रील्स बनाने पर डांट पड़ी तो घर से भाग गई दो सहेलियां, यूपी से लेकर एमपी तक हड़कंप | after getting scolded by parents over reels 2 girls fled away | Patrika News h3>
दरअसल, उत्तर प्रदेश के दो बड़े कारोबारियों की 15-16 साल की बेटियों को जब उनके माता-पिता ने मोबाइल पर रील्स बनाने पर फटकार लगाई तो यह दोनों ही सहेलियां डांट सहन नहीं कर सकीं। दोनों इतना गुस्सा हो गईं कि बगैर सोचे-समझे घर से भाग निकली। यह दोनों ही मुंबई जाने वाली ट्रेन में बैठ गई। हालांकि भोपाल रेलवे स्टेशन में दोनों बच्चियों को रेलवे की चाइल्ड लाइन टीम ने पहचान लिया और काउंसलिंग के बाद अभिभावकों को सौंप दिया।
ट्रेन में बैठने के बाद याद आई
यह दोनों बच्चियां घर वालों से नाराज होकर ट्रेन में तो बैठ गई, लेकिन बाद में जब माता-पिता की याद आई तो रोने लगी। जैसे-तैसे परेशान होकर उन्होंने कुशीनगर एक्सप्रेस से भोपाल तक का सफर किया।
अभिभावक बोले- पढ़ाई नहीं करतीं, रील्स बनाती रहती हैं
इन बच्चियों के अभिभावकों ने बताया कि यह बच्चियां पढ़ाई नहीं करती हैं और रील्स बनाने में जुटी रहती हैं। दोनों ही बच्चियों के अभिभावकों ने कहा कि उन्होंने कोरानाकाल में ऑनलाइन क्लासेस के लिए मोबाइल दिलाया था। अब वे पढ़ाई छोड़कर गेम्स खेलती हैं, रील्स बनाती रहती हैं और दोस्तों के साथ चैकिंग में समय व्यर्थ करती हैं। काफी समझाने के बावजूद यह नहीं समझ रही थी, इसलिए डांट भी लगाई थी।
बगैर सोचे-समझे भागीं
आजकल के बच्चों को अच्छे से समझाना चाहिए कि वे माता-पिता की बातों को गौर से समझें और उन पर अमल करें। पेरेंट्स की ट्रेनिंग में यह कमजोरी है कि बच्चे मामूली सी फटकार भी बच्चे सहन नहीं कर पाते और घर से भागने का फैसला ले लेते हैं। यह बच्चियां भी घर से भाग निकलीं। बच्चियों के भागने के बाद अभिभावकों ने पुलिस प्रशासन को सूचना दी, इसके बाद रेलवे चाइल्ड लाइन और आरपीएफ की टीम ने कुशीनगर ट्रेन में इन्हें ढूंढ निकाला। तब तक यह बच्चियां भोपाल पहुंच चुकी थीं। इन किशोरियों को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश किया गया। सीडब्ल्यूसी के सदस्य ब्रिज त्रिपाठी के मुताबिक दोनों बच्चियां यूपी के व्यवसायी परिवारों से हैं। उनकी काउंसलिंग के बाद उन्हें परिवार को सौंप दिया गया।
डर के कारण सुना दी झूठी कहानी
अपने घर से भागने के लिए भी घर वालों से डांट न पड़े, इसलिए परिवार वालों को फोन करके इन बच्चियों ने अपने अपहरण की झूठी कहानी सुना दी। बच्चियों ने उन्हें बताया कि कुछ लोगों ने ट्रेन के बाथरूम में उन्हें बांध रखा है। जब भोपाल टीम ने काफी मशक्कत के बाद दोनों किशोरियों को ढूंढ लिया तो वे आराम से ट्रेन में सफर करती हुई मिली। पूछताछ में किशोरियों ने बताया कि पापा-मम्मी उन पर मोबाइल को लेकर गुस्सा करते हैं। जब भी हम रील्स