पॉजिटिव स्टोरी- वडोदरा के युवा ने बनाया अनोखा एडिबल स्पून: आटे से बने स्पून का विदेशों में धमाल, प्रतिदिन 3 लाख स्पून बनाने की क्षमता वाली कंपनी h3>
कुछ महीने पहले मेरे एक जानने वाले ने रील शेयर किया था। बताया कि गुजरात की एक कंपनी है, जो दुनिया का सबसे अजूबा स्पून यानी चम्मच बनाती है। जब वीडियो देखा, तो मैं भी चौंक गया।
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जिस स्पून से हम खाना खाते हैं, खाना खत्म करने के बाद उस स्पून को भी खा सकते हैं। मुझे कहानी इंट्रेस्टिंग लगी। इसलिए इस तरह के स्पून बनने की पूरी मेकिंग प्रोसेस और कंपनी के बारे में जानने के लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से गुजरात के वडोदरा शहर पहुंच गया।
पहली मुलाकात इस एडिबल स्पून यानी खाने वाले चम्मच बनाने की कंपनी ‘त्रिशूला’ के फाउंडर क्रूविल पटेल से होती है। क्रूविल कहते हैं, ‘पहले एक स्पून को खाकर आप भी देख सकते हैं, फिर बातचीत होती रहेगी।’
एडिबल स्पून बनाने वाली कंपनी के फाउंडर क्रूविल पटेल स्पून खाकर दिखा रहे हैं।
क्रूविल की स्टाफ निधि एक बंद पैकेट से स्पून निकालकर देती हैं। यह चॉकलेट फ्लेवर में स्पून है यानी खाने में चॉकलेट जैसा टेस्ट। स्पून देखने में एकदम वुडन स्पून की तरह लग रहा है। खाने में स्पून का टेस्ट किसी बिस्किट या कूकीज, स्नैक्स की तरह है।
क्रूविल हंसते हुए बोलते हैं, ‘अब तक हम लोग वुडन या प्लास्टिक, स्टील स्पून को ही यूज कर रहे हैं। यह एडिबल स्पून है यानी इससे खाना खाने के साथ-साथ इसे भी खा सकते हैं।’
क्रूविल कुछ और सैंपल दिखा रहे हैं। इसमें 15-20 तरह के सिर्फ स्पून रखे हुए हैं। एक दूसरे डिब्बे में स्ट्रॉ और चाकू भी रखे हुए हैं। क्रूविल बताते हैं, ‘शुरुआत तो हमने स्पून बनाने से की थी। अब 25 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट बना रहे हैं। इसमें से 22 प्रोडक्ट हमारे पेटेंट प्रोडक्ट हैं।
2017 की बात है। कॉलेज को खत्म हुए कुछ साल हुए थे। राजस्थान के उदयपुर से मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। एक रोज कॉलेज कैंटीन में खाना खा रहा था। प्लास्टिक का स्पून दांत में लग गया। उसी वक्त मेरे दिमाग में ये बातें खटकी थी।
मैं घुमक्कड़ भी रहा हूं। बाइक से यहां-वहां घूमता रहता था। इस दौरान देखता कि लोग खाना खाने के बाद डिस्पोजेबल कटोरी, चम्मच सब फेंक देते थे। मैं सोचता था कि क्या कुछ ऐसा बनाया जा सकता है कि हम जिस चीज से खाना खाए, खाना खत्म करने के बाद उस चीज को भी खा जाएं।
मैंने अलग-अलग देशों के बारे में पढ़ना शुरू कर दिया। कोई भी ऐसा प्रोडक्ट नहीं मिला। फिर एडिबल स्पून बनाने के बारे में सोचा।’
क्रूविल अलग-अलग फ्लेवर, साइज और डिजाइन में एडिबल स्पून बनाते हैं।
