हरियाणा के करनाल में जन्मी गिर नस्ल की पहली क्लोन बछड़ी, गंगा रखा गया नाम, वजन 32 किलो
वैज्ञानिकों की टीम के प्रमुख डॉ नरेश सेलोकर ने बताया कि करीब 15 सालों से भैंस के क्लोनिंग पर काम कर रहे थे, अनुभव के बाद निर्णय लिया कि कैटल की भी क्लोनिंग करनी चाहिए। इसे देखते हुए राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने 2021 में उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के पूर्व निदेशक डॉ एमएस चौहान के नेतृत्व में गिर, साहीवाल और रेड-सिंधी जैसी देशी गायों की क्लोनिंग का कार्य शुरू हुआ। कैटल क्लोनिंग की काफी चुनौतियां थी, अंडे नहीं थे, ओपीयू तकनीक से अंडों को निकाला।
16 मार्च 2023 को गिर गाय की क्लोन पैदा हुई
उन्होंने कहा कि तीन ब्रीड सलेक्ट की थी, साहीवाल में कुछ असफलताएं हाथ लगी। लेकिन रिसर्च के बाद 16 मार्च 2023 को गिर गाय की क्लोन पैदा हुई हैं। गिर गाय का सैल साहीवाल की ओपीयू से निकाली, उसके बाद केंद्रक निकाल दिया, जिस एनीमल गंगा का क्लोन करना था, गिर का क्लोन उसके अंदर डाला। इस विधि में अल्ट्रासाउंड- निर्देशित सुइयों का उपयोग करके जीवित पशु से अंडाणु लिया जाता है। फिर अनुकूल परिस्थिति में 24 घंटे के लिए परिपक्व किया जाता है। फिर उच्च गुणवत्ता वाले गाय की दैहिक कोशिकाओं का उपयोग दाता के रूप में किया जाता है, जो ओ.पी. यू. – व्युत्पन्न अंडाणु से जोड़ा जाता है 7-8 दिन के इन विट्रो-कल्चर के बाद, विकसित ब्लास्टोसिस्ट को गाय में स्थान्तरित कर दिया जाता है। इसके 9 महीने बाद क्लोन बछडा या बछड़ी पैदा होती हैं। क्लोन गायों के उत्पादन के लिए एक स्वदेसी विधि विकसित करने के लिए 2 साल से अधिक समय से काम कर रहे थे।
रिपोर्ट- हिमांशु नारंग, करनाल