हत्या के बाद श्रद्धा के दोस्तों को कैसे धोखा देता रहा आफताब? खुल गया हैवान का एक और राज

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हत्या के बाद श्रद्धा के दोस्तों को कैसे धोखा देता रहा आफताब? खुल गया हैवान का एक और राज

हत्या के बाद श्रद्धा के दोस्तों को कैसे धोखा देता रहा आफताब? खुल गया हैवान का एक और राज

नई दिल्ली: वो हत्यारा ही नहीं, हैवान है। वो आफताब नहीं, अंधेरा है। वो प्यार नहीं, हवस का पुजारी है। लिव इन पार्टनर के शव के टुकड़े फ्रिज में रखकर दूसरी लड़की के साथ रंगरेलियां मनाए, ऐसा तो कोई राक्षस ही कर सकता है। आफताब पूनावाला वही कलियुगी राक्षस है जिसके अपराधों की परतें जैसे-जैसे उधड़ रही हैं, वैसे-वैसे हैरानी बढ़ती जा रही है। हैरानी इस बात की कि क्या कोई प्यार में पड़ा इंसान इतना हैवान हो सकता है! दिल्ली पुलिस ने लिव इन पार्टनर श्रद्धा वाकर की हत्या करके शव को टुकड़ों में फेंकने वाले आफताब पूनावाला के खिलाफ छह हजार से भी ज्यादा पन्ने की चार्जशीट पेश कर दी है। इस आरोप पत्र में जो दावे किए गए हैं, वो जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। आप समझ जाएंगे कि श्रद्धा की हत्या कोई सामान्य अपराध नहीं बल्कि बहुत प्लानिंग के साथ किया गया बेहद गंभीर गुनाह है।

इतनी गहरी प्लानिंग! पांव तले जमीन खिसक जाएगी

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट से ऐसा लगता है कि आफताब ने श्रद्धा की हत्या से पहले और बाद में लगातार प्लानिंग के साथ बेखौफ जीता रहा। हत्या के बाद उसने श्रद्धा के फोन को संभालकर रख लिया। वह कितना शातिर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने फोन बंद नहीं किया। वह फोन अटेंड करता रहा ताकि किसी को शक नहीं हो कि श्रद्धा को कुछ हो गया है। श्रद्धा को कोई कॉल करता तो आफताब कॉल उठा तो लेता, लेकिन एक शब्द नहीं बोलता था, बिल्कुल चुप। कॉल उठाकर वह फोन को साइड कर देता। हेलो, हेलो श्रद्धा, हेलो कुछ तो बोलो… ऐसी बातें करक-करके भी जवाब नहीं मिलता तो लोग मायूस होकर फोन काट देते। उन्हें लगता कि श्रद्धा का मूड ठीक नहीं है, वह बात नहीं करना चाहती है। इस कारण हत्या के 1-12 दिनों तक किसी को शक भी नहीं हुआ कि श्रद्धा अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन वो कहते हैं ना- पाप का घड़ा एक दिन फूटता जरूर है, भले वक्त जितना लग जाए।

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चार्जशीट में खुला हैवान का हिमाचल कनेक्शन

दिल्ली पुलिस का दावा है कि आफताब ने श्रद्धा के शव के टुकड़े को पहले हिमाचल प्रदेश में फेंकने की सोची। वह श्रद्धा के साथ पहले हिमाचल में कुछ दिन बिता चुका था। उसे लगा कि शव को ठिकाने लगाने के लिए वह इलाका बेहतरीन है। उसने 1,200 रुपये में एक काला बैग खरीद लिया। प्लानिंग के मुताबिक शव के टुकड़ों से भरे बैग को कैब में रखकर हिमाचल जाने की प्लानिंग थी। लेकिन वो ठहरा शातिर। उसे लगा कि इतनी दूरी तय करने में कहीं न कहीं पकड़े जाने का चांस तो है ही। इसलिए हिमाचल प्रदेश में श्रद्धा का शव फेंकने की प्लानिंग कैंसल कर दी। फिर उसे अचानक याद आया कि वह एक दोस्त बदरी के छत पर सिगरेट पी रहा था तो वहां से एक जंगल दिख रहा था। उसके दिमाग की बत्ती जल गई। उसने आखिरी फैसला ले लिया- शव को जंगल में ही फेंकना है।

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रातभर लाश को काटता रहा आफताब

आफताब ने पुलिस को बताया कि उसने हत्या के दिन ही श्रद्धा का शव टुकड़ों में काट दिया। वह शव को घसीटकर बाथरूम में ले गया और वहीं रातभर लाश के टुकड़े करता रहा। उसने बहुत सोच-समझकर शव के बहुत छोटे-छोटे टुकड़े किए ताकि जब उसे निपटाना हो तो किसी को उस पर नजर पड़ भी जाए तो शक नहीं हो। उसने श्रद्धा की उंगलियों और नाखूनों को जला दिया। श्रद्धा पिछले वर्ष 18 मई को अपने दूसरे दोस्त के घर से सुबह 11 बजे अपने फ्लैट पर आई। वहां गुस्से में तमतमया हुआ आफताब उससे झगड़ने लगा। उसने श्रद्धा से पूछा, ‘रातभर कहां थी?’ जवाब में श्रद्धा ने कहा, ‘कहीं थी, तुम्हें मतलब? अपना काम करो। मेरा जो मन करेगा, वो करूंगी।’ इतना कहना ही था कि आफताब ने आव देखा ना ताव उसने श्रद्धा को धक्का देकर गिरा दिया।

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हालांकि, आफताब ने उस वक्त श्रद्धा की हत्या नहीं की। कुछ देर तक दोनों में बातचीत बंद रही। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘फिर दोनों शांत हो गए और ऑनलाइन ऑर्डर देकर खाना मंगवाया। खाना खाया भी नहीं था कि शाम होने लगी थी। तभी आफताब ने फिर गुस्से में श्रद्धा से पूछा- रातभर कहां रही? श्रद्धा ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर आफताब ने पटककर उसपर बैठ गया और गला दबाकर हत्या कर दी।’

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