क्रूविल के ऑफिस टेबल के एक कोने में कार टॉयज के कुछ पहिए रखे हुए हैं। पूछने पर वे हंसते हुए कहते हैं, ‘दरअसल 2017 से पहले मैं कार का शोरूम खोलना चाहता था। रेसिंग गाड़ियां बेचने, चलाने का शौकीन था।
जब प्लान करना शुरू किया, तब पता चला कि इसको चलाने के लिए तो करोड़ों रुपए चाहिए। इतने पैसे कहां से आएंगे।
फिर जब स्पून बनाने के बारे में सोचना शुरू किया, तब सभी लोगों का यही कहना था कि इंजीनियरिंग करने के बाद इस तरह का एक्सपेरिमेंट करने से क्या हो जाएगा? ऐसा स्पून आज तक नहीं देखा कि जिससे हम खाना खाएं और फिर खाना खाने के बाद उसे भी खा जाएं। अपना समय बर्बाद कर रहे हो।
मैंने पापा से सिर्फ यही कहा- मुझे बस एक साल का समय दे दीजिए। नहीं होगा, तो कुछ और करूंगा। मैं आटा लेकर खुद से बेकिंग करने लगा। घंटों बैठकर स्पून बनाने की प्रैक्टिस करता, लेकिन वह नहीं बन पाता था।’
आटा गूंथने के बाद सांचे में स्पून या इस तरह के अलग-अलग एडिबल प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। खाते वक्त स्पून एक घंटे तक मेल्ट नहीं होता है।
स्पून आटा से बनता है? चौंकते हुए मैं क्रूविल से पूछता हूं।
क्रूविल कहते हैं, ‘स्पून की बनावट-फिनिशिंग एकदम स्मूथ है। आपको यकीन ही नहीं होगा कि यह किसी अनाज से बना हुआ है, लेकिन यह गेहूं के आटे से बनता है।
इसमें कोई प्रिजर्वेटिव भी नहीं यूज होता है। आटा, पानी और नमक, यही इंग्रेडिएंट्स होते हैं। स्पून बनाने से पहले मैंने तो कभी आटा गूंथा भी नहीं था। खुद आटा गूंथकर उससे चम्मच के आकार में कुछ बनाने की कोशिश करता था।
बाद में एक जानने वाले शेफ मिले, जिन्होंने स्पून बनाने की रेसिपी बनाने में मदद की। करीब 8 महीने बाद एक स्पून बना। उस दिन मुझे ऐसा लगा कि अब तो यह बन ही जाएगा। कुछ कर लूंगा। मैंने स्पून बनाने की डाई यानी सांचा डिजाइन किया।
एडिबल स्पून बनाने के बाद इसकी फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी। उसी के बाद लोगों की क्वेरी आने लगी। लोग कहने लगे कि खाने वाला स्पून तो वर्ल्ड का पहला ऐसा स्पून है।
हमें एक बार में दो हजार, चार हजार पीस के ऑर्डर मिलने लगे।’
पिज्जा सेवर का प्रोडक्शन हो रहा है। अलग-अलग पिज्जा कंपनियां प्लास्टिक से बने पिज्जा सेवर का यूज करती हैं।
अब क्रूविल मुझे अपनी फैक्ट्री दिखाने के लिए लेकर चलते हैं। शहर से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर उनकी फैक्ट्री है।
रास्ते में क्रूविल बताने लगे, ‘जब मैंने स्पून की फैक्ट्री लगाने के लिए घरवालों से पैसे मांगे, तो सबने मना कर दिया। पापा का कहना था कि खाने वाला स्पून कौन खरीदेगा? क्या बिजनेस होगा इसमें, कोई स्कोप नहीं है। जिंदगी बर्बाद कर रहे हो।
हमारी खुद की केमिकल की फैक्ट्री है। पापा चाहते थे कि मैं फैमिली बिजनेस जॉइन कर लूं। उनका कहना था कि यदि मुझे कुछ खुद का करना है, तो वे एक रुपए भी नहीं देंगे।
