लोकसभा: केन्द्रीय श्रम मंत्री ने बताया सरकार ने नौकरी देने के लिए कोई लक्ष्य नही बनाया

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लोकसभा में एक सवाल के जवाब में श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लिखित रूप से एक बात कही है. उनके कहे मुताबिक केंद्र सरकार ने युवाओं को नौकरी देने का कोई लक्ष्य नहीं तय किया है. श्रम मंत्री ने इंडियन नेशनल लोकदल के सांसद दुष्यंत चौटाला के सवाल पर लोकसभा को यह जानकारी दी.

सांसद चौटाला ने पिछले तीन साल में रोज़गार सृजन से जुड़े सवाल पूछे थे. जिस पर मंत्री गंगवार ने कहा, सरकार ने कोई टारगेट नहीं तय किया है. लेकिन रोज़गार पैदा करना सरकार की प्राथमिकता है और इसको लेकर सरकार गंभीर भी है. केंद्रीय श्रम मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहन देकर नौकरियों के सृजन के लिए कमद उठाए हैं. प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम, महात्मा गांधी नेराष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना और पंडित दीनदयालय उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में पर्याप्त निवेश कर रोज़गार को बढ़ावा दिया जा रहा है.

सांसद चौटाला ने इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत में बेरोज़गारी 2017 में 18.3 के मुकाबले बढ़कर 18.6 हो गई. वहीं 2019 में यह बढ़कर 18.9 हो जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी अवधि के दौरान बेरोज़गारी दर 3.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने की उम्मीद है. सांसद ने सरकार से पिछले तीन साल में पैदा हुए रोज़गार के आंकड़े मांगने के साथ इस दिशा में किए प्रयासों की जानकारी मांगी.

सरकार ने जवाब देते समय वार्षिक श्रमबल सर्वेक्षण 2012-13, 2013-14, 2015-16 के हवाले से बताया कि सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में बेरोज़गारी बढ़ी है. यहां 2014-15 में 1.8 प्रतिशत से 2015-16 में 10.02 प्रतिशत बेरोज़गारी बढ़ी. वहीं अन्य उच्च बेरोज़गारी वाले राज्यों में केरल और त्रिपुरा हैं. जहां 10.6 और 10 प्रतिशत बेरोज़गारी है. वहीं सरकार ने 2016-17 और 2017-18 में बेरोज़गारी के आंकड़े नहीं दिए. गंगवार ने पीएमईजीपी के तहत 1017-18 में कम नौकरियां मिलने की बात स्वीकार की. आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत जहां 2016-17 में 4.07 लाख लोगों को रोज़गार मिला, वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा गिरकर 2.31 लाख तक पहुंच गया. सरकारी आंकड़ों से ज़ाहिर हुआ कि कौशल प्रशिक्षण और प्लेसमेंट में मंदी का दौर है.