युवती की शादी में रोडा बना बड़ा चीरा तो डॉक्टर्स को अखर गई बात ,बदल दी इलाज की तकनीक | To remove the obstruction in the social life of children and women | Patrika News h3>
सवाई मानसिंह अस्पताल ने बदली हार्ट सर्जरी की पुरानी तकनीक,नई तकनीक हुई वरदान साबित
जयपुर
Published: March 04, 2022 11:25:02 am
जयपुर
एक युवती की छाती पर सर्जरी से लगा बड़ा चीरा उसकी शादी में रोडा बना तो डॉक्टर्स को यह बात अखर गई। जिसके बाद जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने बच्चों और महिलाओं के सामाजिक जीवन में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए इलाज की तकनीक ही बदल दी। नई तकनीक अब तक हजारों मरीजों के लिए वरदान साबित हो चुकी हैं। एसएमएस अस्पताल के कार्डियो थोरोसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट ने ओपन हार्ट सर्जरी की नई तकनीक इजात की। जिसमे डॉक्टर्स ने सीने की हड्डी को काटे बिना छोटे से चीरे से हार्ट सर्जरी करना शुरू किया। एसएमएस अस्पताल के सीनियर कार्डियो सर्जन डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि साल 2013 में एक युवती से मुलाकात हुई। जिसकी हमने डबल वेल सर्जरी की थी। चिकित्सकों ने युवती की छाती की हड्डी काट सर्जरी की थी। जिसके कारण उसकी छाती पर बड़ा चीरा लग गया था। गंगानगर की युवती के पिता ने हमसे उसकी शादी के लिए पूछा था। जिसके बाद उसके स्वास्थ्य की जांच कर डॉक्टर्स ने उसे सामाजिक जीवन जीने के लिए फीट बताया था। लेकिन छाती पर लगा सर्जरी का बड़ा चीरा लड़की के विवाह में रुकावट बन गया। डॉक्टर के पूछे जाने पर युवती के पिता ने बताया कि बेटी की शादी इसलिए नहीं हो रही क्योकि छाती पर दिखने वाला सर्जरी का चीरा देख सब मना कर देते है। जो बात डॉ.अनिल शर्मा को काफी अखर गई। शर्मा को लगा कि मरीज जब एकदम ठीक है तो उसे सामाजिक जीवन में परेशानी क्यो आ रही है। उन्हें लगा कि ऐसे कितने ही मरीजों को सामाजिक रुप से परेशानी आ रही होगी। जो बात डॉक्टर्स को परेशान करने लगी तो एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों ने हार्ट सर्जरी के लिए एक नई तकनीकी को इजाद किया। जिसमें बिना छाती की हड्डी काटे हार्ट सर्जरी की जाने लगी। पहले चिकित्सकों ने सिंगलवेल सर्जरी से इसकी शुरूआत की और साइड से एक छोटा सा चीरा लगाकर ट्रिपल वेल तक की सर्जरी करना शुरू कर दी जो बहुत मुश्किल होती हैं। डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि सामान्यतः ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान सीने की हड्डी को काटा जाता है, लेकिन अब बिना हड्डी काटे हार्ट के अलग-अलग तरह ऑपरेशन किए जा रहे हैं। खासतौर पर बच्चों और महिलाओं की सर्जरी तो इसी तकनीक से की जा रही है जिससे की उन्हें सामाजिक जीवन को जीने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए।
इस तकनीक से टोसिंग बिंग (दिल में छेद) तक की बीमारी की सर्जरी की जा रही है। अभी तक लगभग एक हजार से अधिक ऑपरेशन छोटा चीरा लगाकर किया जा चुका हैं। छोटे चीरे से होने वाले ऑपरेशन के कई तरह के फायदे है। इसमें मरीज के इंफेक्शन का खतरा दूर हो जाता है और खर्चा भी कम आता है। साथ ही शरीर पर दिखने वाला बड़ा निशान भी नहीं दिखता है।
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सवाई मानसिंह अस्पताल ने बदली हार्ट सर्जरी की पुरानी तकनीक,नई तकनीक हुई वरदान साबित
जयपुर
Published: March 04, 2022 11:25:02 am
जयपुर
एक युवती की छाती पर सर्जरी से लगा बड़ा चीरा उसकी शादी में रोडा बना तो डॉक्टर्स को यह बात अखर गई। जिसके बाद जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने बच्चों और महिलाओं के सामाजिक जीवन में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए इलाज की तकनीक ही बदल दी। नई तकनीक अब तक हजारों मरीजों के लिए वरदान साबित हो चुकी हैं। एसएमएस अस्पताल के कार्डियो थोरोसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट ने ओपन हार्ट सर्जरी की नई तकनीक इजात की। जिसमे डॉक्टर्स ने सीने की हड्डी को काटे बिना छोटे से चीरे से हार्ट सर्जरी करना शुरू किया। एसएमएस अस्पताल के सीनियर कार्डियो सर्जन डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि साल 2013 में एक युवती से मुलाकात हुई। जिसकी हमने डबल वेल सर्जरी की थी। चिकित्सकों ने युवती की छाती की हड्डी काट सर्जरी की थी। जिसके कारण उसकी छाती पर बड़ा चीरा लग गया था। गंगानगर की युवती के पिता ने हमसे उसकी शादी के लिए पूछा था। जिसके बाद उसके स्वास्थ्य की जांच कर डॉक्टर्स ने उसे सामाजिक जीवन जीने के लिए फीट बताया था। लेकिन छाती पर लगा सर्जरी का बड़ा चीरा लड़की के विवाह में रुकावट बन गया। डॉक्टर के पूछे जाने पर युवती के पिता ने बताया कि बेटी की शादी इसलिए नहीं हो रही क्योकि छाती पर दिखने वाला सर्जरी का चीरा देख सब मना कर देते है। जो बात डॉ.अनिल शर्मा को काफी अखर गई। शर्मा को लगा कि मरीज जब एकदम ठीक है तो उसे सामाजिक जीवन में परेशानी क्यो आ रही है। उन्हें लगा कि ऐसे कितने ही मरीजों को सामाजिक रुप से परेशानी आ रही होगी। जो बात डॉक्टर्स को परेशान करने लगी तो एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों ने हार्ट सर्जरी के लिए एक नई तकनीकी को इजाद किया। जिसमें बिना छाती की हड्डी काटे हार्ट सर्जरी की जाने लगी। पहले चिकित्सकों ने सिंगलवेल सर्जरी से इसकी शुरूआत की और साइड से एक छोटा सा चीरा लगाकर ट्रिपल वेल तक की सर्जरी करना शुरू कर दी जो बहुत मुश्किल होती हैं। डॉ.अनिल शर्मा ने बताया कि सामान्यतः ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान सीने की हड्डी को काटा जाता है, लेकिन अब बिना हड्डी काटे हार्ट के अलग-अलग तरह ऑपरेशन किए जा रहे हैं। खासतौर पर बच्चों और महिलाओं की सर्जरी तो इसी तकनीक से की जा रही है जिससे की उन्हें सामाजिक जीवन को जीने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आए।
इस तकनीक से टोसिंग बिंग (दिल में छेद) तक की बीमारी की सर्जरी की जा रही है। अभी तक लगभग एक हजार से अधिक ऑपरेशन छोटा चीरा लगाकर किया जा चुका हैं। छोटे चीरे से होने वाले ऑपरेशन के कई तरह के फायदे है। इसमें मरीज के इंफेक्शन का खतरा दूर हो जाता है और खर्चा भी कम आता है। साथ ही शरीर पर दिखने वाला बड़ा निशान भी नहीं दिखता है।
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