ये है वो भारतीय महिलाएं जिन्होंने तोड़ी समाज की बेड़ियां और बनाई अपनी एक अलग पहचान

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हर समाज में महिलाओं की अपनी एक ज़गह होती है। उस जगह से वह अपनी एक अलग पहचान  बनाती है। महिलाओं का अपनी पहचान समाज को पसंद आती है तो वही दुसरी तरफ़ कुछ पहचान ऐसी होती है जो समाज की उन बेडियों को तोड देती है जो कई सालों से लोगों को अपनी एक अलग पहचान से दूर रखती है। आज हम आपको उन महिलाओं के बारे में बताने जा रहें है जिन्होंने समाज की उस सोच को तोड दिया है जिस सोच नें कई युगों से महिलाओं के पैरों में बेडियां डाल रखी थी।

प्रेमा रमप्पा नादपट्टी

काम : बस ड्राइवर

आपने किसी महिला को कार और स्कूटी चलाते हुए देखा तो होगा ही। लेकिन क्या आप नें किसी महिला को बस चलाते हुए देखा है। या फिर आपने कबी ये सोचा होगा की आप किसी दिन किसी महिला को बसे चलाते देखेंगे। पति की मौत के बाद प्रेमा रमप्पा नादरपट्री नें नर्स का काम छोडकर BMTC में बस ड्राइवर का काम शुर कर दिया।

 

हर्षिनी कानहेकर

काम : फायरफाइटर

 

अगर किसी जगह आग लगती है तो आप फायर ब्रिगेड को बुलाते है और आपका सामना एक पुरुष फायर ब्रिगेड से होता है। लेकिन अगर आप किसी महिला को आग बुझाते देखे तो आप चौंक जाएंगे।हर्षिनी कानहेकर फायर ब्रिगेड में काम करती है। जब वह किसी जगह आग बुझाने के लिए जाती है तो लोग उनके काम की सरहाना और तारीफड़ करते है।

 

शांति देवी

काम : ट्रक मकैनिक

शांति देवी नें ट्रक मकैनिक बनकर समाज की सोच को तोडते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई। वह भारत की एकलौती महिला ट्रक मकैनिक है।

 

शैल मिश्रा

काम : मेट्रो डाइवर

मेट्रो को चलाते हुए आपने अक्सर किसी पुरुष को ही देखा होगा। लेकिन शैल मिश्रा ने इस सोच को तोडते हुए पुरुषों के समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आज वह महिला हो कर मेट्रो ड्राइवर है और समाज में महिलाओं को प्रेरित कर रही है।

 

इशिता मालवीय

काम : सर्फर

इशिता, भारत की पहली प्रफेशनल फीमेल सर्फर है जिन्होंने साल 2007 में सर्फिंग की शुरुआत की। आज वह अपने बॉयफ्रेंड तुषार के साथ मिलकर कर्नाटक में एक सर्फ क्लब शाका सर्फ क्लब और एक कैंप भी चलाती है।