महावीर फोगाट बोले- विनेश को पैसे का लालच आ गया: मुझे गुरू का सम्मान नहीं दिया; हरियाणा सरकार ने कांग्रेस MLA को ₹4 करोड़ दिए – Charkhi dadri News h3>
विनेश फोगाट को इनाम देने के बाद बात करते हुए महावीर फोगाट।
बॉलीवुड स्टार आमिर खान की दंगल मूवी फेम महावीर फोगाट ने कांग्रेस MLA व रेसलर विनेश फोगाट पर सवाल खड़े किए हैं। महावीर विनेश फोगाट के ताऊ भी हैं। द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट ने कहा कि विनेश फोगाट ने उन्हें गुरु का सम्मान नहीं दिया।
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हरियाणा की BJP सरकार से मिली 4 करोड़ की राशि को लेकर महावीर फोगाट ने कहा-
विनेश के अंदर लालच आ गया, इसलिए वह गुरु की पुरस्कार राशि और अवॉर्ड भूल गईं।
महावीर दंगल गर्ल के नाम से मशहूर गीता फोगाट और बबीता फोगाट के पिता हैं। प्रदेश सरकार ने हाल ही में पेरिस ओलिंपिक से बिना मेडल लिए लौटीं रेसलर विनेश फोगाट को सिल्वर मेडलिस्ट जैसा सम्मान देने की घोषणा की थी। इसके बाद उन्हें 3 चॉइस दी गईं, जिनमें से विनेश ने 4 करोड़ रुपए का ऑफर स्वीकार कर लिया।
पेरिस ओलिंपिक से लौटने पर बलाली गांव में आयोजित सम्मान समारोह में विनेश फोगाट को आशीर्वाद देते ताऊ महावीर फोगाट व अन्य। – फाइल फोटो
महावीर फोगाट की विनेश को लेकर कहीं 3 अहम बातें…
- 1. खेल नीति से हटकर मिला मान-सम्मान: एक निजी चैनल से बातचीत में महावीर फोगाट ने कहा- हरियाणा सरकार ने विनेश के लिए जो किया है वह आज तक दुनिया में किसी ने किसी के लिए नहीं किया। सरकार ने लेन से हटकर, खेल नीति से अलग जाकर उसे मान-सम्मान दिया है। एक गोल्ड मेडलिस्ट को भी इतना मान-सम्मान नहीं मिलता। इसके लिए सरकार की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है।
- 2. विनेश ने आज तक गुरु का सम्मान नहीं दिया: महावीर फोगाट ने कहा- जो खिलाड़ी अवॉर्ड राशि लेकर आते हैं, उसमें गुरु का भी अधिकार होता है। गुरू की भी अवॉर्ड राशि होती है। अगर विनेश को पैसे का लालच नहीं आया होता तो उसने आज तक मुझे गुरु का जो सम्मान होता है, जो अवॉर्ड होता है, वह नहीं दिया।
- 3. उसके लिए मैंने सारी मेहनत की: महावीर फोगाट बोले- मैंने अपनी मर्जी से उसके (विनेश के) फॉर्म भरवाए। मैंने उसे ऊपर तक पहुंचाया, मैंने ही सारी मेहनत की। मेरे सिवाय विनेश का दूसरा गुरू भी नहीं है। फिर भी उसने आज तक मुझे मान-सम्मान नहीं दिया। पैसे के लालच में गुरू का अवॉर्ड भी भूल गई।
बेटी गीता, बबीता, संगीता और रितु फोगाट के साथ महावीर फोगाट।
आमिर खान की दंगल मूवी का पोस्टर, यह मूवी महावीर फोगाट के बेटियों को रेसलर बनाने के संघर्ष और कामयाबी पर बनाई गई थी।
बबीता ने बताया था, विनेश की कामयाबी में पिता का क्या रोल… बबीता फोगाट ने कहा था कि पिता महावीर फोगाट ने विनेश को बतौर कोच ट्रेनिंग दी। उसने कभी चाचा का धन्यवाद तक नहीं किया। मनु भाकर ओलिंपिक पदक लेकर लौटीं तो कोच साथ थे। जब विनेश लौटी तो उनके पिता की जगह दीपेंद्र हुड्डा थे। इसलिए दीपेंद्र को ही द्रोणाचार्य पुरस्कार दे देना चाहिए था।
बबीता ने आगे कहा था-
मैंने अपने पिता को सिर्फ 3 बार रोते देखा। पहली बार तब, जब मेरी और मेरी बहनों की शादी हुई थी। दूसरी बार जब मेरे चाचा का निधन हुआ था और तीसरी बार जब विनेश पेरिस ओलिंपिक के फाइनल से बाहर हुई थी।
बबीता ने आगे कहा था- मैंने देखा है कि कैसे मेरे पिता ने कभी विनेश को उसके पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। जब मेरे चाचा का निधन हुआ, तो विनेश ने अपने भाई और बहन के साथ कुश्ती छोड़ दी। मेरे पिता उनके घर गए, उनकी मां से बात की और उन्हें खेल में वापस ले आए।
यहां तक कि जब वे सुबह 4 बजे ट्रेनिंग के मैदान पर नहीं पहुंचते थे तो वह उनके घर जाते और उन्हें ले आते। जब कोई ट्रेनिंग में इतनी मेहनत करता है और उसे कभी धन्यवाद नहीं मिलता है, तो यह किसी भी कोच के लिए भावनात्मक रूप से समझ में आने वाली बात है।
विनेश और बबीता भी आमने-सामने हो चुके विनेश फोगाट को बिना मेडल जीते इनात मिलने पर चचेरी बहन बबीता फोगाट ने सोशल मीडिया पर लिखा-“जो सुविधाएं मोदी सरकार में अब खिलाड़ियों को मिल रही हैं, अगर मुझे वही सुविधाएं मिलती तो मुझे खेल नहीं छोड़ना पड़ता”। मैंने 2018 में गेम छोड़ दिया।
बबीता फोगाट ने कहा था-
मैं उस पड़ाव में थी कि ओलिंपिक तक पहुंच गई थी, लेकिन मेडल नहीं मिल पाया। मुझे घुटनों में दिक्कत थी। यदि ये सुविधाएं मुझे 10 साल पहले मिल गई होतीं तो 2018 में गेम छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती। मैं लगातार खेलती।
इसके जवाब में विनेश ने लिखा- 2 रुपए लेकर ट्वीट करने वालों और फ्री का ज्ञान बांटने वालों जरा ध्यान से सुनो। तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि अब तक करोड़ों के ऑफर ठुकरा चुकी हूं। सॉफ्ट ड्रिंक्स से लेकर ऑनलाइन गेमिंग तक पर मैंने कभी अपने उसूलों का सौदा नहीं किया। जो कुछ भी हासिल किया है, मेहनत, ईमानदारी और अपनों के आशीर्वाद से किया है और उसी पर गर्व है।
विनेश ने आगे लिखा था-
जहां तक मांगने की बात है तो मैं उस धरती की बेटी हूं जहां आत्मसम्मान मां के दूध में घुला होता है। मैंने अपने पूर्वजों से सीखा है कि हक छीना नहीं जाता, जीता जाता है। जरूरत पड़ने पर अपनों को पुकारना भी आता है। जब कोई अपना तकलीफ में हो तो उनके साथ दीवार बनकर खड़ा रहना भी आता है।
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