धान घोटाले में 17 व्यापारियों पर ₹1.70 लाख का इनाम: जबलपुर में 30 करोड़ से ज्यादा का हुआ था घोटाला; 74 आरोपी, इनमें अधिकारी भी शामिल – Jabalpur News h3>
जबलपुर में 30 करोड़ से ज्यादा का हुआ था घोटाला।
जबलपुर में हुए 30 करोड़ से अधिक के धान घोटाले के खुलासे को एक महीना हो गया है, लेकिन अभी तक मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। जबलपुर कलेक्टर के निर्देश पर जिले के 12 थानों में 74 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ 12 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई
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जबलपुर एसपी संपत उपाध्याय ने घोटाले में शामिल राइस मिलर्स पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। फरार मिलर्स पर 10-10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है। साथ ही इन मिलर्स को ब्लैकलिस्टेड करने और उनकी सुरक्षा निधि जप्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
फर्जी परिवहन दस्तावेजों से हुआ खुलासा अंतर जिला मिलिंग की शिकायत जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना तक पहुंची थी। जांच में सामने आया कि जिले के बाहर के मिलर्स धान को यहां के दलालों को बेच रहे थे। कलेक्टर ने वाहनों का परिवहन रिकॉर्ड निकलवाया तो खुलासा हुआ, जिन नंबरों से धान के परिवहन की बात कही गई थी, वे वाहन असल में कार और बस निकले, जिनसे धान ले जाना असंभव है।
शुरुआती जांच में मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के प्रभारी और जिला प्रबंधक सहित 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर्स, 25 सोसाइटी और उपार्जन केंद्र के 44 कर्मचारियों पर आरोप तय किए गए। इनमें से 11 सोसाइटी और उपार्जन केंद्रों के प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ सहकारी समिति अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।
अब तक नहीं हुई विभागीय जांच 20 मार्च को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी और 26 मार्च को भोपाल से खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की अपर मुख्य सचिव रश्मि अरुण शमी ने एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन आज तक न ही जांच पूरी हुई और न ही किसी अधिकारी-कर्मचारी पर विभागीय जांच शुरू की गई, जिससे जांच की धीमी गति पर सवाल उठ रहे हैं।
गिरफ्तारी के लिए गठित की गई विशेष टीमें अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं। कॉल डिटेल और मोबाइल लोकेशन के आधार पर फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही सभी आरोपी गिरफ्त में होंगे।