विदेशी बाजारों में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार h3>
नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें सुधार के साथ बंद हुईं। बाकी तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज में लगभग आधा प्रतिशत की तेजी है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग एक प्रतिशत की तेजी है।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक निरंतर घट रही है। लेकिन आयातित तेलों के मुकाबले अब भी सरसों सस्ती है। सोयाबीन रिफाइंड का भाव लगभग 165 रुपये किलो है जबकि सरसों तेल का थोक बिक्री भाव अभी भी 154 रुपये किलो हे। खुदरा कारोबार में इसे एमआरपी की आड़ में लगभग 210 रुपये किलो के भाव बेचे जाने की शिकायतें मिल रही हैं और इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जून के पहले हफ्ते तक मंडियों में सरसों की लगभग आधी फसल की खपत हो चुकी है, बिनौला में कारोबार लगभग समाप्त हो गया है, सहकारी संस्थाओं द्वारा सरसों की अपेक्षित खरीद नहीं हुई है और सरसों रिफाइंड का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। सरसों रिफाइंड को आयातित तेलों की कमी को पूरा करने के लिए अन्य तेलों के साथ मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरा इस तेल को सीधा खाया जा सकता है और इसका प्रसंस्करण नहीं करना होता है। सरसों की अगली फसल में लगभग साढ़े आठ महीने की देर है। बरसात और उसके बाद जाड़े में सरसों की मांग बढ़ना तय है और सरसों की पैदावार 20-25 लाख टन ही अधिक है और जिस तरह से सरसों रिफाइंड की खपत हो रही है, उसे देखते हुए आगे जाकर सरसों की कमी होना निश्चित है और इस कमी को आयात शुल्क कम करके या अन्य देशों से आयात कर पूरा नहीं किया जा सकता।
सूत्रों ने कहा कि देश की प्रमुख तेल संस्थाओं को सरकार को आगाह करना चाहिये था कि सरसों का रिफाइंड बनाने और इसके दुरुपयोग को पूरी तरह से रोका जाये नहीं तो आगे जाकर सरसों के मामले में गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में तेजी की वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में मजबूती रही। मांग होने से बिनौला में भी सुधार है, हालांकि इसमें कारोबार समाप्ति की ओर है। सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी सुधार आया।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,540-7,590 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,815 – 6,950 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,680 – 2,870 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,410-2,490 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,450-2,555 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 14,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 15,050 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 14,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 6,800-6,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 6,500- 6,600 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल।
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बाजार सूत्रों ने बताया कि शिकॉगो एक्सचेंज में लगभग आधा प्रतिशत की तेजी है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग एक प्रतिशत की तेजी है।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक निरंतर घट रही है। लेकिन आयातित तेलों के मुकाबले अब भी सरसों सस्ती है। सोयाबीन रिफाइंड का भाव लगभग 165 रुपये किलो है जबकि सरसों तेल का थोक बिक्री भाव अभी भी 154 रुपये किलो हे। खुदरा कारोबार में इसे एमआरपी की आड़ में लगभग 210 रुपये किलो के भाव बेचे जाने की शिकायतें मिल रही हैं और इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जून के पहले हफ्ते तक मंडियों में सरसों की लगभग आधी फसल की खपत हो चुकी है, बिनौला में कारोबार लगभग समाप्त हो गया है, सहकारी संस्थाओं द्वारा सरसों की अपेक्षित खरीद नहीं हुई है और सरसों रिफाइंड का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। सरसों रिफाइंड को आयातित तेलों की कमी को पूरा करने के लिए अन्य तेलों के साथ मिश्रण (ब्लेंडिंग) के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरा इस तेल को सीधा खाया जा सकता है और इसका प्रसंस्करण नहीं करना होता है। सरसों की अगली फसल में लगभग साढ़े आठ महीने की देर है। बरसात और उसके बाद जाड़े में सरसों की मांग बढ़ना तय है और सरसों की पैदावार 20-25 लाख टन ही अधिक है और जिस तरह से सरसों रिफाइंड की खपत हो रही है, उसे देखते हुए आगे जाकर सरसों की कमी होना निश्चित है और इस कमी को आयात शुल्क कम करके या अन्य देशों से आयात कर पूरा नहीं किया जा सकता।
सूत्रों ने कहा कि देश की प्रमुख तेल संस्थाओं को सरकार को आगाह करना चाहिये था कि सरसों का रिफाइंड बनाने और इसके दुरुपयोग को पूरी तरह से रोका जाये नहीं तो आगे जाकर सरसों के मामले में गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में तेजी की वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में मजबूती रही। मांग होने से बिनौला में भी सुधार है, हालांकि इसमें कारोबार समाप्ति की ओर है। सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी सुधार आया।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,540-7,590 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,815 – 6,950 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,680 – 2,870 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,410-2,490 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,450-2,555 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 14,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 15,050 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 14,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 6,800-6,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 6,500- 6,600 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल।
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