हमारा गठबंधन छोड़ने पर पछताएंगे नीतीश; बोले मल्लिकार्जुन खरगे, बताया- ‘इंडिया’ का PM कौन होगा h3>
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी है। एक तरफ पार्टी का प्रदर्शन सुधारने तो दूसरी तऱफ गठबंधन दलों से बेहतर तालमेल की जिम्मेदारी। छह चरणों के मतदान हो चुके हैं। अंतिम चरण में भी खड़गे पूरे दमखम से प्रचार अभियान में जुटे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन बेहद निराश करने वाले रहे। खड़गे का दावा है कि विपक्षी गठबंधन की तरफ से देश की जनता चुनाव लड़ रही है, क्योंकि वह गरीबी, महंगाई जैसी समस्याओं से तंग आ चुकी है। रविवार को चुनावी दौरे पर बिहार पहुंचे खड़गे ने व्यस्तताओं के बीच ‘हिन्दुस्तान’ के स्थानीय संपादक विनोद बंधु और ब्यूरो चीफ आशीष कुमार मिश्र से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंश -
● लोकसभा चुनाव में अब केवल अंतिम चरण बाकी है। बतौर कांग्रेस अध्यक्ष आपको विपक्ष की क्या संभावनाएं दिख रही हैं?
देश में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन को फिलहाल अच्छी बढ़त मिल रही है। खुद लोग हमारे तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि लोग बहुत तंग आ चुके हैं। महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की तकलीफें, बच्चों की पढ़ाई में परेशानी, अग्निवीर जैसी योजनाओं से नौजवानों में निराशा, दलित, पिछड़े, आदिवासी, अतिपिछड़ों के सामने गरीबी का बड़ा सवाल है। ऐसे में लोग खुद-ब -खुद बाहर आकर हमलोगों की मदद कर रहे हैं और दूसरी तरफ वालों को पीछे रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
● राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन एक व्यापक स्वरूप नहीं ले पाया? कई राज्यों में घटक दल आमने-सामने हैं? क्या कहेंगे?
ऐसा पहले से होता रहा है। घटक दल तो इस चुनाव में बना। 2014 और 2019 में कोई गठबंधन नहीं था। पहली बार गठबंधन बना है। चंद क्षेत्र ऐसे हैं जहां हम आमने-सामने ही लड़ते रहे हैं, मसलन केरल में। कभी-कभी जम्मू-कश्मीर में ऐसा होता है। बिहार में पहले भी ऐसा होता था कि एक बार हम गठबंधन में चुनाव लड़ते थे और दूसरी बार अलग हो जाते थे। यूपी में भी ऐसा हुआ है। लेकिन, इस बार हम मजबूती से साथ लड़ रहे हैं। जहां विवाद है, वहां अपने आप लड़ रहे हैं। जैसे दिल्ली में गठबंधन हुआ तो पंजाब में अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। बंगाल में वामदलों के साथ हमारा गठबंधन है। राज्यवार अलग-अलग गठबंधन है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एक ही गठबंधन है जिसके लिए सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहे हैं।
● नीतीश कुमार जैसे बड़े नेता साथ छोड़ गए? कई और दलों ने भी आपसे दूरी बना ली। आरोप कांग्रेस पर ही लगा?
हम पर आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। नीतीश कुमार खुद डरकर चले गए। उनको क्या हुआ था? हमने अपने घर में बुलाकर सभी दलों के साथ सबसे पहले बैठक की। शरद पवार, डी राजा, टीएमसी, तेजस्वी, उद्धव ठाकरे, एक -एक कर सभी नेताओं से बातचीत की। तब बात आई कि कहां बैठक हो, तो नीतीश कुमार ने पटना में बैठक करने का सुझाव दिया कि हमारी सरकार है। लेकिन उनको गठबंधन छोड़कर भाजपा में जाना था। वे किसलिए गए, ये उनको मालूम है। किस उसूल पर गए? वैसे वे हमेशा उसूल तोड़ते ही रहते हैं। ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं कर सकते। उनको शायद डर है, लगता है कि उनके साथ रहे तो कुछ फायदा होगा। बिहार में राजद और कांग्रेस मजबूत है। नीतीश कुमार बाद में पछताएंगे कि क्यों गठबंधन छोड़ दिया।
● इंडिया गठबंधन ने किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा? जीत मिली तो राहुल, आप या कोई और, कौन कमान संभालेंगे?
