महाभारत के बारे में तो आपने सुना ही होगा. महाभारत एक बहुत विशाल ग्रंथ है, इसमें कहा गया है कि जो इसमें लिखा हुआ है, वो अन्य कहीं भी हो सकता है. लेकिन जो इसमें नहीं लिखा वो अन्य कहीं नहीं हो सकता है. ऐसा माना जाता है कि आरंभ में महर्षि व्यास जी ने अपने शिष्य वेशम्पायन के सामने सुनाया. उस समय इसका नाम “जय-संहिता” था. इसमें 8800 श्लोक थे. इसके बाद इस कथा को वैशम्पायन ने पांडव पौत्र जनमेजय को सुनाया था. उस समय इसका नाम “भारत संहिता” था. तब इसमें 24000 श्लोक थे. बाद में कालांतर में इस ग्रंथ में एक लाख श्लोक हो गए. तब इसका नाम महाभारत( शतसहस्त्री संहिता ) पड़ा.
महाभारत कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध की घटना पर आधारित है. भारत के इतिहास में महाभारत को महाकाव्य माना गया है. इसकी एतिहासिकता भी प्रमाणित हो चुकी है. यह युद्ध हरियाणा की धरती कुरूक्षेत्र में लड़ा गया. ऐसा बताया जाता है कि यह युद्ध बहुत ही भयंकर हुआ था. जिसमें बहुत बड़े स्तर पर जान और माल की हानि हुई.
महाभारत के युद्ध में एक तरफ कौरवों की सेना थी तथा एक तरफ पांडवों की. कौरवों की सेना दुर्योधन के नेतृत्व में लड़ रही थी तथा पांडवों की सेना युद्धिष्टर के नेतृत्व में लड़ रही थी. ऐसा बताया जाता है कि युद्धिष्टर ने कभी झूठ नहीं बोला था.
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महाभारत के युद्ध में कृष्ण भगवान ने भी हिस्सा लिया था. वो इस युद्ध में पांडवों की तरफ थे तथा पांडव पुत्र अर्जुन के सारथी बने हुए थे. पांडवों के युद्ध में जीतने में कृष्ण भगवान का बहुत बड़ा सहयोग था. अर्जुन ने तो सामने अपने ही परिवार के सदस्यों को देखकर युद्ध लड़ने से मना कर दिया था. लेकिन भगवान कृष्ण ने उनको गीता का उपदेश दिया.