नगर निगम भाेपाल: खुद को राहत, जनता की बढ़ा रहे आफत | Municipal Corporation’s Ease of Doing become problem for people | Patrika News

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नगर निगम भाेपाल: खुद को राहत, जनता की बढ़ा रहे आफत | Municipal Corporation’s Ease of Doing become problem for people | Patrika News

नगर निगम भाेपाल: खुद को राहत, जनता की बढ़ा रहे आफत | Municipal Corporation’s Ease of Doing become problem for people | Patrika News

खुद की गलती से कम वसूले गए कर्मकार शुल्क के लिए अर्किटेक्ट- भवन निर्माता से दौड़ लगवाने का मामला हो। बीते दो से तीन माह में इस तरह के निर्णय हुए, जिससे नगर निगम को तो राहत मिली और टैक्स भी मिला, लेकिन इससे दूसरे पक्षों और आम जनता की दिक्कतें बढ़ी हैं।

दिक्कतों को लेकर लोग हमसे मिल रहे हैं। हमने कहा है कि इनका परीक्षण कराएंगे। जरूरी हुआ तो परिषद में मामला लाकर राहत देंगे।
– मालती राय, महापौर भोपाल

ऐसे समझें दिक्कत बढ़ाने वाले निर्णय : ऑटोमोबाइल एजेंसियों से पार्किंग शुल्क-
नगर निगम जब स्मार्टपार्किंग योजना में फेल हुआ और बिना एक रुपया दिए कंपनियां लाखों रुपए कमाकर रवाना हो गई तो फिर निगम ने ऑटोमोबाइल एजेंसियों के माध्यम से वन टाइम पार्किंग शुल्क की वसूली शुरू की। पहली नजर में तो शहर में फ्री पार्किंग व्यवस्था ठीक लगती है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि न्यू मार्केट से लेकर दस नंबर और अन्य क्षेत्रों में पार्किंग बदहाल हो गई। पार्किंग में कब्जे हो गए। दूसरी ओर ऑटोमोबाइल एजेंसियों के लिए पार्किंग शुल्क की वसूली का अतिरिक्त काम दिक्कतभरा हो गया। आखिरकार वे कोर्ट से स्टे ले आए।

अतिरिक्त कर्मकार शुल्क आर्किटेक्ट- भवन मालिक से जमा करवा रहे
नगर निगम जुलाई 2022 तक दस हजार रुपए प्रति वर्गमीटर का एक फीसदी की दर से भवन अनुज्ञा लेते समय कर्मकार शुल्क ऑनलाइन जमा कराता रहा। अचानक सरकार के एक साल पुराने आदेश के तहत अब 12 हजार रुपए प्रति वर्गमीटर का एक फीसदी शुल्क कर दिया।

अब अतिरिक्त दो हजार रुपए प्रति वर्गमीटर की दर वाला शुल्क आर्किटेक्ट व भवन निर्माताओं को बैंक में जमा करवाकर उसे श्रम विभाग में देने का आदेश दिया गया। यानि बिना गलती एक नई दौड़ लगवाई जा रही है। निगम खुद अपने यहां जमा कर श्रम विभाग को दे सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

संपत्तिकर के साथ लाइसेंस शुल्क, भवन मालिकों की दिक्कत बढ़ी-
नगर निगम ने संपत्तिकर की आइडी के साथ व्यावसायिक लाइसेंस को भी जोड़ दिया। अब भवन में संचालित दुकानों का व्यावसायिक शुल्क भी भवन मालिक से लिया जा रहा। दुकानदारों से इसकी वसूली भवन मालिक को करने का कहा जा रहा। अब दुकानदार-भवन मालिक के बीच टकराव तो बढ़ ही रहा है, व्यावसायिक लाइसेंस की रसीद और उसका सर्टिफिकेट तक दुकानदारों को नहीं मिल पा रहा, इसका उन्हें नुकसान हो रहा। इस पर एमपी नगर से लेकर बैरागढ़, चौक बाजार समेत अन्य बाजारों के दुकानदार- भवन स्वामी अब निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।

अतिरिक्त टैक्स-शुल्क के लिए खुद जिम्मेदारी लेना चाहिए। नागरिकों या अन्य को इसमें परेशान करने की जरूरत नहीं है। अन्य निर्णय भी ऐसे हों, जिसमें जनता, कारोबारियों व अन्य को परेशानी कम हो।
– अब्दुज मजीद, अध्यक्ष, मप्र स्ट्रक्चरल इंजीनियर एसोसिएशन

निगम को टैक्स शुल्क को जोड़ने से पहले इससे किस तरह की दिक्कत होंगी, इसे समझना होगा। दूसरों को दिक्कत में डालना ठीक नहीं है। हमने संपत्तिकर और व्यावसायिक लाइसेंस शुल्क को अलग-अलग वसूली के लिए आवेदन दिया है।
– विकास बोंद्रिया, अध्यक्ष, अरेरा विकास समिति



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