13 मार्च को वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन: मदनी बोले-हम अंग्रेजों के जुल्म के आगे नहीं झुके, अब हमें कोई ताकत नहीं झुका सकती, अल्लाह के आगे सिर झुकाता है मुसलमान – Saharanpur News h3>
जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की फाइल फोटो।
वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस कानून को कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा-अगर ये विधेयक कानून बनता है, तो जमीयत की सभी प्रांतीय इकाइयां अपने-अपने राज्यों के
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जंतर-मंतर पर 13 मार्च को बड़ा प्रदर्शन 13 मार्च को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मिल्ली संगठनों द्वारा जंतर-मंतर पर बड़े विरोध प्रदर्शन करेगा। जिसे जमीयत उलमा-ए-हिंद ने अपना समर्थन दिया है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा-मुसलमानों को मजबूर होकर अपने अधिकारों की बहाली के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। पिछले 12 वर्षों से धैर्य और संयम रखने के बावजूद, जबरन असंवैधानिक कानून लाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जब न्याय के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं, तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
‘वक्फ कानून धार्मिक मामला, सरकारी दखल बर्दाश्त नहीं’ मौलाना मदनी ने कहा-वक्फ पूरी तरह से एक धार्मिक मामला है और इसमें किसी भी सरकारी दखल को स्वीकार नहीं किया जाएगा। वक्फ संपत्तियां वे दान हैं, जो बुजुर्गों ने कौम की भलाई के लिए वक्फ की हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को दिखावे के लिए विधेयक भेजा, लेकिन विपक्ष की सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि विधेयक में चालाकी से ऐसी धाराएं जोड़ी गई हैं, जिनसे वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कब्जा आसान हो जाएगा।
‘संवैधानिक अधिकारों का हनन’ मौलाना मदनी ने कहा कि मुसलमान ऐसा कोई कानून स्वीकार नहीं कर सकते, जो शरीयत के खिलाफ हो। उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों के अस्तित्व का नहीं, बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों का सवाल है। मौजूदा सरकार नए कानून के जरिए मुसलमानों से वे अधिकार छीनना चाहती है, जो उन्हें संविधान ने दिए हैं।
‘सेक्युलर पार्टियां भी दोषी’ मौलाना मदनी ने खुद को सेक्युलर कहने वाली उन पार्टियों पर भी निशाना साधा, जिन्होंने इस विधेयक का विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों ने सत्ता के लालच में इस बिल को खुला समर्थन दिया, जो मुसलमानों के साथ धोखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये पार्टियां सांप्रदायिक ताकतों से ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि ये मित्र बनकर पीठ में छुरा घोंप रही हैं।
‘संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष’
मौलाना मदनी ने कहा-ये लड़ाई हिंदू और मुसलमान के बीच नहीं, बल्कि सांप्रदायिकता और सेक्युलरिज्म के बीच है। उन्होंने कहा कि देश की बहुसंख्यक आबादी सांप्रदायिकता के खिलाफ है और मुसलमान भी कभी हालात के रहमो-करम पर नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम अंग्रेजों के जुल्म के आगे नहीं झुके, तो अब हमें कोई ताकत नहीं झुका सकती। मुसलमान सिर्फ एक अल्लाह के सामने सिर झुकाता है।”
बड़ी संख्या में प्रदर्शन में शामिल होने की अपील मौलाना मदनी ने सभी न्यायप्रिय नागरिकों से 13 मार्च को होने वाले विरोध प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह केवल मुसलमानों का नहीं, बल्कि देश के संविधान और कानून का भी मुद्दा है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट संदेश देना होगा कि संसद में बहुमत का अर्थ यह नहीं कि किसी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को खत्म कर दिया जाए।
‘अदालतों में न्याय की उम्मीद’ मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद कानूनी लड़ाई भी लड़ेगी और सभी लोकतांत्रिक व संवैधानिक उपायों का उपयोग करेगी। उन्होंने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हमें उम्मीद है कि न्याय अवश्य मिलेगा।