राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का देश के नाम संदेश- अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का देश के नाम संदेश- अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का देश के नाम संदेश- अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि गणतंत्र दिवस वीरो को याद करने का दिन है। राष्ट्रपति ने कहा कि 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को मेरी हार्दिक बधाई! यह हम सबको एक सूत्र में बांधने वाली भारतीयता के गौरव का उत्सव है। राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक सिक्के के दो पहलू हैं।

सन 1950 में आज ही के दिन हम सब की इस गौरवशाली पहचान को औपचारिक स्वरूप प्राप्त हुआ था। राष्ट्रपति ने कहा कि हर साल गणतंत्र दिवस के दिन हम अपने गतिशील लोकतंत्र तथा राष्ट्रीय एकता की भावना का उत्सव मनाते हैं। महामारी के कारण इस वर्ष के उत्सव में धूम-धाम भले ही कुछ कम हो परंतु हमारी भावना हमेशा की तरह सशक्त है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि गणतंत्र दिवस का यह दिन उन महानायकों को याद करने का अवसर भी है जिन्होंने स्वराज के सपने को साकार करने के लिए अतुलनीय साहस का परिचय दिया तथा उसके लिए देशवासियों में संघर्ष करने का उत्साह जगाया। मानव समुदाय को एक-दूसरे की सहायता की इतनी जरूरत कभी नहीं पड़ी थी जितनी कि आज है। अब दो साल से भी अधिक समय बीत गया है लेकिन मानवता का कोरोना वायरस के विरुद्ध संघर्ष अभी भी जारी है। इस महामारी में हज़ारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है।

राष्ट्रपति के देश के नाम संबोधन की बड़ी बातें-

– महामारी का प्रभाव अभी भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है, हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने बचाव में ढील नहीं देनी चाहिए। हमने अब तक जो सावधानियां बरती हैं, उन्हें जारी रखना है। 

– संकट की इस घड़ी में हमने यह देखा है कि कैसे हम सभी देशवासी एक परिवार की तरह आपस में जुड़े हुए हैं

– पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर आघात हुआ है। विश्व समुदाय को अभूतपूर्व विपदा का सामना करना पड़ा है। नित नए रूपों में यह वायरस नए संकट प्रस्तुत करता रहा है। 

– मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य क्षमता का प्रदर्शन किया।

– इन प्रयासों के बल पर हमारी अर्थव्यवस्था ने फिर से गति पकड़ ली है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की दृढ़ता का यह प्रमाण है कि पिछले साल आर्थिक विकास में आई कमी के बाद इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के प्रभावशाली दर से बढ़ने का अनुमान है।



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