बिहार में ‘गजटेड गाली’ बेलगाम, 8 साल पुरानी वो चिट्ठी भी पढ़ लीजिए
आठ साल पहले नीतीश सरकार ने जारी किया था पत्र
बात साल 2015 की है। उस वक्त भी नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री थे और आज भी हैं। साल जरूर बदला, लेकिन बिहार के अधिकारियों का व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। गालीबाज आईएएस-आईपीएस अधिकारियों का मामला आने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं। पहले केके पाठक का बिहार प्रशासनिक अधिकारियों को गाली देने का वीडियो सामने आने के बाद सीएम ने जांच के आदेश दिए। अब डीजी-आईजी प्रकरण को वरीय अधिकारियो को जांच करने को कहा है। हालांकि समय-समय पर सरकार अधिकारियों हिदायत देती रहती है, बावजूद इसके बाद भी सीनियर अधिकारी उस पर अमल नहीं करते है। अगर अमल करते तो इस तरह के मामले सामने ही नहीं आते।
दरअसल, बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी 2015 में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव थे, तब उन्होंने पत्र लिखकर मर्यादित आचरण करने को कहा था। 10 जून 2015 को आमिर सुबहानी ने सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को पत्र लिखा था। सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने पत्र लिखकर सभी अधिकारियों को आचरण को लेकर आगाह किया था। अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि नियमावली में साफ कहा गया है कि सभी उच्च अधिकारी अपने जूनियर्स के साथ सभ्य आचरण एवं मर्यादित व्यवहार करें। पूरी शील निष्ठा रखें। कर्तव्य के प्रति निष्ठा और कोई ऐसा काम न करें जो सरकारी सेवक के लिए अशोभनीय हो।
आमिर सुबहानी ने पत्र में क्या लिखा था
आमिर सुबहानी ने पत्र में लिखा था कि राज्य सरकार के सरकारी सेवकों के आचार विनियमित किये जाने के उद्देश्य से ‘बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976’ ( समय-समय पर यथा संशोधित ) गठित है। नियमावली के नियम- 3 (1) द्वारा प्रत्येक सरकारी सेवकों के प्रसंग में यह स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि हर सरकारी सेवक सदा पूरी शीलनिष्ठा रखेगा। कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा रखेगा और ऐसा कोई काम न करेगा जो सरकारी सेवक के लिए अशोभनीय हो।
आगे उन्होंने लिखा था कि सरकार के संज्ञान में ऐसी बातें आ रही है कि विभिन्न कार्यालयों में पदस्थापित उच्च पदाधिकारियों द्वारा अपने अधिनस्थ कर्मियों के साथ अमर्यादित व्यवहार करने, उनके प्रति प्रतिदिन असंसदीय भाषा का प्रयोग करने उन्हें अकारण मानसिक रूप से प्रताड़ित करने, बात-बात पर अनावश्यक एवं अकारण निलम्बन एवं विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ करने जैसी कार्रवाईयों की जा रही है। इससे अधीनस्थ पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के मनोबल एवं उनकी कार्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक तो है ही साथ ही इसे राज्य के स्वस्थ लोक प्रशासन के अनुकूल भी नहीं माना जा सकता है।
आमिर सुबहानी ने अनुरोध के भाव में लिखा कि अपने समस्त अधीनस्थ पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रति सभ्य आचरण एवं मर्यादित व्यवहार किया जाना सुनिश्चित करते हुए अपने अधीनस्थों को श्री श्री वर करने के लिए प्रेरित किया जाय, ताकि प्रशासन में सद्भाव कायम रहे और बेहतर कार्य माहौल का निर्माण हो सके।
अब आमिर सुबहानी मुख्य सचिव हैं, फिर भी ‘गजटेड गाली’ पर लगाम नहीं
साल और समय, दोनों बदल गया है। आमिर सुबहानी प्रधान सचिव से मुख्य सचिव बन गए, लेकिन अधिकारियों के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। अगर बदलाव आया होता तो सरकार की भद्द नहीं पिटती। गजटेड गाली बिहार में बेलगाम नहीं होता।
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