मनोज जोशी का कॉलम: चीन से यूरोप की नजदीकियां अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं h3>
- Hindi News
- Opinion
- Manoj Joshi’s Column: Europe’s Proximity To China Is Now Slowly Increasing
1 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
मनोज जोशी विदेशी मामलों के जानकार
अमेरिका का टैरिफ-युद्ध अब अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में तब्दील होता दिख रहा है। जहां ट्रम्प के वैश्विक टैरिफों पर 90 दिन का विराम लगाया गया है, वहीं चीन पर टैरिफ बना हुआ है। यह टैरिफ अब आश्चर्यजनक रूप से 245% हो गया है। जवाब में बीजिंग ने भी टैरिफ लगाया, लेकिन वो कह रहा है कि वो अब इससे ऊपर नहीं जाएगा। पर इन टैरिफ-स्तरों पर इन दोनों देशों के बीच होने वाला सारा व्यापार थम गया होगा।
ट्रम्प और बाइडेन ने भी चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने की परिपाटी कायम की थी, जो अब शीर्ष पर पहुंच चुकी है। लेकिन लड़ाई तो अभी शुरू ही हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि टैरिफ के प्रभाव चीनियों पर भारी पड़ेंगे। उनके मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र- जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए खिलौने, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि का उत्पादन करता है- पर इसका बुरा असर पड़ेगा। लेकिन यह सब इस तथ्य के संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि चीन से अमेरिका को निर्यात पहले ही लगातार घट रहा था।
2018 में, जब पहला ट्रेड-वॉर शुरू हुआ था, तब अमेरिका का चीनी निर्यातों में 19.8% हिस्सा था, अब यह घटकर महज 12.8% रह गया है। चीन घरेलू खपत को बढ़ावा देकर निर्यात की भरपाई करना चाहता है। लेकिन चीनी उपभोक्ता कुख्यात रूप से कंजूस हैं। इसके लिए कुछ हद तक प्रतिबंधात्मक सरकारी नीति भी जिम्मेदार है। चीन की बचत दर भारत के 31% और वैश्विक औसत 28.2% की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से 44% है। अब सरकार अपने मध्यम वर्ग को अधिक उपभोग के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है और वेतन वृद्धि और अन्य साधनों को बढ़ावा दे रही है, ताकि घरेलू सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स की खपत को बढ़ा सके।
चीन ने रेयर-अर्थ धातुओं और मैग्नेट्स के निर्यात को रोक दिया है। चीन दुनिया की हेवी रेयर-अर्थ धातुओं की 99% आपूर्ति और 90% रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन करता है। ये रेयर-अर्थ मैग्नेट्स पारंपरिक चुम्बकों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं। नतीजतन, चीन रेयर-अर्थ धातुओं की आपूर्ति शृंखला पर हावी है और अमेरिका के रेयर-अर्थ धातु आयात के 70% से अधिक की आपूर्ति करता है। इन धातुओं का उपयोग सेमीकंडक्टर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, हथियार, सौर प्रौद्योगिकी, ईवी आदि बनाने के लिए किया जाता है। कार और ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक की असेम्बलिंग के लिए मैग्नेट्स जरूरी हैं।
जैसे-जैसे ट्रेड-वॉर आगे बढ़ा है, ट्रम्प ने चीन को छोड़कर भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों के लिए जैसे-को-तैसा टैरिफ पर 90 दिनों का विराम लगा दिया है। जबकि इनमें से अधिकांश देश अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सौदों पर बातचीत करने के लिए सहमत हो गए थे। वहीं चीन ने कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिका के टैरिफ का जवाब दिया है। अमेरिका को एहसास हो रहा है कि चीन के साथ भू-राजनीतिक मुकाबले के लिए उसे अपने सहयोगियों और साझेदारों की जरूरत है।
