Explained: FBU केस क्या है जिसमें सिसोदिया के खिलाफ हुआ मुकदमा

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Explained: FBU केस क्या है जिसमें सिसोदिया के खिलाफ हुआ मुकदमा

Explained: FBU केस क्या है जिसमें सिसोदिया के खिलाफ हुआ मुकदमा

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दिल्ली शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद सिसोदिया एक और मुसीबत में फंस गए हैं। दरअसल सीबीआई ने शराब घोटाले के अलावा सिसोदिया और 6 अन्य लोगों को आम आदमी पार्टी की कथित फीडबैक यूनिट से जुड़े जासूसी मामले में आरोपी बनाया है। मनीष सिसोदिया और 7 और लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत FIR दर्ज की है। इसमें सीएम केजरीवाल के सलाहकार गोपाल मोहन का नाम भी शामिल है। इसके बाद राजनीति गर्म हो गई। सीएम केजरीवाल ने इस कार्रवाई को दुखद बताया। उन्होंने पीएम मोदी पर सीधे साजिश का आरोप लगा दिया। कहा- केंद्र सरकार मनीष सिसोदिया पर झूठे केस लगाकर उन्हें लंबे समय तक जेल में ही रखना चाहिए था। लेकिन शराब घोटाले की चर्चा के बीच यह नया जासूसी मामला क्या है जिसपर एक बार फिर मनीष सिसोदिया घिरते नजर आ रहे हैं। आइए सरल शब्दों में पूरी बात समझते हैं।

क्या है पूरा मामला समझिए
दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने साल 2016 यानी आज से ठीक 7 साल पहले दिल्ली सरकार के अंडर काम करने वाले कर्मचारियों के करप्शन और कामकाज पर नजर रखने के लिए एक यूनिट का गठन किया था। नाम रखा- फीडबैक यूनिट(FBU)। इसे सबसे पहले 2015 में 29 सितंबर को केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। इसके बाद तब के सेक्रेटरी विजिलेंस ने 28 अक्टूबर 2015 को सीएम अरविंद केजरीवाल के पास मंजूरी के लिए प्रपोजल भेजा गया जिसे उन्होंने बाद में मंजूर कर लिया गया। इसके बाद अगले साल 2016 में इसका गठन कर दिया गया।

इसके गठन के बाद से ही यह सवालों के घेरे में आ गई। इसपर आरोप लगा कि फरवरी 2016 से सितंबर 2016 के बीच FBU ने राजनीतिक विरोधियों की जासूसी की थी। इसकी मदद से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के अलाव आम आदमी पार्टी के नेताओं की भी जासूसी की गई थी। हैरत की बात यह है कि इस यूनिट के गठन के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल की भी अनुमति नहीं ली गई थी। सीबीआई ने इसपर 14 मार्च को ही FIR दर्ज कर ली थी। सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के अलावा जिन 6 लोगों को आरोपी बनाया है उनमें तब के विजिलेंस सचिव सुकेश कुमार जैन, सीएम के स्पेशल एडवायजर और ज्वाइंट डायरेक्टर, फीडबैक यूनिट राकेश कुमार सिन्हा, दिल्ली फीडबैक यूनिट के डेप्युटी डायरेक्टर प्रदीप कुमार पुंज, दिल्ली सरकार के फीडबैक ऑफिसर के रूप में काम करने वाले सीतश खेत्रपाल और सीएम केजरीवाल के सलाहकार गोपाल मोहन के नाम शामिल हैं।

बिंदुवार समझिए मेन मामला

भर्तियों को लेकर भी गोलमोल
फीडबैक यूनिट का जब 2016 में गठन हुआ तब इसमें शुरुआत में 20 लोगों को भर्तियां की जानी थी। इसके लिए दिल्ली सरकार के उद्योग विभाग की 22 पोस्ट को खत्म कर के लिया जाना था। बाद में दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्यूरो की 88 पोस्ट में से 20 भर्तियां FBU में करने की बात हुई थी। ACB विजिलेंस विभाग के अंडर काम करता है। वहीं एसीबी की जिन 88 पोस्ट को भरने की बाक कही जा रही थी उसका भी सिर्फ प्रपोजल था और एलजी की तरफ से अनुमति नहीं ली गई थी।

सीबीआई ने जांच में क्या-क्या पाया?
सीबीआई ने अपनी जांच में बताया कि नियमों को ताक पर रखकर फीडबैक यूनिट का गठन और उसकी वर्किंग के चलते सरकार को 36 लाख रुपये का राजकोषीय घाटा हुआ है। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि फीडबैक यूनिट की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में 40 फीसदी मामले राजनीतिक और व्यक्तिगत थे। जोकि इस यूनिट के कार्यशैली के बिल्कुल विपरीत थे। सीबीआई ने यह भी बताया कि इस यूनिट के तहत किसी भी अधिकारी और विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में यह भी बताया गया कि ज्यादातर मामले बिना विजिलेंस विभाग, पुलिस और दूसरे विभाग को बताए कई दिनों से पेंडिंग पड़े हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने पैसों के हेरफेर, गुप्त पेमेंट और भ्रष्टाचार की भी जांच कर रही है।

इन दो फर्म के पास कहां से आए पैसे, सीबीआई ने किया खुलासा
सीबीआई ने अपनी जांच में कुछ दस्तावेज सीज किए हैं। इन दस्तावेजों के अनुसार, सिलवर शील्ड डिटेक्टिव और WW Security को सीक्रेट सर्विस फंड की तरफ से भुगतान किया गया था। सीबीआई ने दावा किया कि इन पेमेंट को चुकाने के लिए फर्जी वाउचर का सहारा लिया गया था। हालांकि सीबीआई ने बताया कि दोनों फर्म ने दिल्ली सरकार और फीडबैक यूनिट के लिए कोई काम नहीं करते थे। यह बातें दोनों फर्म ने खुद बताई है। FIR के मुताबिक, फीडबैक यूनिट में वित्तीय और प्रशासन के डिप्टी डायरेक्टर शाम्स अफरोज ने सीक्रेट सर्विस फंड की ओर से किए गए खर्चों के अनुचित हिसाब का मुद्दा उठाया था। लेकिन तब FBU में ज्वाइंट डायरेक्टर यूनिट में पदस्थ राकेश सिन्हा ने कहा लिखा कि फीडबैक यूनिट GNCTD के साथ गोपनीय मामलों को देख रही है और इसकी रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजी जाती है। वहीं FIR में यह भी बताया गया है कि तब के विजिलेंस सचिव जैन ने उस दौरान अफरोज की ओर से मुद्दे को उठाने के बाद भी सीक्रेट सर्विस फंड के दुरुपयोग पर कोई कार्रवाई नहीं की।

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