भारत का 69 वां गणतंत्र दिवस बीत गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर्ष और उल्लास के साथ 10 देशों के मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुये इस दिन को मनाया. देश में कड़ी सुरक्षा होने के बावूजुद आतंकी खतरा भी टल गया. लेकिन देश के हर हिस्से का हाल ऐसा नहीं है. उत्तरप्रदेश के कासगंज में दो समुदायों के बीच हिंसा की ख़बरों ने रंग में भंग कर दिया. इस हिंसा में एक समुदाये के 1 युवक की मौत हो गयी और दूसरे समुदाय के एक शख्स पर जानलेवा हमला किया गया. किस्मत से वो आदमी ज़िंदा तो बच गया मगर उसकी एक आँख चली गयी.
क्यों हुई थी हिंसा
उत्तर प्रदेश के कासगंज में दो समुदायों के बीच हिंसा हो गई. दरसल शुक्रवार को गणतंत्र दिवस पर VHP और ABVP के कार्यकर्ताओं ने तिरंगा यात्रा निकाली थी. तिरंगा यात्रा जब बिलमार गेट के पास अल्पसंख्यक समुदाय के मौहल्ले से गुजरने लगी तो तिरंगा यात्रा निकाल रहे युवकों ने भड़काऊ नारेबाजी की, जिससे दो समुदायों के बीच लड़ाई हो गई. लड़ाई इतनी बढ़ी की इसने हिंसा का रूप ले लिया.
दोनों पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई और गोलियां भी चलीं. फायरिंग में हिंदू समुदाय के एक युवक चंदन गुप्ता की मौत हो गई. युवक की मौत के बाद हिंसा ने उग्र रूप ले लिया. उपद्रवियों ने दुकानों में जमकर तोड़फोड़ और लूटपाट की. रात होते-होते इलाके में भारी पुलिस और सुरक्षा बल तैनात करना पड़ा और कर्फ्यू लगा दिया गया.
बताया जा रहा है कि पुलिस ने चन्दन की हत्या के संदिग्ध आरोपी के घर की तलाशी ली. आरोपी तो नहीं मिला लेकिन कमरे से एक पिस्टल जरुर मिली.
फ़ोन सेवाएं बंद
गौरतलब है कि शुक्रवार की रात हिंसा के बाद माहौल बहुत गरम था. यही कारण था कि रात दस बजे इंटरनेट सेवायों को बंद कराया दिया गया, ताकि किसी भी तरह की अफवाह बाहर न जा सकें.
राज्य के डिप्टी सीएम का कहना है की इस मामले में जो भी लोग शामिल होंगे उनमें से कोई भी नहीं बख्शा जाएगा. विवादित क्षेत्र पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है.
पुलिस ने इस मामले में अब तक 112 लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीँ पुलिस का ये भी कह्ना है कि अब स्थिति पहले से बेहतर है.
मृतक परिजनों को २० लाख रूपये का मुआवजे
योगी सरकार की ओर से मृतक चंदन गुप्ता के परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया गया. हिंसा में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय कानून लगाया जाएगा. ऐसा बताया जा रहा है की मुस्लिम परिवार में से अकरम नाम के एक युवक की मौत हो गयी है, जिसकी पुलिस जांच कर रही है.
मुस्लिम युवक बना हिंसा का शिकार
अकरम हबीब को हिंसा में अपनी एक आंख गंवानी पड़ी. वह अपनी बेटी को दोनों आंखों से देख नहीं सके, जो हिंसा के अगले दिन इस दुनिया में आई. हबीब गणतंत्र दिवस के दिन अपनी ससुराल, कासगंज आया था क्योंकि उसकी पत्नी अनम की अगले दिन डिलीवरी होनी थी. बता दें कि अकरम ने कासगंज जाते वक़्त कुछ लोगों से रास्ता पूछा था. लोगों ने उसकी दाढ़ी देखी और उसे मुसलमान जानकार पत्थरों और लाठियों से बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया.