साथ-साथ स्पेस इंजन की भव्यता दर्शाने में कामयाब रहा है। बैकग्राउंड म्यूजिक और गाने कहानी के अनुरूप हैं। इसलिए, कुल मिलाकर नंबी नारायणन जैसे महान वैज्ञानिक की उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी से परिचित कराती ये फिल्म देखी जानी चाहिए।

क्यों देखें: देश के महान रॉकेट वैज्ञानिक नंबी नारायणन की रोंगटे खड़ी करने वाली जिंदगी को जानने और आर माधवन की उम्दा अदाकारी के लिए।



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