दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का काम, क्यों नहीं होने दे रहे हैं किसान? 1 महीने से ठप्प है निर्माण-कार्य

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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का काम, क्यों नहीं होने दे रहे हैं किसान? 1 महीने से ठप्प है निर्माण-कार्य

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का काम, क्यों नहीं होने दे रहे हैं किसान? 1 महीने से ठप्प है निर्माण-कार्य


गाजियाबाद: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) के 5वें चरण का निर्माण कार्य एक महीने से बंद पड़ा है। किसान लगातार एंट्री और एग्जिट की मांग को लेकर हंगामा कर रहे हैं। अब उन्होंने आंदोलन को तेज कर दिया है, जिसकी वजह से काम ठप हो गया है। आरोप है कि नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने 309 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 5वें चरण के डिजाइन को फाइनल करते समय से गांव के लोगों की जरूरतों को ध्यान में नहीं रखा। किसानों ने धंतला और चुड़ियाला के बीच खरखौंदा-मोहिउद्दीनपुर मार्ग पर एक रैंप देन की मांग की है।

किसानों का कहना है कि 14 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे पर कहीं भी बीच में चढ़ने-उतरने के लिए रैंप नहीं दिया गया है। ऐसे में यदि आसपास के गांव के लोग एक्सप्रेसवे से ही जाना चाहेंगे तो उन्हें 14 किमी दूर प्रवेश व निकास तक जाना पड़ेगा। NHAI ने किसानों को यह विकल्प दिया था कि जब तक इस एरिया में रैंप बनाने को लेकर हेडक्वॉर्टर स्तर पर कोई फैसला नहीं हो जाता है, तब तक बाकी जगह पर काम करने दिया जाए, लेकिन किसान इस पर भी तैयार नहीं हुए। किसानों का कहना है कि जब तक लिखित में रैंप बनाने का कोई आदेश नहीं आता है, तब तक आंदोलन चलता रहेगा।

यह है प्रॉजेक्ट

5वां चरण मेरठ-बुलंदशहर हाइवे के जाहिदपुर गांव से शुरू होकर DME में जैनुद्दीनपुर गांव के पास जुड़ जाएगा। जैनुद्दीनपुर काशी टोल के नजदीक है, लेकिन गाजियाबाद जिले की सीमा में पड़ता है। 14 किमी का यह हिस्सा 4 लेन का होगा। चूंकि यह एक्सप्रेस-वे होगा, इसलिए बीच में कहीं प्रवेश व निकास नहीं होगा।

लेट हो सकता है काम

साल 2024 में इस प्रॉजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन जिस हिसाब से किसानों ने आंदोलन शुरू किया। इससे उम्मीद की जा रही है कि प्रॉजेक्ट अपने तय समय के भीतर पूरा नहीं हो सकेगा। बताया जा रहा है कि निर्माण करने वाली एजेंसी का अभी तक किसानों के आंदोलन की वजह से 20 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।

20 फीसदी तक हुआ काम
NHAI के अधिकारियों की मानें तो अभी इस प्रॉजेक्ट में केवल 20 फीसदी तक ही काम हो सका। किसानों के आंदोलन की वजह से काम पूरी तरह से बंद है। इतनी अवधि में 10 से 15 फीसदी काम और खींच गया होता। DME के इस हिस्से में रैंप देने के लिए हेडक्वॉर्टर में फाइल भेजी गई है, जब तक वहां से अप्रूवल नहीं आता है, तब तक किसानों को आश्वासन नहीं दिया जा सकता है। डिजाइन के अनुसार यहां पर अंडरपास देने का प्रावधान है।

12 जिलों का सफर हो जाएगा आसान
5वें चरण के बनने से गाजियाबाद के लोगों की 12 जिलों तक पहुंच काफी आसान हो जाएगी, क्योंकि गंगा एक्सप्रेसवे हापुड़ रोड (मेरठ) से निकल रहा है। गाजियाबाद से इस रूट के जरिए प्रयागराज तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ-बुलंदशहर राष्ट्रीय राजमार्ग के बिजौली गांव से शुरू होकर NH-19 प्रयागराज बाईपास पर जुदापुर दांदू गांव के पास मिलेगा। यह यूपी के 12 जिलों (मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज) से होकर जाएगा। इसके बनने से जिले के लोगों की हस्तिनापुर की राह आसान होगी। 3 घंटे के बजाय 2 घंटे में पहुंचेंगे।

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