मोदी जी ऐसे ही बात उठाते रहते हैं। 2004 में हमारे पास कौन सा चेहरा था। 140 सीट जब कांग्रेस को मिली तो सोनिया गांधी ने कहा कि हम मिलकर तय कर लेंगे। तब सभी दलों ने सोनिया जी को ही तय करने को कहा। 2009 में सोनिया गांधी को पीएम बनाने की बात आई लेकिन मनमोहन सिंह को बनाए रखा गया। दस साल यूपीए सरकार चली। क्या हर साल एक-एक प्रधानमंत्री बना, जैसा मोदीजी कहते हैं। उस अवधि में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया गया। मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्रत्त्ी प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था बदली। इसलिए यह कहा जाना कि उनके पास कौन है चेहरा, गलत है। गठबंधन में कोई न कोई चेहरा पैदा हो ही जाता है। चुनाव के बाद गठबंधन के लोग जो बोलेंगे, उनको बनाएंगे।
● कई राज्यों में आपने क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं को आगे रखा है। क्या बिहार में भी कांग्रेस तेजस्वी के भरोसे चुनाव लड़ रही है? इससे कांग्रेस को कितना फायदा होगा?
कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह सवाल नहीं है। यह गठबंधन की साझा लड़ाई है। अगर हम किसी को छोड़ते हैं तो सपोर्ट नहीं मिलने पर जिसका वजूद रहता है, उनको भी नुकसान होता है। इसलिए हमें कितना फायदा होगा, इस वक्त यह कहना ठीक नहीं है। हम दोनों मिलकर और डटकर लड़ रहे हैं। दोनों को फायदा हेागा। फायदा उठाने के लिए हम एक हो गए हैं।
● पीएम समेत भाजपा के तमाम नेता बार-बार कह रहे हैं कि आप धर्म के आधार पर आरक्षण देने के हिमायती हैं, जैसा कि कर्नाटक में किया?
इसका हम सौ बार जवाब दे चुके हैं। यह चुनाव लोकसभा का है। कर्नाटक एक राज्य है। हर राज्य में अलग-अलग नीतियां हो सकती हैं। खुद मोदीजी जब गुजरात के सीएम थे तो उन्होंने भी पिछड़ों में कई अल्पसंख्यक को शामिल किया था। अल्पसंख्यकों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण दिया था।
● पीएम इंडिया गठबंधन को घमंडिया, साम्प्रदायिक और भ्रष्टाचारी करार देते हैं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
नरेन्द्र मोदी खुद घमंडिया हैं। उनके जैसा घमंडिया कोई नहीं है। वे अकेले हैं। अपनी पार्टी से किसी को लेकर साथ नहीं चलते। खुद घमंडिया होकर दूसरों को घमंडिया कहना ठीक नहीं है। ऐसी बातें उनके मुंह से नहीं निकलनी चाहिए। दस साल हुकूमत करने के बाद भी पीएम ऐसी बात बोल रहे हैं। आगे भी वे शासन चलाने की आशा रखे हुए हैं लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं होगी। वे कभी घमंडिया, कभी मंगलसूत्र तो कभी जमीन की बात करते हैं। दरअसल वे भ्रमित हो गए हैं। कन्फ्यूज्ड हो गए हैं। कोई भी पीएम ऐसा नहीं बोलता है। मैं सक्रिय राजनीति में 60 साल से हूं। संसदीय राजनीति में 53 साल पूरे कर चुका हूं। राजनीति में बहुत कम लोगों ने इतना लंबा सफर किया होगा। हमने कभी भी ऐसी बात किसी पीएम के मुंह से नहीं सुनी। मनमोहन सिंह, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या उनकी ही पार्टी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। वे पंडित नेहरू से अपनी तुलना करते हैं। पंडित नेहरू किस तरह जेपी, लोहिया समेत विपक्ष के नेताओं का सम्मान किया करते थे।
● भाजपा आपकी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाती है। बिहार में ही मीरा कुमार तथा अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे मैदान में हैं? इससे उनके आरोपों को बल नहीं मिल रहा है?
हर जगह और हर देश में जब लोग चाहते हैं तभी कोई सांसद-विधायक बनता है। ऐसा कहने वालों के घर से कोई नहीं है तो अलग बात है। हां, घर के लिए राजनीति करना गलत है। लेकिन जब कोई चाहे कि आप राजनीति में आएं और लोगों की मदद करें तो वह अलग बात है।
● कुछ दशक पहले बिहार, यूपी जैसे राज्य कांग्रेस के गढ़ हुआ करते थे। चुनावी मजबूरी के गठबंधन से बाहर निकाल पार्टी को अपने पैरों पर कब, कैसे खड़ा करेंगे?