देखने या बनाते हैं तो बहुत डांटते हैं। जो हमको अच्छा नहीं लगता है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के दो बड़े कारोबारियों की 15-16 साल की बेटियों को जब उनके माता-पिता ने मोबाइल पर रील्स बनाने पर फटकार लगाई तो यह दोनों ही सहेलियां डांट सहन नहीं कर सकीं। दोनों इतना गुस्सा हो गईं कि बगैर सोचे-समझे घर से भाग निकली। यह दोनों ही मुंबई जाने वाली ट्रेन में बैठ गई। हालांकि भोपाल रेलवे स्टेशन में दोनों बच्चियों को रेलवे की चाइल्ड लाइन टीम ने पहचान लिया और काउंसलिंग के बाद अभिभावकों को सौंप दिया।
ट्रेन में बैठने के बाद याद आई
यह दोनों बच्चियां घर वालों से नाराज होकर ट्रेन में तो बैठ गई, लेकिन बाद में जब माता-पिता की याद आई तो रोने लगी। जैसे-तैसे परेशान होकर उन्होंने कुशीनगर एक्सप्रेस से भोपाल तक का सफर किया।
अभिभावक बोले- पढ़ाई नहीं करतीं, रील्स बनाती रहती हैं
इन बच्चियों के अभिभावकों ने बताया कि यह बच्चियां पढ़ाई नहीं करती हैं और रील्स बनाने में जुटी रहती हैं। दोनों ही बच्चियों के अभिभावकों ने कहा कि उन्होंने कोरानाकाल में ऑनलाइन क्लासेस के लिए मोबाइल दिलाया था। अब वे पढ़ाई छोड़कर गेम्स खेलती हैं, रील्स बनाती रहती हैं और दोस्तों के साथ चैकिंग में समय व्यर्थ करती हैं। काफी समझाने के बावजूद यह नहीं समझ रही थी, इसलिए डांट भी लगाई थी।
बगैर सोचे-समझे भागीं
आजकल के बच्चों को अच्छे से समझाना चाहिए कि वे माता-पिता की बातों को गौर से समझें और उन पर अमल करें। पेरेंट्स की ट्रेनिंग में यह कमजोरी है कि बच्चे मामूली सी फटकार भी बच्चे सहन नहीं कर पाते और घर से भागने का फैसला ले लेते हैं। यह बच्चियां भी घर से भाग निकलीं। बच्चियों के भागने के बाद अभिभावकों ने पुलिस प्रशासन को सूचना दी, इसके बाद रेलवे चाइल्ड लाइन और आरपीएफ की टीम ने कुशीनगर ट्रेन में इन्हें ढूंढ निकाला। तब तक यह बच्चियां भोपाल पहुंच चुकी थीं। इन किशोरियों को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश किया गया। सीडब्ल्यूसी के सदस्य ब्रिज त्रिपाठी के मुताबिक दोनों बच्चियां यूपी के व्यवसायी परिवारों से हैं। उनकी काउंसलिंग के बाद उन्हें परिवार को सौंप दिया गया।
डर के कारण सुना दी झूठी कहानी
अपने घर से भागने के लिए भी घर वालों से डांट न पड़े, इसलिए परिवार वालों को फोन करके इन बच्चियों ने अपने अपहरण की झूठी कहानी सुना दी। बच्चियों ने उन्हें बताया कि कुछ लोगों ने ट्रेन के बाथरूम में उन्हें बांध रखा है। जब भोपाल टीम ने काफी मशक्कत के बाद दोनों किशोरियों को ढूंढ लिया तो वे आराम से ट्रेन में सफर करती हुई मिली। पूछताछ में किशोरियों ने बताया कि पापा-मम्मी उन पर मोबाइल को लेकर गुस्सा करते हैं। जब भी हम रील्स देखने या बनाते हैं तो बहुत डांटते हैं। जो हमको अच्छा नहीं लगता है।