बिहार-यूपी के स्टूडेंट्स के लिए गुड न्यूज़: CUET बनाएगा डीयू, AMU, BHU, के नामी कॉलेजों से यूजी-पीजी की राह आसान h3>
पटना/नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि केंद्रीय यूनिवर्सिटी को स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों के दाखिले के लिए विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) में प्राप्त अंकों का उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि जुलाई के पहले सप्ताह में सीयूईटी का आयोजन किया जाएगा। इसका मतलब है कि विभिन्न यूनिवर्सिटी के पात्रता मानदंडों को छोड़कर छात्रों के दाखिले में 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों का कोई असर नहीं पड़ेगा। यूजीसी के इस फैसले से बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्र काफी खुश हैं।
जगदीश कुमार ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ‘वर्ष 2022-23 शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के लिए सीयूईटी का आयोजन करेगी। सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी को अपने पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए सीयूईटी में प्राप्त अंकों पर विचार करना होगा।’
45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को यूजीसी से आर्थिक सहायता मिलती है। कुमार ने कहा कि सीयूईटी का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के 12वीं कक्षा के सिलेबस से मिलता-जुलता ही होगा। सीयूईटी में सेक्शन-1ए, सेक्शन-1बी, समान्य परीक्षा और पाठ्यक्रम-विशिष्ट विषय होंगे। सेक्शन-1ए अनिवार्य होगा, जोकि 13 भाषाओं में होगा और उम्मीदवार इनमें से अपनी पसंद की भाषा का चयन कर सकते हैं।
कुमार ने कहा कि छात्रों के पास अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू का विकल्प रहेगा। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी का विश्वविद्यालयों की आरक्षण नीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सीयूईटी के बाद किसी भी केंद्रीय काउंसलिंग का आयोजन नहीं होगा।
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी और उनके अधीनस्थ कॉलेजों को सीयूईटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम में अनिवार्य रूप से दाखिले देने हैं। यूजीसी का यह नियम अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होगा। इसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और दिल्ली यूनिवर्सिटी का सेंट स्टीफन भी शामिल है। यह संस्थान जिन अपने आरक्षण नियमों के तहत सीट आवंटित करते हैं, वह जारी रख सकते हैं। सीयूईटी से किसी भी संस्थान के आरक्षण नियम में कोई बदलाव नहीं होगा। किसी भी आरक्षण को इससे दिक्कत नहीं होगी। मसलन जामिया 50 फीसदी सीटें अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुस्लिमों के लिए आरक्षित रखता है तो उन्हीं को मिलेगी, लेकिन यहां पर सीट सीयूईटी के मेरिट स्कोर के आधार पर ही आवंटित होगी।
सीयूईटी में परीक्षा का माध्यम हिंदी, अंग्रेजी समेत 13 भारतीय भाषाएं होंगी। छात्र इन 13 भाषाओं में से कोई भी चुन सकते हैं। चार वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम के आधार पर सीयूईटी में 27 डोमेन रखे गए हैं। छात्रों को इन 27 में से कम से कम एक और अधिक से अधिक छह डोमेन यानी सब्जेक्ट की च्वॉइस रखने का विकल्प मिलेगा।
12वीं कक्षा के एनसीईआरटी सिलेबस से सीयूईटी का प्रश्न पत्र तैयार होगा। इसमें तीन सेक्शन होंगे। सेक्शन-एक दो हिस्सों में विभाजित होगा। सेक्शन-ए यानी हिंदी, अंग्रेजी समेत 13 भारतीय भाषाओं पर आधारित पेपर होगा। यह सभी छात्रों के लिए अनिवार्य रहेगा जबकि सेक्शन-1 बी फोरन लैंग्वेज या फिर लिटरेचर की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए ऑप्शनल रहेगा। यह उन छात्रों के लिए होगा, जोकि बीए फ्रेंच आदि में स्नातक डिग्री की पढ़ाई करना चाहते होंगे।
बिहार-यूपी के छात्रों का कैसे होगा फायदा
