फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ ने बढ़ा दिया राजा जयचंद को गद्दार साबित करने का इनाम, रकम जान दंग रह जाएंगे आप | Film Smrat Prithviraj Kannauj Raja Jaychnad prized for 11 Lacks proof | Patrika News

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फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ ने बढ़ा दिया राजा जयचंद को गद्दार साबित करने का इनाम, रकम जान दंग रह जाएंगे आप | Film Smrat Prithviraj Kannauj Raja Jaychnad prized for 11 Lacks proof | Patrika News

फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ ने बढ़ा दिया राजा जयचंद को गद्दार साबित करने का इनाम, रकम जान दंग रह जाएंगे आप | Film Smrat Prithviraj Kannauj Raja Jaychnad prized for 11 Lacks proof | Patrika News

दरअसल, लोगों के बीच राजा जयचंद की छवि के उलट कन्नौज के बाशिंदे उन्हें एक प्रतापी शासक मानते हैं। हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर राजा जयचंद की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। उस दौरान उनका यशगान होता है। उसी में राजा जयचंद की गद्दारी का सुबूत पेश करने वाले को पांच लाख रुपये देने का ऐलान होता है। पिछले दो दशक से यह आयोजन हो रहा है। अब तक किसी ने यह रकम हासिल नहीं की है। अब यशराज बैनर की नई फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के बाद यहां कन्नौज में विरोध शुरू हो गया है। उसी के तहत यहां सामाजिक संगठन कान्यकुब्ज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति ने राजा जयचंद को गलत साबित करने वालों को इनाम की रकम बढ़ाकर 11 लाख रुपये देने का ऐलान किया है।

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कल्पना से जुदा है राजा जचयंद का इतिहास राजा जयचंद की छवि को दुनिया को सामने लाने के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक संगठन कान्यकुबज शिक्षा एवं समाज सेवा समिति के संयोजक नवाब सिंह जोर देते हुए कहते हैं कि पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंद्रबरदाई के लिखे पृथ्वीराज रासो के अलावा इतिहास के किसी भी किताब में राजा जचयंद को गलत नहीं बताया गया है। उसके उलट इतिहास के पन्ने उनकी वीरगाथा, दानवीर, न्यायप्रिय शासक के तौर पर भरे पड़े हैं।

17 साल में 51 हजार से 11 लाख पहुंची इनाम की रकम कई संगठनों ने मिलकर 2005 से महाश्विरात्रि पर राजा जचयंद की जंयती मनाने का सिलसिला शुरू किया। 2005 में राजा जयचंद को गलत साबित करने पर आयोजन समिति ने 51 हजार रुपये नगद इनाम देने का ऐलान किया था। फिर हर साल इनाम बढ़ाकर पहले एक लाख, उसके बाद डेढ़ लाख, फिर दो लाख और पांच लाख रुपये कर दिया गया। अब फिर से बढ़ाकर 11 लाख रुपये कर दी गई है। आयोजन समिति के संयोजक नवाब सिंह बताते हैं कि अब तक किसी ने भी यहां आकर दावा नहीं किया। देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों ने संपर्क जरूर किया लेकिन सुबूत नहीं दे पाए।

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फिल्म बनाने वालों ने कन्नौज की गलत तस्वीर पेश की कान्यकुब्ज सेवा समिति से जुड़े इतिहासकार प्रो. सुशील राकेश शर्मा बताते हैं कि ‘सम्राट पृथ्वीराज’ फिल्म बनाने वालों ने कन्नौज की गलत तस्वीर पेश की है। चंद्रबरदाई की किताब को पढ़कर ही फिल्म बना डाली। पृथ्वीराज को हराने वाले वीर आल्हा-उदल का जिक्र नहीं किया। पृथ्वीराज चौहान को मारने के एक साल बाद मोहम्मद गौरी ने कन्नौज पर आक्रमण किया था, उसमें राजा जयचंद वीरगति को प्राप्त हुए थे। यह सब छिपा लिया गया।

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