सीतामढ़ी के ‘चाइल्ड किलर’ गैंग की खौफनाक कहानी, जिसके बारे में जानकर आपकी रूह कांप जाएगी
तबाह हो गया हंसता – खेलता परिवार
जिले के डुमरा प्रखंड में रसलपुर गांव है। एक दिव्यांग व्यक्ति का हंसता – खेलता परिवार था। पत्नी, बेटा व बेटी परिवार के सदस्य थे। परिवार पर चाइल्ड किलर गैंग की नजर पड़ी। वर्ष 2009 में उक्त दिव्यांग के पुत्र अमनदीप का फिरौती के लिए अपहरण करने के बाद उसकी हत्या कर शव को दफन कर दिया गया। मृतक सिमरन का भाई था। कुछ दिनों बाद सिमरन के पिता की हत्या कर दी गई। शव शिवहर जिला में मिला था। पहले गोद, फिर मांग सुनी होने के बाद सिमरन की मां शांति देवी (काल्पनिक नाम) टूट गई। अचानक शांति की जिंदगी में शमीम नामक एक अपराधी का आगमन होता है। वह मीठी – मीठी बातों में शांति एवं सिमरन को फंसा लेता है और दोनों को लेकर अपने घर पूर्वी चंपारण के ढाका चला जाता है।
गायब हो गई शांति देवी
कुछ दिनों बाद शमीम के यहां से शांति देवी गायब हो जाती है। उसका सुराग आजतक नही मिल सका है। पुलिस का मानना है कि शमीम शांति देवी को बाहर ले जाकर हत्या कर दिया गया होगा। 24 फरवरी 2014 को ढाका की पुलिस किसी मामले को लेकर शमीम के घर छापेमारी करती है। उसके घर के मुख्य द्वार पर ताला लगा रहता है। पुलिस वहां से लौट रही थी कि अचानक शमीम के घर से किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। ताला तोड़कर घर में पुलिस प्रवेश की। अंदर तहखाना बना था। उसमें पुलिस ने जो दृश्य देखा, तो वह भी सिहर गई। तहखाना से जंजीर में कैद और अर्द्ध बेहोशी में सिमरन मिली। उसके शरीर पर शमीम की यातनाएं के चिन्ह स्पष्ट दिखाई दे रहे थे। सिमरन के पूरे बदन पर नशीली सुई एवं सिगरेट के दाग थे। दृश्य देखकर पुलिस भी हैरान रह गई थी। इलाज के बाद ठीक होने पर उसने पुलिस को बताया था कि शमीम ने मां को घुमाने ले गया था, लेकिन वह अकेला लौटा था। बाद में वह उसे नशीली सुई एवं यातना देकर उससे दुष्कर्म करने लगा था। वह दो – तीन साल तक तहखाना में कैद रही थी।
20 साल की मिली सजा
वर्ष 2015 में शमीम के यहां से मुक्त होने के बाद कोर्ट के आदेश पर सुरक्षा के लिहाज से वह मामा के यहां रहने लगी। प्रशासन ने उसकी सुरक्षा के लिहाज से मामा के घर पर दो पुरूष अंगरक्षक एवं एक महिला चौकीदार की प्रतिनियुक्ति की। 19 अप्रैल 17 को मामले में नया मोड़ तब आता है, जब सिमरन ने मामा के खिलाफ बाजपट्टी थाना में दुष्कर्म की एक प्राथमिकी दर्ज कराई। उसका आरोप था कि मामा को मामी का सहयोग मिलता है। संयोग रहा कि उसने दुष्कर्म का वीडियो क्लिप तैयार कर लिया था। बाद में सिमरन को महिला सुधार गृह, पटना भेज दिया गया। सिमरन की प्राथमिकी पर मुकदमा चला। हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर 18 को दुराचारी मामा दिग्विजय मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी। स्थानीय कोर्ट से मामा को 20 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा मिली है।
रिपोर्ट-अमरेंद्र चौहान, सीतामढ़ी