महंगाई की मार के बीच अब यूपी हाउसिंग बोर्ड के प्लाट के महंगे, जानिए किस शहर में कि कितनी बढ़ी कीमतें | UP Housing Board plot prices increased | Patrika News h3>
नगरीय क्षेत्र में बढ़ती आवासीय समस्या के निदान के लिए तथा समाज के कमजोर वर्गों को कम पैसे में सस्ते आवास और प्लाट मुहैया कराने के एवं साथ ही व्यवसायिक, शैक्षिक व संस्थागत आवश्यकताओं की मांग के आधार पर पूर्ति के लिए उप्र आवास एवं विकास परिषद का गठन साल 1966 में किया गया था।
लखनऊ
Published: April 15, 2022 08:45:22 pm
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रही महंगाई बीच यूपी आवास विकास परिषद से प्लाट लेने वालों के लिए यह खबर कष्टदायक होगी। क्योंकि एक और जहां भवन निर्माण के काम में आने वाली सामग्रियों की कीमतें 30 से 40 फीसदी तक महंगी हुई, वहीं दूसरी ओर आवास विकास परिषद ने भी अपने प्लाटों की कीमतों में 5 से 10 फीसदी तक महंगे कर दिए। इससे आम आदमी के लिए आशियाना बनाना और महंगा हो गया है। हालांकि, फ्लैटों के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। परिषद की ओर से बढ़ाई गई कीमतें तत्काल प्रभाव लागू कर दी है।
परिषद ने जनता को दिया जोरदार झटका यूपी की जनता अभी तक पेट्रोल-डीजल, सब्जियों, फलों, रसोई गैस आदि की बढ़ती कीमतों से त्रस्त थी, वहीं आवास विकास परिषद ने जनता को एक जोरदार झटका दिया है। इसके तहत आवास एवं विकास परिषद की जमीनों के रेट में 5 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। इससे आम आदमी के लिए आशियाना बनाना और महंगा हो गया है। हालांकि, फ्लैटों के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू की गई आवास आयुक्त के आदेश पर वित्त नियंत्रक ने लागू नई दरों का आदेश भी जारी कर दिया है। लखनऊ की अवध विहार योजना में जहां मांग को देखते हुए जमीन की दर में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है वहीं गाजियाबाद की वसुंधरा योजना में महज 1 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी जमीन के रेट में की गई है।
कानपुर-इटावा आदि शहरों में नहीं हुई बढ़ोतरी उधर, कानपुर और इटावा आदि शहरों की जमीनों में परिषद में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। आवासीय संघ के अध्यक्ष ने किया विरोध दूसरी ओर आवास एवं विकास परिषद आवासीय संघ के अध्यक्ष सुरेश नारायण दुबे ने इस दरों की वृद्धि का विरोध किया है। उन्होंने कहां है कि वह इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के आवास मंत्री यानी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखेंगे और उनसे मांग करेंगे कि महंगाई के इस दौर में आम जनता पर अधिक बोझ ना डाला जाए, ताकि आम जनता सइर छुपाने के लिए एक छत जुटा सकें।
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नगरीय क्षेत्र में बढ़ती आवासीय समस्या के निदान के लिए तथा समाज के कमजोर वर्गों को कम पैसे में सस्ते आवास और प्लाट मुहैया कराने के एवं साथ ही व्यवसायिक, शैक्षिक व संस्थागत आवश्यकताओं की मांग के आधार पर पूर्ति के लिए उप्र आवास एवं विकास परिषद का गठन साल 1966 में किया गया था।
लखनऊ
Published: April 15, 2022 08:45:22 pm
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रही महंगाई बीच यूपी आवास विकास परिषद से प्लाट लेने वालों के लिए यह खबर कष्टदायक होगी। क्योंकि एक और जहां भवन निर्माण के काम में आने वाली सामग्रियों की कीमतें 30 से 40 फीसदी तक महंगी हुई, वहीं दूसरी ओर आवास विकास परिषद ने भी अपने प्लाटों की कीमतों में 5 से 10 फीसदी तक महंगे कर दिए। इससे आम आदमी के लिए आशियाना बनाना और महंगा हो गया है। हालांकि, फ्लैटों के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। परिषद की ओर से बढ़ाई गई कीमतें तत्काल प्रभाव लागू कर दी है।
परिषद ने जनता को दिया जोरदार झटका यूपी की जनता अभी तक पेट्रोल-डीजल, सब्जियों, फलों, रसोई गैस आदि की बढ़ती कीमतों से त्रस्त थी, वहीं आवास विकास परिषद ने जनता को एक जोरदार झटका दिया है। इसके तहत आवास एवं विकास परिषद की जमीनों के रेट में 5 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। इससे आम आदमी के लिए आशियाना बनाना और महंगा हो गया है। हालांकि, फ्लैटों के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू की गई आवास आयुक्त के आदेश पर वित्त नियंत्रक ने लागू नई दरों का आदेश भी जारी कर दिया है। लखनऊ की अवध विहार योजना में जहां मांग को देखते हुए जमीन की दर में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है वहीं गाजियाबाद की वसुंधरा योजना में महज 1 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी जमीन के रेट में की गई है।
कानपुर-इटावा आदि शहरों में नहीं हुई बढ़ोतरी उधर, कानपुर और इटावा आदि शहरों की जमीनों में परिषद में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। आवासीय संघ के अध्यक्ष ने किया विरोध दूसरी ओर आवास एवं विकास परिषद आवासीय संघ के अध्यक्ष सुरेश नारायण दुबे ने इस दरों की वृद्धि का विरोध किया है। उन्होंने कहां है कि वह इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के आवास मंत्री यानी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखेंगे और उनसे मांग करेंगे कि महंगाई के इस दौर में आम जनता पर अधिक बोझ ना डाला जाए, ताकि आम जनता सइर छुपाने के लिए एक छत जुटा सकें।
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