मां बोली, मुझे खा लो, बेटे ने कलेजा निकालकर खाया: पैसों के लिए हुआ झगड़ा; बिना गवाह कैसे सुलझी गुत्थी, कोल्हापुर मर्डर केस, आज पार्ट-2 h3>
टिन की छत वाले एक झोपड़ीनुमा घर में एक बूढ़ी महिला की लाश कटी-फटी पड़ी थी। बगल में उसका बेटा सुनील बैठकर मांस जैसा कुछ खा रहा था। महिला के बड़े बेटे राजू ने पुलिस से कहा कि उसकी मां यल्लवा का खून उसके छोटे भाई सुनील ने ही किया है।
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दैनिक NEWS4SOCIALकी नई सीरीज मृत्युदंड के कोल्हापुर मर्डर केस के पहले पार्ट में आपने इतनी कहानी तो जान ही ली। अब दूसरे पार्ट में जानेंगे कि पुलिस असली हत्यारे तक कैसे पहुंची…
पुलिस सुनील को शाहुपुरी थाने ले जा चुकी थी। राजू कुचकोरवी और पड़ोसी मयूर कंडले सुनील के खिलाफ धारा 302 के तहत FIR लिखा रहे थे। राजू का कहना था कि उसके सगे भाई सुनील ने ही मां यल्लवा रामा कुचकोरवी की हत्या की है।
मयूर कंडले ने हेड कॉन्स्टेबल तानाजी से कहा- साहेब, मैं सुनील का पड़ोसी हूं, मैंने उसे बचपन से देखा है। वो किसी भी जानवर को हाथ से पकड़कर मार देता था।
सुनील के पिता ने दो शादी की थी। पहली पत्नी से एक बेटी हुई। फिर उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। राजू और सुनील दूसरी पत्नी के बेटे हैं। राजू बड़ा है, सुनील छोटा।
पिता नगर निगम में सफाई कर्मचारी थे। रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती थी। एक साल पहले ही उनकी मौत हुई। अब पेंशन दोनों पत्नियों के बीच आधी-आधी बंट गई। सुनील की मां के हाथ में बमुश्किल 6 हजार रुपए आते थे।
शुरुआत में सुनील, वेल्डिंग की दुकान पर काम करता था। जब वह ज्यादा नशा करने लगा, तब उसे नौकरी से निकाल दिया गया। बाद में सुनील को कहीं और भी काम मिलना बंद हो गया। एक रात पहले मां-बेटे के बीच पैसों को लेकर लड़ाई हुई थी। लड़ाई तो वैसे हर रोज होती थी। सुनील अपनी मां से हमेशा शराब, ड्रग्स खरीदने के लिए पैसे मांगा करता था और मां इनकार कर देती थी।
सुनील नॉनवेज खाने का शौकीन था। वो अक्सर मां से पैसे लेकर बाजार से मांस खरीदकर लाता, पकाता और फिर खाता। कई बार तो बंदर, सुअर भी काटकर खा लेता।
उस रोज भी कुछ ऐसा ही हुआ। दोपहर 12 बजे के आस-पास सुनील के घर से लड़ाई-झगड़े की आवाज आ रही थी। मां पैसे देने से इनकार कर रही थी। उसे मटन खाना था। जब लड़ाई हुई, तो मां ने गुस्से में सुनील से कहा- तुझे इतना ही मटन खाने का भूत चढ़ा है, तो मुझे ही मारकर खा ले।
हम लोग गणपति पूजा के लिए पंडाल बना रहे थे। बच्चे गली में गेंद से खेल रहे थे। इनमें राजू की बेटी यानी सुनील की भतीजी रक्षिता भी थी।
खेलते-खेलते गेंद नाली में चली गई। जब वह गेंद लेने गई, तो देखा नाली में खून बह रहा था। खून, सुनील के घर की तरफ से ही आ रहा था। वह भागी-भागी सुनील के घर गई। जो मंजर उसने देखा उसके बाद तो चीख-पुकार मच गई।
