5 पेज के जवाब में सुधाकर सिंह ने राजद को ही घेरा, कहा- नैतिक समर्थन तक नहीं मिला, नीतीश के याद दिलाए पुराने किस्से

11
5 पेज के जवाब में सुधाकर सिंह ने राजद को ही घेरा, कहा- नैतिक समर्थन तक नहीं मिला, नीतीश के याद दिलाए पुराने किस्से

5 पेज के जवाब में सुधाकर सिंह ने राजद को ही घेरा, कहा- नैतिक समर्थन तक नहीं मिला, नीतीश के याद दिलाए पुराने किस्से


ऐप पर पढ़ें

पूर्व कृषि मंत्री और आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब में कारण बताने से ज्यादा सवाल पूछ डाले हैं। एक पन्ने के नोटिस का जवाब 5 पन्नों में लंबा-चौड़ा दिया। जिसमें उन्होने कई बातें नीतीश कुमार के बारे में तो कई सवाल अपनी ही पार्टी से पूछ डाले हैं।

उन्होने कहा कि मैंने राजद का कोई नियम नहीं तोड़ा और न ही पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में किसी दूसरी पार्टी या उसके नेता पर बोलने से रोक का कोई प्रस्ताव पारित हुआ था। ऐसे में जब मैंने पार्टी लाइन पर रहते हुए राजद की प्राथमिकताओं के आधार जनता से जुड़े सवाल उठा रहा था तो मेरा साथ छोड़ दिया गया। साथ ही नहीं छोड़ा गया, बल्कि पार्टी मेरे खिलाफ भी खड़ी हो गई। ऐसा क्यों? बयान देने वाले दूसरे नेताओं को कुछ नहीं किया गया।

याद दिलाए नीतीश कुमार के पुराने किस्से

नीतीश कुमार की पुरानी किस्सों को याद दिलाते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के आरजेडी के विधायकों ही नहीं तेजस्वी यादव से कैसा व्यवहार किया। उन्होंने कहा- ‘जब 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंडी कानून को खत्म करने का प्रस्ताव विधान सभा में लाया तो राजद के विधायकों के नेतृत्व में कैसे जोरदार प्रतिरोध किया गया था। सदन का बहिर्गमन तक किया गया था। जिसमें पुलिस कानून का विरोध करने पर सदन के भीतर और बाहर विधायकों को पुलिस द्वारा जबर्दस्त पिटाई की गई। महिला विधायकों को भी घसीटकर पीटा या। यही नहीं, महागठबंधन में एक साथ रहते हुए नीतीश कुमार द्वारा तेजस्वी यादव की मौजूदगी में सार्वजनिक मंच से ये कहना कि 2005 से पहले कुछ था क्या? जो विकास हुआ वो 2005 के बाद हुआ। उनका यह बार-बार कहना राजद के विकास को नकारना और मेरे जैसे कार्यकर्ताओं के लिए असहज की स्थिति पैदा करता है।

अफसरशाही को निशाने पर लिया 

सुधाकर सिंह ने जवाबी पत्र में लिखा, कि मंत्री बनने की उनकी इच्छा नहीं थी। उन्होंने अफसरशाही को भी निशाने पर लिया है। लिखा है – 2022 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की नई सरकार बनायी गई थी। जिस सरकार में मुझे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा मेरी अनिच्छा के बावजूद मुझे कृषि मंत्री बनाने का फैसला इस आश्वासन के साथ लिया गया था कि राजद द्वारा घोषित नीतियों पर सहजता से कार्य करने का अवसर मिलेगा। लेकिन विभाग चलाने के दौरान विभाग में व्याप्त विसंगतियों एवं मंडी कानून पर बढ़ने की मेरी मंशा पर अधिकारियों के द्वारा लगातार अवरोध पैदा किया जाता रहा, जिसकी चर्चा कैबिनेट की बैठक के दौरान एवं पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को समय-समय पर अवगत कराता रहा, जिसकी अंतिम परिणति के बारे में सर्वविदित है। 2 अक्टूबर को कृषि मंत्री से दिए गए इस्तीफे के बाद दिल्ली में 8 और 9 अक्टूबर को राजद राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के आर्थिक प्रस्ताव के पारा 6 में स्पष्ट रूप से मंडी कानून लागू करने एवं धान-गेहूं की खरीद में मल्टीपल एजेंसी करने की वचनबद्धता प्रकट की गई।

किस राजनैतिक दबाव में मेरा बचाव नहीं किया गया?

सुधाकर सिंह ने जवाबी पत्र में इस बात का बहुत अफसोस जताया है कि पार्टी ने उनका साथ नहीं दिया, बल्कि उल्टे उन पर मुख्य घटक दल यानी जेडीयू के प्रवक्ताओं और मंत्रियों द्वारा व्यक्तिगत और चारित्रिक हमले हुए। उन्होंने लिखा- ‘हद से हद मुझे लगा कि कृषि के मुद्दे पर सार्थक बहस के लिए सरकार तैयार हो जाएगी या मौन साध लेगी। ऐसी परिस्थिति में मुझे पार्टी के नेताओं से अपेक्षा थी कि पार्टी की नीतियों एवं सिद्धांत पर आधारित मेरे द्वारा दिए गए वक्तव्यों का बचाव किया जाएगा। लेकिन मुझे अफसोस के साथ यहां कहना पड़ रहा है कि आखिर किस राजनैतिक दबाव में मेरा बचाव नहीं किया गया जबकि मुझे पार्टी की तरफ से कम-से-कम नैतिक समर्थन की उम्मीद तो थी ही।

यह A टू Z की नीति नहीं

सुधाकर सिंह ने पार्टी की A to Z की नीति पर सवाल उठाया है। कहा है- ‘मुझे अकेले चिन्हित कर नोटिस भेजना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है और यह हमारी पार्टी के A to Z की नीति की पुष्टि भी नहीं करता। हालांकि सुधाकर सिंह ने किसी का नाम नहीं लिया है। लेकिन सभी जानते हैं कि राजद के अंदर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर सवाल उठाने वाले, हिटलर कहने वाले नेता कौन हैं ! शिवानंद तिवारी, संजय यादव, सुनील सिंह कौन-कौन सवाल उठा चुका है! सुधाकर ने लिखा- ‘बिहार में न्याय, विकास सौहार्द और समानता के लिए दशकों से चल रही हमारी पार्टी के संघर्ष में मुझे और मेहनत करने की जरूरत है तो आपके किसी भी मार्गदर्शन के लिए सदैव तैयार हूं।’

पार्टी से ही पूछ डाले सवाल 

सुधाकर सिंह का जवाबी पत्र  के जरिए कई सवाल और सुझाव भी दे डाले।उन्होने पत्र में कहा कि आरजेडी को किसानों से जुड़े घोषणा पत्र की बातें दमदार तरीके से नीतीश कुमार के सामने रखने और मनवाने की जरूरत है। आरजेडी बड़ी पार्टी है और उसे अपनी नीतियों को ताकतवर तरीके से लागू करवाना चाहिए। लेकिन नीतीश कुमार तो मानते ही नहीं कि लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के राज में बिहार का विकास हुआ। वे तो आरजेडी के विधायकों को विधान सभा मे पिटवाने वाले नेता हैं! सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने पार्टी की A to Z की नीति पर सवाल उठाया है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News