दिल्ली-एनसीआर में बार-बार क्यों हिलती है धरती, जानिए भूकंप से जुड़ी 5 बड़ी बातें
1. क्यों आता है भूकंप?
दरअसल, पृथ्वी के भीतर 7 प्लेट्स होती हैं। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जब इनमें असंतुलन होता है, तो भूकंप का जन्म होता है। इसके अलावा हिमखंड या शिलाओं के खिसकने से भी भूकंप पैदा होता है। कई बार धरती की प्लेट ज्यादा दवाब के चलते ये टूटने भी लगती हैं, जिस कारण ऊर्जा निकलती है और भूकंप आता है।
2. दिल्ली एनसीआर में खतरा ज्यादा क्यों?
दिल्ली सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन पर स्थित है। ये सभी एक्टिव भूकंपीय फॉल्ट लाइन हैं। वहीं गुरुग्राम दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाका है क्योंकि ये कम से कम सात फॉल्ट लाइन पर स्थित है। यही कारण है कि दिल्ली-एनसीआर के इलाके में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।
3. क्या बार-बार भूकंप आना किसी खतरे का है संकेत?
दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में बार-बार आने वाला भूकंप किसी बड़े खतरे की ओर इशारा करता है? ये सवाल आपके मन में भी जरूर आता होगा। हालांकि नैशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक दिल्ली में बड़े भूकंप का आशंका कम है। लेकिन हम ये नहीं कह सकते कि इससे खतरा बिल्कुल नहीं है। दिल्ली-एनसीआर में कई मल्टीलेवल बिल्डिंग हैं। इन बिल्डिंग और अन्य भीड़भाड़ वाले इलाकों में भूकंप काफी गंभीर हो सकता है।
4.क्या होता है रिक्टर स्केल?
भूकंप को नापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पैमाने को रिक्टर स्केल कहते हैं। इस स्केल की मदद से भूकंप की तरंगों की गणितीय तीव्रता नापी जाती है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल जमीन की कंपन्न की अधिकतम और आर्बिटरी के अनुपात को नापता है। इस स्केल को 1930 के दशक में डेवलेप रकिया गया था।
5. क्या होता है भूकंप का एपिक सेंटर
भूकंप आने पर धरती पर जिस स्थान पर भूकंपीय तरगें सबसे पहले पहुंचती है, उसे अधिकेंद्र (Epicenter) कहते हैं। आसान भाषा में समझे तो जिस जगह जमीन के नीचे भूकंपीय तरंगे शुरू होती हैं, उसे एपिक सेंटर कहते हैं। वहीं, जिस जगह जमीन की सहत की नीचे भूकंप का केंद्र होता है उसे हाइपोसेंटर कहते हैं। ये वो बिंदु होता है जहां से भूकंप की शुरुआत होती है।