उसने देखा कि कमरे में दादी की लाश पड़ी थी। बगल में उसका चाचा सुनील खून से नहाया बैठा था। चारों तरफ हल्ला हो गया। राजू भी अपने भाई सुनील के घर पहुंचा। मां की डेड बॉडी देखते ही उसने सुनील को दो थप्पड़ जड़ दिए, लेकिन सुनील वहीं बैठा रहा।
अब घटना को 3 दिन बीत चुके थे। कोर्ट में पेशी के बाद सुनील पुलिस कस्टडी में था। जब इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (IO) संजय मोरे ने सख्ती से सुनील कुचकोरवी से पूछताछ शुरू की, तब वह उन्हें घूरने लगा। उसके चेहरे पर पछतावे की शिकन तक नहीं थी।
वह बार-बार चिल्लाते हुए यही कहता- मैंने मां को नहीं मारा। मैं क्यों मां को मारूंगा? मैंने तो बस बिल्ली मारी थी।
पुलिस के लिए यह केस और उलझता जा रहा था। यदि सुनील ने बिल्ली मारी, तो फिर यल्लवा को किसने मारा, वो भी इतने निर्मम तरीके से…।
पुलिस ने एक-एक कर बस्ती के 34 गवाहों के बयान दर्ज किए। सभी ने एक जैसी बातें ही कहीं- सुनील पहले तो ठीक था, लेकिन 2013-14 के बाद नशे का आदी हो गया। घर में मां-पत्नी, सबके साथ मार-पिटाई लड़ाई झगड़ा करता था।
इसी से तंग आकर उसकी पत्नी लक्ष्मी अपने रिश्तेदार के यहां मुंबई चली गई थी। चार-चार बच्चे, सुनील को इन बच्चों की भी कोई फिक्र नहीं होती थी। जब लक्ष्मी घर पर नहीं थी, तब उसकी मां ही उसे खाना बनाकर खिलाती थी। उसकी देखभाल करती थी।
हम लोग जब भी सुनील के घर के पास से गुजरते, लड़ाई-झगड़े की ही आवाज आती। वह काम पर भी नहीं जाता था। दिनभर नशे में बैठा रहता था। अगर यल्लवा पैसे देने से इनकार कर देती थी तो सुनील उसके साथ मार-पीट भी करता था।
जिस रोज कत्ल हुआ, उस वक्त घर में सुनील और यल्लवा के अलावा कोई नहीं था। राजू की 8 साल की बेटी रक्षिता ने आखिरी बार अपनी दादी को चाचा सुनील के साथ देखा था। दोपहर के 2 बजे रक्षिता ने ही सबसे पहले नाली में खून देखा था।
उसके बाद वह सुनील के घर की तरफ गई। वहां हाफ पैंट पहने खून से सना सुनील मां की लाश के बगल में बैठा था।
IO संजय मोरे ने सुनील को मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए सीपीआर हॉस्पिटल, कोल्हापुर भेज दिया था। वहां उसके नाखून और शरीर पर लगे खून का सैंपल लिया गया। वीभत्स अपराध करते वक्त सुनील नशे में था या होशो-हवास में, यह भी एग्जामिन किया गया।
पुलिस ने सबसे पहले साइंटिफिक लेवल पर सबूत जुटाने शुरू किए। वह कड़ी से कड़ी जोड़ने लगी।
फोरेंसिक टीम को क्राइम सीन से पसली की हड्डी का एक टुकड़ा भी तेल के बर्तन में मिला था। टीम ने तवे पर पड़े मांस के टुकड़े, पसली की हड्डी और चाकू को फोंरेसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) भेज दिया।
वहां से जो रिपोर्ट आई, वह चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट के मुताबिक तवे पर रखा मांस किसी जानवर का नहीं, बल्कि इंसान का था।
