डिस्कॉम बोर्ड में AAP नेता क्या कर रहे हैं? LG ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, नियुक्ति को बताया असंवैधानिक

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डिस्कॉम बोर्ड में AAP नेता क्या कर रहे हैं? LG ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार,  नियुक्ति को बताया असंवैधानिक

डिस्कॉम बोर्ड में AAP नेता क्या कर रहे हैं? LG ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, नियुक्ति को बताया असंवैधानिक

नई दिल्ली: दिल्ली के उप-राज्यपाल और सरकार के बीच चल रही खींचतान के बीच शुक्रवार को एलजी ने एक और बड़ा फैसला सुनाया। एलजी विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली की दो प्रमुख बिजली कंपनियों बीएसईएस राजधानी और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड के बोर्ड में दिल्ली सरकार की ओर से नॉमिनेट किए गए लोगों को हटा दिया है। इनमें आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद एन.डी. गुप्ता, डॉयलॉग एंड डिवेलपमेंट कमिशन, दिल्ली के वाइस चेयरमैन और कथित तौर पर आप के प्रवक्ता जस्मिन शाह, उमेश त्यागी और जे.एस. देसवाल शामिल हैं। एलजी ने सरकार के नॉमिनी के रूप में प्राइवेट लोगों की नियुक्ति को पूरी तरह गलत और असंवैधानिक बताते हुए इन लोगों को बोर्ड से हटाने का निर्देश दिया है।

किसी भी नियम कानून का पालन नहीं किया गया- एलजी
एलजी का मानना है कि इन लोगों के चयन से लेकर नॉमिनेशन तक की पूरी प्रकिया के दौरान किसी भी नियम कानून का पालन नहीं किया गया और पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी तरीके से इन लोगों को बिजली कंपनियों के बोर्ड में नॉमिनेट किया गया। ऐसे में इनकी नियुक्ति शुरू से ही अमान्य करार दी जाती है। एलजी वीके सक्सेना ने इन लोगों को हटाकर इनकी जगह सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त करने का आदेश दिया है, जैसा कि पहले भी किया जाता रहा है। एलजी ने चीफ सेक्रेट्री के माध्यम से सबमिट की गई दिल्ली सरकार के पावर डिपार्टमेंट की एक जांच रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया है। इस संबंध में पिछले साल 26 नवंबर को एक शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई थी।

पूर्व एलजी अनिल बैजल ने भी किया था विरोध
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में दिल्ली सरकार की तरफ से बीएसईएस यमुना और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड के बोर्ड में नॉमिनेट किए गए ये लोग सरकार के हित को ताक पर रखकर और सरकारी राजस्व की कीमत पर बिजली कंपनियों और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित उपक्रमों को अनुचित तरीके से हजारों करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ पहुंचा रहे थे। हालांकि, तत्कालीन एलजी नजीब जंग और उनके बाद नियुक्त हुए एलजी अनिल बैजल ने भी 2016-17 में फाइलों पर इन लोगों की नियुक्ति के प्रस्ताव का विरोध किया था। मगर इसके बावजूद सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पास करके इन लोगों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी गई और गुपचुप तरीके से मामले के एलजी तक पहुंचने से पहले ही बोर्ड में इनकी नियुक्ति का नोटिफिकेशन भी जारी करवा दिया। अब इन नियुक्तियों को खारिज करने के बाद एलजी वी.के. सक्सेना ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सीएम अरविंद केजरीवाल को भी उनके द्वारा की गई इस कार्रवाई के बारे में सूचित किया जाए।

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