दागी हैं तो क्या हुआ, विभागों में दादागीरी तो इन्हीं की चलती है | Many officers of Municipal Corporation are related controversies | Patrika News
जबलपुर। शहर के विकास का जिम्मा संभालने वाले नगर निगम के प्रमुख विभागों की कमान विवादों से जुड़े अधिकारियों के हाथों में है। किसी पर लोकायुक्त में जांच चल रही है तो कोई ईओडब्ल्यू की जांच के दायरे में है। कई अधिकारियों पर रिकवरी निकल चुकी है। निगम के कुछ अधिकारी पदनाम को लेकर उलझे हैं। नगर निगम में सालों से जमे ये अधिकारी न्यायालय के आदेशों का ठीक ढंग से पालन नहीं करते हैं। इसके कारण निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की न्यायालय में फजीहत हो रही है। उन्हें निरुत्तर हो जाना पड़ता है।
भवन अधिकारी रहते पड़ा था छापा
निगम के स्वास्थ्य अधिकारी भूपेन्द्र सिंह की लोकायुक्त में जांच जारी है। उनके भवन अधिकारी रहते लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई की थी। उस दौरान सरकारी भवन से लेकर वॉशरूम को आलीशान स्वरूप दिए जाने का मामला लगातार चर्चा में था। वे अब स्वास्थ्य अधिकारी जैसा महत्वपूर्ण पद संभाल रहे हैं।
रिकवरी के लिए जारी हो चुका है नोटिस
मल जल निकासी योजना में 32 लाख 11 हजार रुपए के अलाभकारी व्यय के मामले में उत्तरदायी अधिकारियों से वसूली व विभागीय जांच करने के संबंध में भवन अधिकारी अजय शर्मा को नोटिस जारी किया गया है। उनसे 3 लाख 58 हजार रुपए की वसूली की जाना है। मामले में फिलहाल न्यायालय ने स्टे दिया है।
रिकाॅर्ड का सही संधारण नहीं
कर्मचारी की पदोन्नति नियम विरुद्ध किए जाने के मामले में रिकाॅर्ड का संधारण ठीक ढंग से नहीं किए जाने को लेकर निगम प्रशासन की फजीहत हो रही है। न्यायालय में निगम प्रशासन के लिए जवाब प्रस्तुत करना मुश्किल हो रहा है। इस मामले में स्थापना अधीक्षक इंद्रकुमार वर्मा की कार्यकुशलता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की न्यायालय में क्लास लग चुकी है।
पदनाम विवादों में
लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अधिकारी आरके गुप्ता का पदनाम विवादों में रहा है। उनके प्रमोशन को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसी प्रकार निगम के पूर्व उद्यान अधिकारी आदित्य शुक्ला लगातार विवादों में रहे हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनकी जांच जारी है।
कोर्ट में निगम का नहीं रख पा रहे पक्ष
निगम से संबंधित मामलों में न्यायालय में ठीक ढंग से पक्ष नहीं रख पाने को लेकर सहायक विधि अधिकारी राजीव अनभोरे पर सवाल उठता रहा है। इसके कारण 5 बार नगर निगम कमिश्नरों की फजीहत हुई है। पूर्व निगमायुक्त संदीप जीआर की न्यायालय में जमकर क्लास लगी। तीन बार पूर्व निगमायुक्त आशीष वशिष्ठ को न्यायालय ने फटकार लगाई। निगमायुक्त स्वनिप्न वानखड़े को भी न्यायालय ने निर्देश दिए हैं। निगम पर न्यायालय 5 लाख रुपए की कास्ट लगा चुका है।