Hapur Blast Case: बिना फैक्ट्री ऐक्ट में रजिस्ट्रेशन और फायर NOC के चल रहा था कारखाना, अन्य अवैध फैक्ट्रियों पर भी शिकंजा कसा h3>
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में धौलाना स्थित यूपीएसआईडीसी के औद्योगिक एरिया में जिस कारखाने में शनिवार को हादसा हुआ, वह अभी तक फैक्ट्री ऐक्ट के तहत रजिस्टर्ड ही नहीं करवाया गया था, जबकि नियम है कि यदि 20 मजदूर से अधिक लोग किसी कारखाने में काम करते हैं तो फैक्ट्री ऐक्ट के तहत उसका रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। इस फैक्ट्री में 20 से अधिक मजदूर काम करते थे। अभी तक की जांच में पता चला है कि फैक्ट्री के पास फायर एनओसी तक नहीं थी।
फिलहाल हापुड़ डीएम मेधा रूपम ने इस मामले की मैजिस्ट्रियल जांच शुरू करवा दी है। उनका कहना है कि इसमें जिस विभाग की गड़बड़ी मिलेगी उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पर बड़ा सवाल यह है कि हादसा होने के बाद ही सभी विभाग क्यों एक्टिव होते हैं। अगर पहले ही इस तरह की सख्ती अफसरों ने दिखाई होती तो यह हादसा नहीं होता।
बताया गया है कि जुलाई 2021 में यूपीएसआईडीसी की टीम ने उत्पादन शुरू होने से पहले इस फैक्ट्री का निरीक्षण किया था, लेकिन उस समय इस बात को नहीं चेक किया गया कि कारखाने का फैक्ट्री ऐक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन है या नहीं। यह भी नहीं देखा गया कि फायर एनओसी ली गई है या नहीं। यूपीएसआईडीसी के आरएम राकेश झा का कहना है कि उत्पादन शुरू करने के लिए जिन कागजात की जरूरत थी, उसे ऑनलाइन जमा करवाया गया था। जिसके आधार पर उत्पादन शुरू किए जाने की परमिशन दी गई थी। फैक्ट्री एक्ट में रजिस्ट्रेशन और फायर एनओसी देखने की जिम्मेदारी यूपीएसआईडीसी की नहीं है।
13 लोगों की मौत के लिए ये डिपार्टमेंट हैं जिम्मेदार
धौलाना में हुए इस हादसे में 13 लोगों की मौत के लिए कई डिपार्टमेंट जिम्मेदार हैं। यदि सभी ने ईमानदारी के साथ अपने दायित्व का निर्वहन किया होता तो शायद इतना बड़ा हादसा न होता। भूखंड का आवंटन, नक्शा पास करना और सीसी देने की जिम्मेदारी यूपीएसआईडीसी की है। जिला उद्योग केंद्र में क्या उत्पाद बनाएगा उसका रजिस्ट्रेशन होता है। कारखाना विभाग मजदूरों की सुरक्षा और कारखाने की हेजार्ड्स को चेक करता है। लेबर डिपार्टमेंट मजूदरों के हित पर नजर रखता है। फायर डिपार्टमेंट फायर एनओसी का काम देखता है तो विद्युत सुरक्षा की जिम्मेदारी बिजली विभाग की होती है। वहीं प्रदूषण के लिए यूपीपीसीबी जिम्मेदार होता है।
10 फैक्ट्री चेक, 2 को किया गया सील
डीएम हापुड़ की सख्ती के बाद रविवार को धौलाना इंडस्ट्रियल एरिया में 10 फैक्ट्रियों की चेकिंग की गई। इसमें से 2 को सील किया गया। एफ-5 में प्लास्टिक गलाने की परमिशन थी, लेकिन यहां लोहे की जाली बनाई जा रही थी। जबकि एफ-15 में पीवीसी पैनल बनाने की परमिशन थी, लेकिन वह एसिड यूज कर रहा था और इसका डिस्पोजल सही से नहीं हो रहा था।
फरेंसिक जांच शुरू
कारखाने में किस स्तर के पटाखे का निर्माण किया जा रहा था। इसकी फरेंसिक जांच शुरू हो चुकी है। इससे पता चलेगा कि विस्फोटक में किस स्तर के बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा था।
उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News
बताया गया है कि जुलाई 2021 में यूपीएसआईडीसी की टीम ने उत्पादन शुरू होने से पहले इस फैक्ट्री का निरीक्षण किया था, लेकिन उस समय इस बात को नहीं चेक किया गया कि कारखाने का फैक्ट्री ऐक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन है या नहीं। यह भी नहीं देखा गया कि फायर एनओसी ली गई है या नहीं। यूपीएसआईडीसी के आरएम राकेश झा का कहना है कि उत्पादन शुरू करने के लिए जिन कागजात की जरूरत थी, उसे ऑनलाइन जमा करवाया गया था। जिसके आधार पर उत्पादन शुरू किए जाने की परमिशन दी गई थी। फैक्ट्री एक्ट में रजिस्ट्रेशन और फायर एनओसी देखने की जिम्मेदारी यूपीएसआईडीसी की नहीं है।
13 लोगों की मौत के लिए ये डिपार्टमेंट हैं जिम्मेदार
धौलाना में हुए इस हादसे में 13 लोगों की मौत के लिए कई डिपार्टमेंट जिम्मेदार हैं। यदि सभी ने ईमानदारी के साथ अपने दायित्व का निर्वहन किया होता तो शायद इतना बड़ा हादसा न होता। भूखंड का आवंटन, नक्शा पास करना और सीसी देने की जिम्मेदारी यूपीएसआईडीसी की है। जिला उद्योग केंद्र में क्या उत्पाद बनाएगा उसका रजिस्ट्रेशन होता है। कारखाना विभाग मजदूरों की सुरक्षा और कारखाने की हेजार्ड्स को चेक करता है। लेबर डिपार्टमेंट मजूदरों के हित पर नजर रखता है। फायर डिपार्टमेंट फायर एनओसी का काम देखता है तो विद्युत सुरक्षा की जिम्मेदारी बिजली विभाग की होती है। वहीं प्रदूषण के लिए यूपीपीसीबी जिम्मेदार होता है।
10 फैक्ट्री चेक, 2 को किया गया सील
डीएम हापुड़ की सख्ती के बाद रविवार को धौलाना इंडस्ट्रियल एरिया में 10 फैक्ट्रियों की चेकिंग की गई। इसमें से 2 को सील किया गया। एफ-5 में प्लास्टिक गलाने की परमिशन थी, लेकिन यहां लोहे की जाली बनाई जा रही थी। जबकि एफ-15 में पीवीसी पैनल बनाने की परमिशन थी, लेकिन वह एसिड यूज कर रहा था और इसका डिस्पोजल सही से नहीं हो रहा था।
फरेंसिक जांच शुरू
कारखाने में किस स्तर के पटाखे का निर्माण किया जा रहा था। इसकी फरेंसिक जांच शुरू हो चुकी है। इससे पता चलेगा कि विस्फोटक में किस स्तर के बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा था।