भारत में कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज की समयावधि बढ़ाना सही फैसला: डॉक्टर एंथनी फाउची
हाइलाइट्स:
- एंथनी फाउची ने कोविशील्ड वैक्सीन के दूसरे डोज की समयसीमा को बढ़ाने का समर्थन किया
- फाउची ने कहा कि अगर वैक्सीन कम है तो दूसरे डोज की समय सीमा बढ़ाना विवेकपूर्ण फैसला है
- उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज तो लग जाएगी
वॉशिंगटन
अमेरिका के चर्चित संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फाउची ने भारत में कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज की समयसीमा को बढ़ाने का समर्थन किया है। डॉक्टर फाउची ने कहा कि अगर आपके पास पर्याप्त वैक्सीन नहीं है तो पहले और दूसरे डोज के बीच समय सीमा बढ़ाना एक विवेकपूर्ण फैसला है। इससे ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज तो लग जाएगी।
डॉक्टर फाउची ने कहा कि इस बात की संभावना न के बराबर है कि कोरोना वायरस वैक्सीन के दूसरे डोज में देरी से इसके प्रभाव पर बुरा असर पड़ेगा। इससे पहले गुरुवार को भारत में ऑक्सफर्ड की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच का गैप 6-8 हफ्ते से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया गया। राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकर समूह (एनटीएजीआई) का कहना है कि ब्रिटेन में यह अंतराल 12 हफ्ते है जिसे WHO ने भी सही ठहराया है।
‘दोनों खुराकों के बीच ज्यादा अंतराल होने पर फायदा ज्यादा’
NTAGI का कहना है कि ब्रिटेन के अनुभव से सीख ली गई है। दरअसल, ब्रिटेन में यह गैप 12 हफ्ते ही है और यूरोपियन यूनियन ने भी इसे बढ़ाने की सलाह नहीं दी है। कुछ स्टडीज में यह कहा गया है कि दोनों खुराकों के बीच ज्यादा अंतराल होने पर फायदा ज्यादा होता है। इस वैक्सीन पर अंतरराष्ट्रीय टीमों की रिसर्च के डेटा में पता चला कि दो खुराकों के बीच में 12 हफ्ते का अंतर होने से ज्यादा असर होता है। अमेरिका, पेरू और चिली में किए गए ट्रायल में पाया गया कि चार हफ्ते से ज्यादा के अंतराल पर दूसरी खुराक देने से 79% असर ज्यादा होता है।
दूसरे देशों में डेटा से पता चला कि 6 हफ्ते बाद दूसरी खुराक देने से ज्यादा असर होता है। ब्राजील, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कि दूसरी खुराक 6-8 हफ्ते बाद देने से असर 59.9%, 9-11 हफ्ते बाद देने से 63.7% और 12 या उससे ज्यादा हफ्ते बाद देने से 82.4% असर देखा गया। द लैंसेट में यह स्टडी फरवरी में छपी थी लेकिन इसका पियर-रिव्यू नहीं किया गया है। फिलहाल किसी स्टडी में 16 हफ्ते बाद दूसरी खुराक के असर को नहीं देखा गया है।
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