योगी के ब्रैंड बनने की क्या है वजह? Yogi सरकार 2.0 के 1 साल में सख्त प्रशासक और चतुर राजनेता के रूप में उभरे CM
अगर योगी तमाम दूसरे राज्यों के लिए मॉडल बने हैं, तो उसकी वजहें भी हैं। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने खुद को एक सख्त प्रशासक के रूप में स्थापित किया है, खासतौर पर कानून-व्यववस्था के मोर्चे पर, जहां ‘बुलडोजर’ उनकी सख्ती का प्रतीक बना। राजनीति में जनधारणा की महती भूमिका होती है और उसी का नतीजा है कि चुनावी राज्यों में बीजेपी के लिए योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा मांग वाले नेता बन चुके हैं।
मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ की छवि भले ही कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में रही हो, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने यह स्थापित किया है कि उनके फैसले किसी खास धर्म या जाति के लिए नहीं होते हैं। धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारने का आदेश हुआ तो मंदिर से भी उतरे और मस्जिद से। सार्वजनिक स्थलों पर नमाज पढ़ने की मनाही हुई तो आरती भी नहीं होने पाई।
पार्टी के खेवनहार भी बने
मुख्यमंत्री बनने से पहले तक योगी आदित्यनाथ का सियासी तजुर्बा पूर्वांचल यूपी के कुछ खास जिलों तक ही सीमित था, छह साल के दरमियान वह सिर्फ एक सख्त प्रशासक के रूप में ही स्थापित ही नहीं हुए बल्कि सियासी बिसात पर बेहतरीन चाल चलने वाले खिलाड़ी के रूप में भी उनकी पहचान बनी।
2022 में उन्होंने यूपी में बीजेपी की सिर्फ वापसी ही नहीं करवाई बल्कि उसके बाद उन्होंने रामपुर से लेकर आजमगढ़ जैसे विपक्षी गढ़ों जीतकर साबित किया कि उनकी चालों की काट फिलहाल विपक्ष के पास नहीं है। अब बीजेपी के अंदर भी यह बात कही-सुनी जाने लगी है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ का कोई विकल्प नहीं है।