यूजीसी की सीयूईटी परीक्षा का लाभ सबसे ज्यादा बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्रों का हो सकता है। दरअसल, उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे बोर्ड हैं जहां छात्रों को इंटरमीडिएट में बेहद सख्ती से नंबर दिए जाते हैं, जिसके चलते इन दोनों बोर्ड में छात्रों के ओवरऑल पर्सेंटेज कम रहते हैं। इस वजह से केवल मॉर्क्स पर एडमिशन होने पर यहां के छात्र पीछे रह जाते हैं। क्योंकि सीबीएसई समेत अन्य बोर्ड में छात्रों की मार्किंग परसेंटेज काफी अच्छे होते हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों में सबसे ज्यादा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की ललक होती है। अब टेस्ट के जरिए अगर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में एडमिशन होंगे तो बिहार के छात्रों को अपना रियल टैलेंट दिखाकर एडमिशन पाने का बेहतर मौका मिलेगा।
इनपुट: भाषा
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45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को यूजीसी से आर्थिक सहायता मिलती है। कुमार ने कहा कि सीयूईटी का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के 12वीं कक्षा के सिलेबस से मिलता-जुलता ही होगा। सीयूईटी में सेक्शन-1ए, सेक्शन-1बी, समान्य परीक्षा और पाठ्यक्रम-विशिष्ट विषय होंगे। सेक्शन-1ए अनिवार्य होगा, जोकि 13 भाषाओं में होगा और उम्मीदवार इनमें से अपनी पसंद की भाषा का चयन कर सकते हैं।
कुमार ने कहा कि छात्रों के पास अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू का विकल्प रहेगा। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सीयूईटी का विश्वविद्यालयों की आरक्षण नीति पर कोई प्रभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सीयूईटी के बाद किसी भी केंद्रीय काउंसलिंग का आयोजन नहीं होगा।
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी और उनके अधीनस्थ कॉलेजों को सीयूईटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम में अनिवार्य रूप से दाखिले देने हैं। यूजीसी का यह नियम अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होगा। इसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और दिल्ली यूनिवर्सिटी का सेंट स्टीफन भी शामिल है। यह संस्थान जिन अपने आरक्षण नियमों के तहत सीट आवंटित करते हैं, वह जारी रख सकते हैं। सीयूईटी से किसी भी संस्थान के आरक्षण नियम में कोई बदलाव नहीं होगा। किसी भी आरक्षण को इससे दिक्कत नहीं होगी। मसलन जामिया 50 फीसदी सीटें अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुस्लिमों के लिए आरक्षित रखता है तो उन्हीं को मिलेगी, लेकिन यहां पर सीट सीयूईटी के मेरिट स्कोर के आधार पर ही आवंटित होगी।
सीयूईटी में परीक्षा का माध्यम हिंदी, अंग्रेजी समेत 13 भारतीय भाषाएं होंगी। छात्र इन 13 भाषाओं में से कोई भी चुन सकते हैं। चार वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम के आधार पर सीयूईटी में 27 डोमेन रखे गए हैं। छात्रों को इन 27 में से कम से कम एक और अधिक से अधिक छह डोमेन यानी सब्जेक्ट की च्वॉइस रखने का विकल्प मिलेगा।
12वीं कक्षा के एनसीईआरटी सिलेबस से सीयूईटी का प्रश्न पत्र तैयार होगा। इसमें तीन सेक्शन होंगे। सेक्शन-एक दो हिस्सों में विभाजित होगा। सेक्शन-ए यानी हिंदी, अंग्रेजी समेत 13 भारतीय भाषाओं पर आधारित पेपर होगा। यह सभी छात्रों के लिए अनिवार्य रहेगा जबकि सेक्शन-1 बी फोरन लैंग्वेज या फिर लिटरेचर की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए ऑप्शनल रहेगा। यह उन छात्रों के लिए होगा, जोकि बीए फ्रेंच आदि में स्नातक डिग्री की पढ़ाई करना चाहते होंगे।
बिहार-यूपी के छात्रों का कैसे होगा फायदा
यूजीसी की सीयूईटी परीक्षा का लाभ सबसे ज्यादा बिहार और उत्तर प्रदेश के छात्रों का हो सकता है। दरअसल, उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार दो ऐसे बोर्ड हैं जहां छात्रों को इंटरमीडिएट में बेहद सख्ती से नंबर दिए जाते हैं, जिसके चलते इन दोनों बोर्ड में छात्रों के ओवरऑल पर्सेंटेज कम रहते हैं। इस वजह से केवल मॉर्क्स पर एडमिशन होने पर यहां के छात्र पीछे रह जाते हैं। क्योंकि सीबीएसई समेत अन्य बोर्ड में छात्रों की मार्किंग परसेंटेज काफी अच्छे होते हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों में सबसे ज्यादा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की ललक होती है। अब टेस्ट के जरिए अगर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में एडमिशन होंगे तो बिहार के छात्रों को अपना रियल टैलेंट दिखाकर एडमिशन पाने का बेहतर मौका मिलेगा।
इनपुट: भाषा