कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों और कथित तौर पर आतंकवाद को आर्थिक मदद मुहैया (टेरर फंडिंग) कराने संबंधी एक मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने लश्कर ए तैयबा के चीफ हाफिज़ सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ गुरूवार को चार्जशीत दायर की. इन दोनों मुख्या आरोपियों के साथ 12 और लोगों के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर किया गए हैं. एनआईए ने दिल्ली की अदालत के सामने 1,279 पृष्ठ का आरोप पत्र दायर करके अपनी जांच जारी रखने की अनुमति मांगी.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने की कड़ी छानबीन
बता दें कि टेरर फंडिंग के इसी मामले में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों की न्यायिक हिरासत आज समाप्त हो रही है. अभियोजन एजेंसी(एनआईए) को आतंकवाद विरोधी कानून- अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत छः महीने के भीतर आरोप पत्र दायर करना होता है. अगर इस वक़्त में चार्जशीट दायर नही होती तो आरोपी ज़मानत का पात्र हो जाता है.
एनआईए के अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान उन्होंने अहम सामग्री और तकनीकी सबूत एकत्र किए. उन्होंने बताया कि 60 जगहों पर छापे मारे गए और 950 दस्तावेज जब्त किए गए. इस केस में 300 गवाह हैं. एनआईए ने सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश, मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले नरमपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रवक्ता शाहिद उल इस्लाम, गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत के हिस्से के प्रवक्ता अयाज़ अकबर और अलगाववादियों नईम खान, बशीर भट उर्फ पीर सैफुल्लाह और रजा मेहराजुद्दीन कलवल को गिरफ्तार किया था. इस मामले में एनआईए ने कारोबारी ज़हूर अहमद वताली को भी गिरफ्तार किया था.
बुरहान वानी की मौत के बाद हुई गिरफ्तारियां
यह मामला हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के 2016 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे जाने पर हुए हिंसक प्रदशर्नों के बाद दर्ज किया गया था. आरोप पत्र में फोटो पत्रकार कामरान यूसुफ, पूर्व जेकेएलएफ आतंकवादी बिट्टा कराटे, और जावेद अहमद भट का नाम भी शामिल है.
अधिकारियों ने बताया कि एनआईए ने सईद और सलाहुद्दीन पर संकट को भड़काने और गैर बैंकिंग माध्यमों से घाटी में आर्थिक मदद भेजने के आरोप दायर किये हैं.
प्राथमिकी में सईद का नाम आरोपी के रूप में दर्ज किया गया है. इसमें हुर्रियत कांफ्रेंस (गिलानी और मीरवाइज फारूक के नेतृत्व वाले धड़ों), हिज्बुल मुजाहिदीन और दुख्तरान ए मिल्लत के नाम भी शामिल हैं. एनआईए ने कश्मीर में ‘‘आतंकवादी गतिविधियों’’ को आर्थिक मदद मुहैया कराने संबंधी मामले में खासकर पाकिस्तान से धन के प्रवाह को लेकर चार आरोपियों के इकबालिया बयान भी दर्ज किए हैं.
अधिकारियों ने कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयानों से कश्मीर में अशांति फैलाने और पथराव करने के लिए कथित रूप से आर्थिक मदद मुहैया कराने वाले अलगाववादियों के खिलाफ मामला और कस गया है.
एजेंसी को सरकारी गवाहों से मदद मिली
एनआईए के अधिकारियों ने बताया कि टेरर फंडिंग मामले में बयान दे रहे चार लोगों में से तीन को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था. चौथे व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था लेकिन उसने कहा कि वह सरकारी गवाह बनेगा तो उसे रिहा कर दिया गया. अधिकारियों ने इन लोगों के नाम उजागर नहीं किए. एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष इकबालिया बयान दर्ज किया गया जिसमें आरोपी ने पुष्टि की कि वह जांच एजेंसी के दबाव के बिना बयान दे रहा या रही है.
पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई और कार्यवाही के दौरान अदालत में कोई जांच अधिकारी मौजूद नहीं था. बाद में मुकरने पर एजेंसी झूठी गवाही का मामला दर्ज कर सकती है.