इस मसले को चुनाव के बाद देखेंगे।
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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी है। एक तरफ पार्टी का प्रदर्शन सुधारने तो दूसरी तऱफ गठबंधन दलों से बेहतर तालमेल की जिम्मेदारी। छह चरणों के मतदान हो चुके हैं। अंतिम चरण में भी खड़गे पूरे दमखम से प्रचार अभियान में जुटे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन बेहद निराश करने वाले रहे। खड़गे का दावा है कि विपक्षी गठबंधन की तरफ से देश की जनता चुनाव लड़ रही है, क्योंकि वह गरीबी, महंगाई जैसी समस्याओं से तंग आ चुकी है। रविवार को चुनावी दौरे पर बिहार पहुंचे खड़गे ने व्यस्तताओं के बीच ‘हिन्दुस्तान’ के स्थानीय संपादक विनोद बंधु और ब्यूरो चीफ आशीष कुमार मिश्र से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंश -
● लोकसभा चुनाव में अब केवल अंतिम चरण बाकी है। बतौर कांग्रेस अध्यक्ष आपको विपक्ष की क्या संभावनाएं दिख रही हैं?
देश में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन को फिलहाल अच्छी बढ़त मिल रही है। खुद लोग हमारे तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि लोग बहुत तंग आ चुके हैं। महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की तकलीफें, बच्चों की पढ़ाई में परेशानी, अग्निवीर जैसी योजनाओं से नौजवानों में निराशा, दलित, पिछड़े, आदिवासी, अतिपिछड़ों के सामने गरीबी का बड़ा सवाल है। ऐसे में लोग खुद-ब -खुद बाहर आकर हमलोगों की मदद कर रहे हैं और दूसरी तरफ वालों को पीछे रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
● राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन एक व्यापक स्वरूप नहीं ले पाया? कई राज्यों में घटक दल आमने-सामने हैं? क्या कहेंगे?
ऐसा पहले से होता रहा है। घटक दल तो इस चुनाव में बना। 2014 और 2019 में कोई गठबंधन नहीं था। पहली बार गठबंधन बना है। चंद क्षेत्र ऐसे हैं जहां हम आमने-सामने ही लड़ते रहे हैं, मसलन केरल में। कभी-कभी जम्मू-कश्मीर में ऐसा होता है। बिहार में पहले भी ऐसा होता था कि एक बार हम गठबंधन में चुनाव लड़ते थे और दूसरी बार अलग हो जाते थे। यूपी में भी ऐसा हुआ है। लेकिन, इस बार हम मजबूती से साथ लड़ रहे हैं। जहां विवाद है, वहां अपने आप लड़ रहे हैं। जैसे दिल्ली में गठबंधन हुआ तो पंजाब में अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। बंगाल में वामदलों के साथ हमारा गठबंधन है। राज्यवार अलग-अलग गठबंधन है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एक ही गठबंधन है जिसके लिए सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहे हैं।
● नीतीश कुमार जैसे बड़े नेता साथ छोड़ गए? कई और दलों ने भी आपसे दूरी बना ली। आरोप कांग्रेस पर ही लगा?
हम पर आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। नीतीश कुमार खुद डरकर चले गए। उनको क्या हुआ था? हमने अपने घर में बुलाकर सभी दलों के साथ सबसे पहले बैठक की। शरद पवार, डी राजा, टीएमसी, तेजस्वी, उद्धव ठाकरे, एक -एक कर सभी नेताओं से बातचीत की। तब बात आई कि कहां बैठक हो, तो नीतीश कुमार ने पटना में बैठक करने का सुझाव दिया कि हमारी सरकार है। लेकिन उनको गठबंधन छोड़कर भाजपा में जाना था। वे किसलिए गए, ये उनको मालूम है। किस उसूल पर गए? वैसे वे हमेशा उसूल तोड़ते ही रहते हैं। ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं कर सकते। उनको शायद डर है, लगता है कि उनके साथ रहे तो कुछ फायदा होगा। बिहार में राजद और कांग्रेस मजबूत है। नीतीश कुमार बाद में पछताएंगे कि क्यों गठबंधन छोड़ दिया।
● इंडिया गठबंधन ने किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा? जीत मिली तो राहुल, आप या कोई और, कौन कमान संभालेंगे?