करीब 4 लाख रुपए का मैंने बंदोबस्त किया था। अपने पास भी कुछ सेविंग्स थीं। कुछ दोस्तों से उधार लिए। इसी से प्रोडक्शन स्टार्ट किया।’
क्रूविल का कहना है कि सोशल मीडिया पर एडिबल स्पून की पिक्चर पोस्ट करने के बाद उनके पास एडवांस में ऑर्डर आने लगे और पेमेंट भी मिलने लगे थे।
क्रूविल ने एक साल पहले ही 3 लाख स्क्वायर फीट में नई फैक्ट्री सेटल की है। इससे पहले उनकी छोटी सी फैक्ट्री थी।
वे मुझे नई फैक्ट्री दिखा रहे हैं। प्लांट के एक हिस्से में गेहूं के आटे को मशीन से गूंथा जा रहा है। इसी से मशीन में लगी पटरी पर डालकर स्पून बनाए जा रहे हैं। अभी एक पिज्जा कंपनी के लिए पिज्जा सेवर का प्रोडक्शन हो रहा है।
क्रूविल की कंपनी में दो शिफ्ट में काम होता है। अभी 50 से ज्यादा लोगों की टीम है।
क्रूविल बताते हैं, ‘एक बार में एक तरह के प्रोडक्ट का प्रोडक्शन होता है। हम 32 देशों को स्पून जैसे 25 तरह के प्रोडक्ट एक्सपोर्ट कर रहे हैं। वहां के लोगों में इस तरह के प्रोडक्ट की एक्सेप्टेंस है।
इंडियन मार्केट में अभी भी लोग इस तरह के प्रोडक्ट नहीं खरीदना चाहते हैं। मुझे याद है, शुरुआत में जब मैं स्पून बनाने के लिए इधर-उधर भटक रहा था, तो हर रोज स्कूटर लेकर अलग-अलग फैक्ट्री में जाता था।
जब गार्ड से कहता कि मुझे स्पून बनाने की डाई यानी सांचा चाहिए, तो वह डांटते हुए भगा देते थे। अब जब हमने स्पून, चाकू जैसे प्रोडक्ट बनाने शुरू कर दिए हैं, तो इंडियन मार्केट में कोई बड़ा प्लेयर भी इसे नहीं खरीदना चाहता है।
उनका कहना होता है कि 3 रुपए का चम्मच कौन खरीदेगा। मैं तो कहता हूं कि कोई बड़ा ब्रांड 500, 1000 रुपए का प्रोडक्ट बेच रहा है। वातावरण के लिए इतना तो हम कर ही सकते हैं। यदि कोई इस स्पून को नहीं भी खाता है, तो इसे जानवर खा सकते हैं।
हमने जर्मनी, US, इस्लामिक देशों में भी एक्सपोर्ट किया है। जो कंपनी 4 लाख रुपए से शुरू हुई थी, वह सालाना 5 करोड़ के करीब का बिजनेस कर रही है। हर रोज 3 लाख स्पून बनाने की कैपेसिटी है।’
क्रूविल अब इंडियन मार्केट में सेल करने का प्लान कर रहे हैं। कई देश उन्हें अपने यहां प्रोडक्शन यूनिट लगाने का ऑफर दे चुके हैं।
स्पून बनाने की प्रोसेस क्या है?
क्रूविल प्रोडक्शन यूनिट दिखाते हुए कहते हैं, ‘हमारे प्रोडक्ट पेटेंट हैं, इसलिए डाई यानी सांचा नहीं दिखा सकता हूं। मशीन में लगे डाई से स्पून जैसे प्रोडक्ट कटते रहते हैं। जो प्रोडक्ट चाहिए, वैसा सांचा लगाया जाता है।
फिर इसे 300 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करके पकाया जाता है। फिनिशिंग के बाद पैकेजिंग होती है। अब हम प्लेट और छोटी कटोरी बनाने पर भी काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि आने वाले वक्त में इंडियन मार्केट में भी इस तरह के प्रोडक्ट बिकेंगे।