अमेरिका अब चीन का सामना करने के लिए अपने नेतृत्व वाले देशों का गठबंधन चाहता है। लेकिन उसके सहयोगी उदासीन बने हुए हैं। उन्होंने देखा है कि ट्रम्प के लिबरेशन डे पर क्या हुआ था, जब उन सभी पर टैरिफ थोप दिया गया था। इससे ईयू को 20%, वियतनाम को 46%, ताइवान को 32%, भारत को 26%, जापान को 24%, ऑस्ट्रेलिया को 10% की हानि हुई थी। अमेरिका के सहयोगियों का भरोसा डगमगा गया है। ईयू ने देखा है कि अमेरिका यूक्रेन पर किस हद तक हावी हो रहा है, रूस को गले लगा रहा है, ग्रीनलैंड और कनाडा पर दावा ठोक रहा है।
ईयू ने यह भी देखा कि ट्रम्प ने उसके बारे में कहा है कि यह संगठन हमें परेशान करने के लिए बनाया गया है। 30 मार्च को, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया ने पांच वर्षों में अपनी पहली आर्थिक वार्ता की मेजबानी की और त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। शी जिनपिंग वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया के साथ अपने संबंधों को गहरा करने के लिए राजकीय यात्राएं कर रहे हैं। चीन दुनिया के अधिकांश देशों का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है।
इसका एक उदाहरण अमेरिका का सहयोगी ऑस्ट्रेलिया है, जिसका अमेरिका को निर्यात चीन को उसके निर्यात का केवल 15% है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अब तक व्यापारिक संबंधों के चलते ही ताइवान पर युद्ध की संभावना कम थी। लेकिन अगर चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाएं अलग हो जाती हैं, तो इससे ताइवान पर धावा बोलने की चीन की योजनाओं पर कोई रोक नहीं होगी।
- यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने चीन के प्रधानमंत्री के साथ फोन पर बातचीत की और दोनों ने अमेरिकी संरक्षणवाद की निंदा करते हुए मुक्त और खुले व्यापार का आह्वान किया। जुलाई में ईयू-चीन शिखर सम्मेलन की योजना बनाई गई है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
खबरें और भी हैं…
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
- Hindi News
- Opinion
- Manoj Joshi’s Column: Europe’s Proximity To China Is Now Slowly Increasing
1 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
मनोज जोशी विदेशी मामलों के जानकार
अमेरिका का टैरिफ-युद्ध अब अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में तब्दील होता दिख रहा है। जहां ट्रम्प के वैश्विक टैरिफों पर 90 दिन का विराम लगाया गया है, वहीं चीन पर टैरिफ बना हुआ है। यह टैरिफ अब आश्चर्यजनक रूप से 245% हो गया है। जवाब में बीजिंग ने भी टैरिफ लगाया, लेकिन वो कह रहा है कि वो अब इससे ऊपर नहीं जाएगा। पर इन टैरिफ-स्तरों पर इन दोनों देशों के बीच होने वाला सारा व्यापार थम गया होगा।
ट्रम्प और बाइडेन ने भी चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने की परिपाटी कायम की थी, जो अब शीर्ष पर पहुंच चुकी है। लेकिन लड़ाई तो अभी शुरू ही हुई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि टैरिफ के प्रभाव चीनियों पर भारी पड़ेंगे। उनके मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र- जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए खिलौने, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि का उत्पादन करता है- पर इसका बुरा असर पड़ेगा। लेकिन यह सब इस तथ्य के संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि चीन से अमेरिका को निर्यात पहले ही लगातार घट रहा था।