मोदी जी ऐसे ही बात उठाते रहते हैं। 2004 में हमारे पास कौन सा चेहरा था। 140 सीट जब कांग्रेस को मिली तो सोनिया गांधी ने कहा कि हम मिलकर तय कर लेंगे। तब सभी दलों ने सोनिया जी को ही तय करने को कहा। 2009 में सोनिया गांधी को पीएम बनाने की बात आई लेकिन मनमोहन सिंह को बनाए रखा गया। दस साल यूपीए सरकार चली। क्या हर साल एक-एक प्रधानमंत्री बना, जैसा मोदीजी कहते हैं। उस अवधि में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया गया। मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्रत्त्ी प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था बदली। इसलिए यह कहा जाना कि उनके पास कौन है चेहरा, गलत है। गठबंधन में कोई न कोई चेहरा पैदा हो ही जाता है। चुनाव के बाद गठबंधन के लोग जो बोलेंगे, उनको बनाएंगे।
● कई राज्यों में आपने क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं को आगे रखा है। क्या बिहार में भी कांग्रेस तेजस्वी के भरोसे चुनाव लड़ रही है? इससे कांग्रेस को कितना फायदा होगा?
कांग्रेस को कितना फायदा होगा, यह सवाल नहीं है। यह गठबंधन की साझा लड़ाई है। अगर हम किसी को छोड़ते हैं तो सपोर्ट नहीं मिलने पर जिसका वजूद रहता है, उनको भी नुकसान होता है। इसलिए हमें कितना फायदा होगा, इस वक्त यह कहना ठीक नहीं है। हम दोनों मिलकर और डटकर लड़ रहे हैं। दोनों को फायदा हेागा। फायदा उठाने के लिए हम एक हो गए हैं।
● पीएम समेत भाजपा के तमाम नेता बार-बार कह रहे हैं कि आप धर्म के आधार पर आरक्षण देने के हिमायती हैं, जैसा कि कर्नाटक में किया?
इसका हम सौ बार जवाब दे चुके हैं। यह चुनाव लोकसभा का है। कर्नाटक एक राज्य है। हर राज्य में अलग-अलग नीतियां हो सकती हैं। खुद मोदीजी जब गुजरात के सीएम थे तो उन्होंने भी पिछड़ों में कई अल्पसंख्यक को शामिल किया था। अल्पसंख्यकों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण दिया था।
● पीएम इंडिया गठबंधन को घमंडिया, साम्प्रदायिक और भ्रष्टाचारी करार देते हैं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
नरेन्द्र मोदी खुद घमंडिया हैं। उनके जैसा घमंडिया कोई नहीं है। वे अकेले हैं। अपनी पार्टी से किसी को लेकर साथ नहीं चलते। खुद घमंडिया होकर दूसरों को घमंडिया कहना ठीक नहीं है। ऐसी बातें उनके मुंह से नहीं निकलनी चाहिए। दस साल हुकूमत करने के बाद भी पीएम ऐसी बात बोल रहे हैं। आगे भी वे शासन चलाने की आशा रखे हुए हैं लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं होगी। वे कभी घमंडिया, कभी मंगलसूत्र तो कभी जमीन की बात करते हैं। दरअसल वे भ्रमित हो गए हैं। कन्फ्यूज्ड हो गए हैं। कोई भी पीएम ऐसा नहीं बोलता है। मैं सक्रिय राजनीति में 60 साल से हूं। संसदीय राजनीति में 53 साल पूरे कर चुका हूं। राजनीति में बहुत कम लोगों ने इतना लंबा सफर किया होगा। हमने कभी भी ऐसी बात किसी पीएम के मुंह से नहीं सुनी। मनमोहन सिंह, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या उनकी ही पार्टी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। वे पंडित नेहरू से अपनी तुलना करते हैं। पंडित नेहरू किस तरह जेपी, लोहिया समेत विपक्ष के नेताओं का सम्मान किया करते थे।
● भाजपा आपकी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाती है। बिहार में ही मीरा कुमार तथा अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे मैदान में हैं? इससे उनके आरोपों को बल नहीं मिल रहा है?
हर जगह और हर देश में जब लोग चाहते हैं तभी कोई सांसद-विधायक बनता है। ऐसा कहने वालों के घर से कोई नहीं है तो अलग बात है। हां, घर के लिए राजनीति करना गलत है। लेकिन जब कोई चाहे कि आप राजनीति में आएं और लोगों की मदद करें तो वह अलग बात है।
● कुछ दशक पहले बिहार, यूपी जैसे राज्य कांग्रेस के गढ़ हुआ करते थे। चुनावी मजबूरी के गठबंधन से बाहर निकाल पार्टी को अपने पैरों पर कब, कैसे खड़ा करेंगे?
इस मसले को चुनाव के बाद देखेंगे।