मंत्री के फैसले की समीक्षा करने का आपके पास अधिकार नहीं… जानिए CM शिंदे पर क्यों बिफर पड़ा बॉम्बे हाई कोर्ट
क्या है मामला?
यह मामला चंद्रपुर जिला सेंट्रल बैंक में कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है। दरअसल राज्य के चंद्रपुर जिले में बैंक की 93 शाखाएं हैं। यह शाखाएं चंद्रपुर जिला सेंट्रल बैंक के मातहत हैं। जिसमें कर्मचारियों के 885 पद स्वीकृत हैं। हालांकि, मौजूदा समय में केवल 525 पद भरे गए हैं जबकि 393 पोस्ट खाली हैं। इसको लेकर साल 2021 में 18 नवंबर को हुई बैठक में बैंक के निदेशक मंडल ने पदों को भरने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। जिसके पीछे यह वजह बताई गयी थी कि लोगों की कमी की वजह से कामकाज को सुचारू रूप से चलाने में दिक्कत आ रही है। इसके बाद यह प्रस्ताव सहकारिता आयुक्त के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। अगले साल यानी 25 फरवरी 2022 को सहकारिता आयुक्तालय ने इस बैंक की भर्ती को मंजूरी दे दी थी।
हालांकि, अदालत में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि बैंक के चेयरमैन संतोष सिंह रावत के राजनीतिक विरोधियों ने उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार से झूठी शिकायत की थी। अदालत में दायर याचिका में बैंक के ऊपर एक प्रशासक नियुक्त करने की मांग की गयी थी। इस याचिका के खिलाफ याचिकाकर्ता यानी जिला बैंक के मौजूदा निदेशक मंडल ने अदालत में याचिका दायर की थी। इसके अलावा राज्य के सहकारिता मंत्री के पास अपील दायर की थी। इस मामले में राज्य के सहकारिता मंत्री अतुल सावे ने 22 नवंबर 2022 को भर्ती पर रोक को रद्द कर दिया था। मामला तब बिगड़ गया जब बैंक भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के समय मुख्यमंत्री ने 29 नवंबर, 2022 को एक आदेश जारी कर भर्ती पर दोबारा लगा दी।
सीएम पर बिफरा कोर्ट
मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता ने फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस भर्ती पर से रोक हटा ली है। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री सहकारिता विभाग के प्रमुख नहीं थे। इतना ही नहीं उन्हें सहकारिया विभाग के मंत्री से ज्यादा विशेषाधिकार भी प्राप्त नहीं थे। साथ ही ऐसा कोई नियम भी नहीं है कि किसी मंत्री को मुख्यमंत्री से कम माना जाता है। सीएम को ऐसा फैसला लेते समय यह भी स्पष्ट करना चाहिए था कि वह किस प्रावधान के तहत ऐसा कर रहे हैं।