2018 में, जब पहला ट्रेड-वॉर शुरू हुआ था, तब अमेरिका का चीनी निर्यातों में 19.8% हिस्सा था, अब यह घटकर महज 12.8% रह गया है। चीन घरेलू खपत को बढ़ावा देकर निर्यात की भरपाई करना चाहता है। लेकिन चीनी उपभोक्ता कुख्यात रूप से कंजूस हैं। इसके लिए कुछ हद तक प्रतिबंधात्मक सरकारी नीति भी जिम्मेदार है। चीन की बचत दर भारत के 31% और वैश्विक औसत 28.2% की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से 44% है। अब सरकार अपने मध्यम वर्ग को अधिक उपभोग के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है और वेतन वृद्धि और अन्य साधनों को बढ़ावा दे रही है, ताकि घरेलू सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स की खपत को बढ़ा सके।
चीन ने रेयर-अर्थ धातुओं और मैग्नेट्स के निर्यात को रोक दिया है। चीन दुनिया की हेवी रेयर-अर्थ धातुओं की 99% आपूर्ति और 90% रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन करता है। ये रेयर-अर्थ मैग्नेट्स पारंपरिक चुम्बकों की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं। नतीजतन, चीन रेयर-अर्थ धातुओं की आपूर्ति शृंखला पर हावी है और अमेरिका के रेयर-अर्थ धातु आयात के 70% से अधिक की आपूर्ति करता है। इन धातुओं का उपयोग सेमीकंडक्टर्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, हथियार, सौर प्रौद्योगिकी, ईवी आदि बनाने के लिए किया जाता है। कार और ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक की असेम्बलिंग के लिए मैग्नेट्स जरूरी हैं।
जैसे-जैसे ट्रेड-वॉर आगे बढ़ा है, ट्रम्प ने चीन को छोड़कर भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों के लिए जैसे-को-तैसा टैरिफ पर 90 दिनों का विराम लगा दिया है। जबकि इनमें से अधिकांश देश अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सौदों पर बातचीत करने के लिए सहमत हो गए थे। वहीं चीन ने कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिका के टैरिफ का जवाब दिया है। अमेरिका को एहसास हो रहा है कि चीन के साथ भू-राजनीतिक मुकाबले के लिए उसे अपने सहयोगियों और साझेदारों की जरूरत है।
अमेरिका अब चीन का सामना करने के लिए अपने नेतृत्व वाले देशों का गठबंधन चाहता है। लेकिन उसके सहयोगी उदासीन बने हुए हैं। उन्होंने देखा है कि ट्रम्प के लिबरेशन डे पर क्या हुआ था, जब उन सभी पर टैरिफ थोप दिया गया था। इससे ईयू को 20%, वियतनाम को 46%, ताइवान को 32%, भारत को 26%, जापान को 24%, ऑस्ट्रेलिया को 10% की हानि हुई थी। अमेरिका के सहयोगियों का भरोसा डगमगा गया है। ईयू ने देखा है कि अमेरिका यूक्रेन पर किस हद तक हावी हो रहा है, रूस को गले लगा रहा है, ग्रीनलैंड और कनाडा पर दावा ठोक रहा है।
ईयू ने यह भी देखा कि ट्रम्प ने उसके बारे में कहा है कि यह संगठन हमें परेशान करने के लिए बनाया गया है। 30 मार्च को, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया ने पांच वर्षों में अपनी पहली आर्थिक वार्ता की मेजबानी की और त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। शी जिनपिंग वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया के साथ अपने संबंधों को गहरा करने के लिए राजकीय यात्राएं कर रहे हैं। चीन दुनिया के अधिकांश देशों का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है।
इसका एक उदाहरण अमेरिका का सहयोगी ऑस्ट्रेलिया है, जिसका अमेरिका को निर्यात चीन को उसके निर्यात का केवल 15% है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अब तक व्यापारिक संबंधों के चलते ही ताइवान पर युद्ध की संभावना कम थी। लेकिन अगर चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाएं अलग हो जाती हैं, तो इससे ताइवान पर धावा बोलने की चीन की योजनाओं पर कोई रोक नहीं होगी।
- यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने चीन के प्रधानमंत्री के साथ फोन पर बातचीत की और दोनों ने अमेरिकी संरक्षणवाद की निंदा करते हुए मुक्त और खुले व्यापार का आह्वान किया। जुलाई में ईयू-चीन शिखर सम्मेलन की योजना बनाई गई है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
News