Shahjahanpur News: जरूरतमंदो तक मुफ्त ‘सांसे’ पहुंचा रही शाहजहांपुर की ‘ऑक्सिजन वाली बिटिया’

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Shahjahanpur News: जरूरतमंदो तक मुफ्त ‘सांसे’ पहुंचा रही शाहजहांपुर की ‘ऑक्सिजन वाली बिटिया’


Shahjahanpur News: जरूरतमंदो तक मुफ्त ‘सांसे’ पहुंचा रही शाहजहांपुर की ‘ऑक्सिजन वाली बिटिया’

शिव कुमार, शाहजहांपुर
“ऑक्सीजन वाली बेटी” यह नाम शाहजहांपुर में आजकल बेहद चर्चा में है। अर्शी नाम की लड़की घर में आइसोलेटेड कोरोना संक्रमित जरूरतमंद मरीजों के लिए अपनी स्कूटी से ऑक्सिजन सिलेंडर पहुंचा रही है। अपने पिता के बीमार होने पर लड़की ने पिता को ऑक्सिजन ना मिलने पर ऑक्सिजन की जरूरत को समझा था। अर्शी के पिता कोरोना से जंग जीत चुके हैं लेकिन अर्शी के हौसले ने आज उसे ऑक्सिजन वाली बेटी का नाम दे दिया है। अर्शी अपने खर्चे पर स्कूटी से आइसोलेशन में रह रहे लोगों ऑक्सिजन लेवल कम होने पर मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सिजन सिलेंडर घर पर पहुंचा रही है। अर्शी के पिता को आज बेटी पर गर्व है।

कौन है ऑक्सीजन वाली बेटी
दरअसल चौक कोतवाली क्षेत्र के हुन्डाल खेल की रहने वाली अर्शी के पिता मशकूर 20 दिन पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे। पिता का ऑक्सिजन लेवल कम होने पर ऑक्सिजन हासिल करने के लिए अर्शी प्रशासनिक अधिकारियों तक से उलझ गई थी। जिले में ऑक्सिजन ना मिलने पर अर्शी ने दूसरे जनपद से ऑक्सिजन मंगवाकर अपने पिता की जान बचाई थी। पिता के ठीक होने के बाद अर्शी ने फैसला किया कि वह होम आइसोलेशन में रह रहे उन मरीजों के लिए खुद ऑक्सिजन सिलिंडर पहुंचाएगी जिनका ऑक्सिजन लेवल कम है।

अपने खर्चे से ऑक्सिजन सिलिंडर भरवा लोगों तक पहुंचाती हैं
अर्शी पड़ोसी जनपद हरदोई और उत्तराखंड के उधम सिंह नगर तक से ऑक्सिजन सिलिंडर भरवा कर मरीजों तक पहुंचा चुकी है। एक मरीज की मदद करने के बाद अर्शी स्कूटी से दूसरे मरीज के लिए अपने खर्चे पर ऑक्सिजन सिलेंडर भरवा कर मरीज के घर पहुंचा देती है। अर्शी का कहना है कि कोरोना से लड़ रहे लोगों के लिए ऑक्सिजन की कीमत क्या होती है यह उसने पिता को ऑक्सिजन ना मिलने पर खुद महसूस की है। अर्शी की मेहनत और लगन देखकर शहर के लोग उसे ऑक्सिजन वाली बेटी कहने लगे हैं।

गर्व महसूस कर रहे हैं अर्शी के पिता
अर्शी के पिता मशकूर का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है। कोरोना संक्रमण के समय ऑक्सिजन के लिए बेटी सिटी मजिस्ट्रेट और दूसरे अधिकारियों से फोन पर भिड़ गई थी फिर भी उसे ऑक्सिजन नहीं मिली थी। बेटी ने किसी तरह ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था करके उन्हें बचा लिया। आज बेटी दूसरों की जिंदगी बचा रही है जिसके चलते वह अपनी बेटी पर गर्व महसूस कर रहे हैं।

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