महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक बहुत ही पवित्र पर्व है. यह पर्व भगवन शिव से संबंधित है. शिव भगवान की पूजा भारत में प्राचीन काल से होती रही है. हडप्पा सभ्यता के खुदाई के समय भी पशुपति की मूर्ति हमें मिली हैं. जिसको भगवान शिव से जोडकर देखा जाता है. किसी भी त्यौहार के शुरू होने के पीछे कोई कारण होता है या कोई पौराणिक कथा होती है. महाशिवरात्रि के पर्व के आरंभ को लेकर भी कई तरह की मान्यताएं हैं. ऐसे ही कुछ मान्यताओं की चर्चा करते हैं.
फाल्गुन मास में कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ. इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था.
एक अन्य मान्यता के अनुसार अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन निश्चित था, लेकिन इसके साथ ही हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ. हलाहल विष में ब्रह्मांड को नष्ट करने की क्षमता थी और इसलिए केवल भगवान शिव इसे नष्ट कर सकते थे. भगवान शिव ने हलाहल नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था. जहर इतना शक्तिशाली था कि भगवान शिव भी दर्द से पीड़ित हो उठे थे और उनका गला नीला हो गया था. इस कारण से भगवान शिव ‘नीलकंठ’ के नाम से प्रसिद्ध हैं.
उपचार के लिए देवताओं को भगवान शिव को रात भर जगाने की सलाह दी. शिव का आनंद लेने और जागने के लिए, देवताओं ने अलग-अलग नृत्य और संगीत बजाने शुरू किए. जैसे ही सुबह हुई, उनकी भक्ति से प्रसन्न भगवान शिव ने उन सभी को आशीर्वाद दिया. माना जाता है कि शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है. जिससे शिव ने दुनिया को बचाया. तब से इस दिन, भक्त उपवास करते है.
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महाशिवरात्रि का दिन बहुत पवित्र माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भगवान मनचाहा वरदान देते हैं. इस दिन भगवान शिव के भक्तों दवारा उपवास भी रखा जाता है. भगवान शिव जल्दी खुश हो जाते हैं.