1 लाख से क्या होगा, कम से कम 10 करोड़ दो… रामनवमी पर रामायण के योगी सरकार के फैसले पर बोले अखिलेश
दरअसल, चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रही है और रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। इस बीच संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव मुकेश मेश्राम ने 10 मार्च को जारी एक आदेश में कहा है, ‘चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का प्रस्ताव है।’ निर्देश सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को भेजे गए हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने स्थानीय प्रशासन से महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान के तहत मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में दुर्गा सप्तशती, देवी गान और देवी जागरण आयोजित करने को कहा है।
अखिलेश यादव का व्यंग्य
इस बीच इन कार्यक्रमों के लिए एक लाख रुपये उपलब्ध कराए जाने की बात पर अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा है। मंगलवार को उन्होंने ट्वीट किया, ‘रामनवमी मनाने के लिए उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारियों को 1 लाख रुपये दिये जाने के प्रस्ताव का स्वागत है, पर इतनी कम रक़म से होगा क्या, कम से कम 10 करोड़ देने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके। भाजपा सरकार त्योहारों पर मुफ्त सिलेंडर दे और इसकी शुरूआत इसी रामनवमी से हो।’
केशव मौर्य ने किया स्वागत
वहीं प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस पहल की तारीफ की है। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘भगवान श्रीराम और रामचरितमानस से जुड़े किसी भी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। इस पर कोई सवाल या जवाब नहीं होना चाहिए, मैं बस यही चाहता हूं।’ कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा, ‘धार्मिक आयोजन करना अच्छी बात है लेकिन उन मुद्दों का क्या जिन पर लोगों ने भाजपा को वोट दिया था। लाखों नौकरियों का वादा किया गया था। आज नौकरियां कहां हैं? उत्तर प्रदेश में भाजपा उन मुद्दों और वादों पर विफल रही है जो राज्य के लोगों से किए गए थे।’
क्या है आदेश में?
बता दें कि मेश्राम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अष्टमी और रामनवमी (29 और 30 मार्च) को प्रमुख मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाए ताकि मानवीय, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों का प्रसार किया जा सके। इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक, तहसील और जिले में एक आयोजन समिति गठित की जाए। मेश्राम ने इस पर कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है क्योंकि इससे पहले भी इस तरह के कार्यक्रम होते रहे हैं।
कलाकारों की प्रतिभा को मिलेगा मंचः मेश्राम
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के कार्यक्रम पहले भी आयोजित किए गए हैं और पहली बार राज्य में ये आयोजित नहीं हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों के आयोजन से स्थानीय स्तर पर कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच मिलेगा।’’ समुचित समन्वय के लिए राज्य स्तर पर दो नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) की अध्यक्षता वाली एक समिति उन कलाकारों का चयन करेगी जो कार्यक्रमों में प्रदर्शन करेंगे। आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और बड़ी जन भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
आदेश के अनुसार, संस्कृति विभाग इन कार्यक्रमों में प्रदर्शन के लिए चुने गए कलाकारों को मानदेय के रूप में भुगतान करने के लिए प्रत्येक जिले को एक लाख रुपये उपलब्ध कराएगा। आदेश के मुताबिक सरकार ने स्थानीय प्रशासन से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने को भी कहा है। आदेश में कहा गया है कि 21 मार्च तक सभी तैयारियां कर ली जाएं और जीपीएस लोकेशन, मंदिरों के फोटो और मंदिर प्रबंधन निकायों के संपर्क विवरण संस्कृति विभाग के साथ साझा किए जाएं।