पुलिस के सामने फिर वही चुनौती कि यह मांस आखिर है किसका? यल्लवा का तो नहीं…। लाश के पास बैठा सुनील जो खा रहा था, वह ….।
संजय मोरे की आंखें चढ़ी की चढ़ी रह जाती हैं। अब मोरे को कुछ और रिपोर्ट्स का इंतजार था। गिरफ्तारी के तुरंत बाद पुलिस ने सुनील का स्टमक वॉश यानी उल्टी का सैंपल भी लिया था। इसमें उसने क्या खाया था, इसकी टेस्टिंग की गई थी। घटनास्थल से जो चाकू और कपड़े बरामद हुए थे, उसकी रिपोर्ट भी आनी थी।
जब लाश का DNA और मांस का DNA मिलाया गया, तो दोनों DNA मैच कर गया। अब ये क्लियर हो चुका था कि तवे पर पड़ा मांस, यल्लवा का ही कोई अंग था।
पुलिस ने दो DNA रिपोर्ट तैयार की। एक रिपोर्ट यल्लवा की और दूसरी, मिक्स DNA रिपोर्ट। इसमें पता चला कि जो खून, सुनील के शरीर, नाखून, कपड़े और चाकू पर लगा था, वह उसकी मां का ही था। यानी वो जो मांस खा रहा था, वह यल्लवा का ही कलेजा था।
इससे साबित हुआ कि सुनील ने पहले 3 धारदार चाकू से मर्डर किया। ये वही चाकू थे, जिससे सुनील बंदर, बकरा, सुअर जैसे जानवरों को मारने के लिए इस्तेमाल करता था। उसने पहले मां का कत्ल किया फिर छाती चीरकर, एक-एक करके कलेजा, आंत, दिल और बाकी अंग निकाले।
सुनील ने बॉडी के दाहिने तरफ के अंग निकाले थे। जो ऑर्गन्स मिले थे, टेस्ट में ये भी क्लियर हुआ कि वो कुछ घंटे पहले ही निकाले गए थे। यानी घटना को ज्यादा समय नहीं हुआ था।
पुलिस के मुताबिक सुनील नशे में नहीं था। उसने पूरे होशो-हवास में ये कत्ल किया और अंग भूनकर खाए।
हालांकि, किसी ने यल्लवा का कत्ल होते हुए नहीं देखा था। इसलिए पुलिस ने लास्ट सीन थ्योरी क्रिएट की यानी यल्लवा को मरने से पहले आखिरी बार सुनील की 8 साल की भतीजी रक्षिता ने ही जिंदा देखा था। तब सुनील ही यल्लवा के साथ था।
90 दिनों की तय समय-सीमा से 10 दिन पहले पुलिस ने कोर्ट में सुनील के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी। इसमें लास्ट सीन थ्योरी भी शामिल थी।
पुलिस के मुताबिक उसके पास जो रिपोर्ट्स थीं, वो साबित कर रही थीं कि यल्लवा का कत्ल सुनील ने ही किया है, लेकिन इस पूरे खूनी-खेल का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था।
बिना चश्मदीद गवाह के केवल रिपोर्ट्स के आधार पर क्या कोर्ट सुनील को दोषी मानेगा?
कल यानी रविवार को पढ़िए कोल्हापुर मर्डर केस का पार्ट-3
कोर्ट में वकील बोला- जिस मां के कोख से इस बेटे ने जन्म लिया, उसी को भूनकर खा गया
कोल्हापुर सेशन कोर्ट में साढ़े तीन साल तक मामला चला। जिरह में वकील ने कोर्ट में कहा- पुलिस इन्वेस्टिगेशन में जो DNA, FSL और पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट्स आई हैं। यह साबित करने के लिए काफी है कि यह एक असाधारण मर्डर है।
**** स्टोरी संपादन: उदिता सिंह परिहार