लाइट-कैमरा-एक्शन के लिए मुफीद बना हमारा प्रदेश, डेढ़ महीने में 21 नए प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी | film friendly state | Patrika News h3>
फिल्म, वेबसीरीज, धारवाहिक समेत डॉक्यूमेंट्री पर अनुदान
फिल्म फैसीलिटेशन सेल के डिप्टी डायरेक्टर उमाकांत चौधरी बताते हैं कि मप्र में पहली फिल्म की 50 फीसदी श्ूाटिंग करने पर एक करोड़ रुपए तो 75 फीसदी शूटिंग पर 1.50 करोउ़ रुपए तक का अनुदान मिलता है। दूसरी फिल्म की 50 फीसदी शूटिंग पर 1.50 करोड़ रुपए तो 75 फीसदी श्ूाटिंग पर 2 करोड़ रुपए तक के अनुदान की व्यवस्था है। इसके अलावा 75 फीसदी शूटिंग प्रदेश मे ंकरने और मप्र को प्रमुखता से प्रदर्शित करने पर 50 लाख रुपए से अधिक का अतिरिक्त अनुदान मिलता है। मप्र की विशेष ब्रांडिंग और प्रदेश पर आधारित कहानी पर प्रोजेक्ट की लागत का 50 फीसदी या 5 करोड़ रुपए तक के अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। स्थानीय कलाकारों को काम मिलने पर अधिकतम 25 लाख रुपए का अतिरिक्त अनुदान है। निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए 50 फीसदी शूटिंग करने पर मप्र में चुकाए गए शूटिंग स्थलो के किराए का आधा और 75 फीसदी शूटिंग करने पर 75 फीसदी किराया वापस किया जाता है। टीवी सीरियल्स और वेबसीरीज की शूटिंग पर भी एक करोड़ रुपए तक के अनुदान की व्यवस्था है। मप्र के पर्यटन स्थलों, वाइल्ड लाइफ, संस्कृति, खान-पान समेत हस्त शिल्प पर बनाई गई एवं राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज होने वाली डॉक्यूमेंट्री को 20 लाख रुपए तक तो अंतरराष्ट्रीय स्तर की डॉक्यूमेंट्री को 40 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाता है। निर्माताओं को मप्र पर्यटन विकास निगम की होटलों में 40 फीसदी तक की रियायत अतिरिक्त दी जाती है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा संचालित संस्थाओ के किराए में भी रियाायत की व्यवस्था है। तेजी से उभरी दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्रीज मसलन तमिल, तेलगू, कन्नड़ और मलायालम भाषा की फिल्मों की शूटिंग के लिए दस फीसदी अतिरिक्त अनुदान है।
शूटिंग से टैक्स और मेहनताने के रूप में मिलती है राशि
प्रदेश में शूटिंग का दायरा बढऩे से स्थानीय कलाकारों, तकनीशियनों के अलावा वर्कर्स को रोजगार के साथ ही बेहतर मेहनताना मिलता है। इसके अलावा टैक्स के रूप में भी सरकार की आय बढ़ती है। लाइन प्रोड्यूसर सचिन शर्मा बताते हैं कि शूटिंग का शेड्यूल लंबे समय का होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था बेहतर होती है। मप्र में कनेक्टिविटी अच्छी होने के साथ ही हिन्दीभाषी होना संवाद के लिए अनुकूल है। निर्माताओं को भी यहां बेहतर शूटिंग स्थलों के साथ ही अन्य राज्यों की तुलना मे क्रू मेंबर्स और सपोर्टिंग स्टाफ कम दाम में मुहैया होता है। एक अन्य लाइन प्रोड्यूसर भूपेंद्र राजपूत बताते हैं कि 15 से 20 दिन के शूटिंग शेड्यूल से दो करोड़ से अधिक का कारोबार स्थानीय स्तर पर हो जाता है। इसके अलावा एक मूवी की शूटिंग से आठ से दस हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलता है। अब प्रदेश में पोस्ट प्रोडक्शन संबंधित कार्य भी होने लगे हैं, जो अपेक्षाकृत अन्य राज्यों की तुलना में सस्ते और स्तरीय हैं।
1952 में आन से लेकर मौजूदा फिल्मों तक का सफर
मप्र में वर्ष 1952 में दिलीप कुमार की फिल्म आन की शूटिंग नरसिंहगढ़ जिले में हुई थी। इसके बाद से प्रदेश में फिल्म शूटिंग का सफर जारी है। फिलहाल प्रदेश में विस्तारम, महल, हरिओम और बफर जोन समेत पांच फिल्में और टीवी सीरियल्स की शूटिंग जारी है। बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्मों के अलावा आस्ट्रेलियन गर्थ डेविस द्वारा निर्देशित फिल्म लॉयन के कई दृश्य मप्र में शूट किए गए थे। ये फिल्म वर्ष 2016 में ऑस्कर में नामांकित हुई थी। इसी श्रृंखला में टीवी सीरीज शांताराम (द बीयर) और मीरा नायर द्वारा निर्देशित ए सूटेबल बॉय भी शामिल है। मीरा की एक अन्य फिल्म कामसूत्र की शूटिंग भी मप्र में हुई थी। हिंदी फिल्मों और वेबसीरीज में राजनीति, अशोका, शेेरनी, गुल्लक, पंचायत, प्यार किया तो डरना क्या, दुर्गामती, छोरी, निर्मल पाठक की घर वापसी, महारानी, जनहित में जारी, मोतीचूर चकनाचूर, कलंक, गंगाजल-2, रिवॉल्वर रानी, तेवर, दबंग-2, बाजीरवा-मस्तानी, मोहनजोदाड़ो, यमला-पगला-दीवाना, स्त्री, सूई धागा, पैडमेन शामिल हैं।
फिल्म, वेबसीरीज, धारवाहिक समेत डॉक्यूमेंट्री पर अनुदान
फिल्म फैसीलिटेशन सेल के डिप्टी डायरेक्टर उमाकांत चौधरी बताते हैं कि मप्र में पहली फिल्म की 50 फीसदी श्ूाटिंग करने पर एक करोड़ रुपए तो 75 फीसदी शूटिंग पर 1.50 करोउ़ रुपए तक का अनुदान मिलता है। दूसरी फिल्म की 50 फीसदी शूटिंग पर 1.50 करोड़ रुपए तो 75 फीसदी श्ूाटिंग पर 2 करोड़ रुपए तक के अनुदान की व्यवस्था है। इसके अलावा 75 फीसदी शूटिंग प्रदेश मे ंकरने और मप्र को प्रमुखता से प्रदर्शित करने पर 50 लाख रुपए से अधिक का अतिरिक्त अनुदान मिलता है। मप्र की विशेष ब्रांडिंग और प्रदेश पर आधारित कहानी पर प्रोजेक्ट की लागत का 50 फीसदी या 5 करोड़ रुपए तक के अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। स्थानीय कलाकारों को काम मिलने पर अधिकतम 25 लाख रुपए का अतिरिक्त अनुदान है। निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए 50 फीसदी शूटिंग करने पर मप्र में चुकाए गए शूटिंग स्थलो के किराए का आधा और 75 फीसदी शूटिंग करने पर 75 फीसदी किराया वापस किया जाता है। टीवी सीरियल्स और वेबसीरीज की शूटिंग पर भी एक करोड़ रुपए तक के अनुदान की व्यवस्था है। मप्र के पर्यटन स्थलों, वाइल्ड लाइफ, संस्कृति, खान-पान समेत हस्त शिल्प पर बनाई गई एवं राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज होने वाली डॉक्यूमेंट्री को 20 लाख रुपए तक तो अंतरराष्ट्रीय स्तर की डॉक्यूमेंट्री को 40 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाता है। निर्माताओं को मप्र पर्यटन विकास निगम की होटलों में 40 फीसदी तक की रियायत अतिरिक्त दी जाती है। साथ ही राज्य सरकार द्वारा संचालित संस्थाओ के किराए में भी रियाायत की व्यवस्था है। तेजी से उभरी दक्षिण भारत की फिल्म इंडस्ट्रीज मसलन तमिल, तेलगू, कन्नड़ और मलायालम भाषा की फिल्मों की शूटिंग के लिए दस फीसदी अतिरिक्त अनुदान है।
शूटिंग से टैक्स और मेहनताने के रूप में मिलती है राशि
प्रदेश में शूटिंग का दायरा बढऩे से स्थानीय कलाकारों, तकनीशियनों के अलावा वर्कर्स को रोजगार के साथ ही बेहतर मेहनताना मिलता है। इसके अलावा टैक्स के रूप में भी सरकार की आय बढ़ती है। लाइन प्रोड्यूसर सचिन शर्मा बताते हैं कि शूटिंग का शेड्यूल लंबे समय का होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था बेहतर होती है। मप्र में कनेक्टिविटी अच्छी होने के साथ ही हिन्दीभाषी होना संवाद के लिए अनुकूल है। निर्माताओं को भी यहां बेहतर शूटिंग स्थलों के साथ ही अन्य राज्यों की तुलना मे क्रू मेंबर्स और सपोर्टिंग स्टाफ कम दाम में मुहैया होता है। एक अन्य लाइन प्रोड्यूसर भूपेंद्र राजपूत बताते हैं कि 15 से 20 दिन के शूटिंग शेड्यूल से दो करोड़ से अधिक का कारोबार स्थानीय स्तर पर हो जाता है। इसके अलावा एक मूवी की शूटिंग से आठ से दस हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलता है। अब प्रदेश में पोस्ट प्रोडक्शन संबंधित कार्य भी होने लगे हैं, जो अपेक्षाकृत अन्य राज्यों की तुलना में सस्ते और स्तरीय हैं।
1952 में आन से लेकर मौजूदा फिल्मों तक का सफर
मप्र में वर्ष 1952 में दिलीप कुमार की फिल्म आन की शूटिंग नरसिंहगढ़ जिले में हुई थी। इसके बाद से प्रदेश में फिल्म शूटिंग का सफर जारी है। फिलहाल प्रदेश में विस्तारम, महल, हरिओम और बफर जोन समेत पांच फिल्में और टीवी सीरियल्स की शूटिंग जारी है। बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्मों के अलावा आस्ट्रेलियन गर्थ डेविस द्वारा निर्देशित फिल्म लॉयन के कई दृश्य मप्र में शूट किए गए थे। ये फिल्म वर्ष 2016 में ऑस्कर में नामांकित हुई थी। इसी श्रृंखला में टीवी सीरीज शांताराम (द बीयर) और मीरा नायर द्वारा निर्देशित ए सूटेबल बॉय भी शामिल है। मीरा की एक अन्य फिल्म कामसूत्र की शूटिंग भी मप्र में हुई थी। हिंदी फिल्मों और वेबसीरीज में राजनीति, अशोका, शेेरनी, गुल्लक, पंचायत, प्यार किया तो डरना क्या, दुर्गामती, छोरी, निर्मल पाठक की घर वापसी, महारानी, जनहित में जारी, मोतीचूर चकनाचूर, कलंक, गंगाजल-2, रिवॉल्वर रानी, तेवर, दबंग-2, बाजीरवा-मस्तानी, मोहनजोदाड़ो, यमला-पगला-दीवाना, स्त्री, सूई धागा, पैडमेन शामिल हैं।