टिफिन गिरने से गंदा हो गया मेट्रो ट्रेन का फर्श, लड़के ने रुमाल से की सफाई… इंटरनेट पर हो रही वाहवाही h3>
बच्चे ने रुमाल से की फर्श की सफाई
आशु सिंह नाम के एक व्यक्ति ने लिंक्डइन पर मेट्रो ट्रेन में बिखरी चीजों को चुनते बच्चे की तस्वीर शेयर कर दी। उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली मेट्रो में एक किशोर ईयरफोन लगाकर बात कर रहा था। तभी उसका टिफिन बॉक्स नीचे गिर गया और उसका लंच फर्श पर बिखर गया। बच्चे ने अपने नोटबुक का एक पन्ना फाड़ा और फर्श को साफ किया। फिर बोतल से पानी डालकर अपने रुमाल से फर्श को वैसे ही चमका दिया, जैसा पहले था।’ आशु ने इस पोस्ट में फर्श साफ करते बच्चे की तस्वीर भी शेयर कर दी। फिर क्या, चारों ओर से वाहवाही होने लगी। खबर लिखने तक 62,225 लोगों ने इस पोस्ट को पढ़ लिया था, 649 लोगों ने तो प्रतिक्रियाएं भी दीं। वहीं, 427 लोगों ने इस पोस्ट को शेयर किए।
बच्चे ही नहीं, उन्हें संस्कार देने वाले पैरेंट्स की भी वाहवाही
एक व्यक्ति ने कॉमेंट बॉक्स में लिखा, ‘शानदार परवरिश। माता-पिता को सलाम। एक जिम्मेदार नागरिक का व्यवहार ऐसा ही होना चाहिए। अगर हम सभी खुद से सफाई करने लगें तो अपने वातावरण को साफ और सुंदर बनाए रख सकते हैं। हमें इसके लिए किसी अभियान की जरूरत नहीं होनी चाहिए। हमें सिर्फ यह समझना होगा कि यह ग्रह (धरती) हमारा है और हम ही बदलाव के वाहक बन सकते हैं।’ एक ने लिखा, ‘यह खासकर उन लोगों के लिए असली सीख है जो खुद को पालतू जानवरों से प्यार करने वाला बताते हैं लेकिन सड़कों या पार्कों में जानवरों का पेट खाली करवाते हैं। यह उनके लिए भी सीख है जो चलती गाड़ी की खिड़की से रैपर्स फेंकते हैं।’
एक ने अन्य ने कहा कि पहले से साफ-सफाई हो तो इंसान अपने-आप उसे साफ-सुथरा बनाए रखने को मजबूर हो जाता है। उन्होंने लिखा, ‘इससे पता चलता है कि इंसान की मानसिकता पर वातावरण का बहुत असर पड़ता है। अगर बच्चे की टिफिन पहले सी ही गंदी जगह पर गिर जाती तो वह शायद ही उसे साफ करता, लेकिन चूंकि मेट्रो का एरिया चकाचक रहता है, इसलिए यह हर व्यक्ति का कर्तव्य होता है कि वो मेट्रो ट्रेन को साफ-सुथरा रखे। वो हम सबके लिए आदर्श है जो फर्श से सबकुछ खुद ही उठाता है और स्वच्छ भारत में योगदान करता है।’
हम तस्वीरें लेते हैं, मदद नहीं करते… क्या शानदार बात कही है
इन तारीफों के बीच एक बड़ी शानदार टिप्पणी विदेश से आई है। पोलैंड की राजधानी वारसॉ के आईटी प्रफेशनल M.T Zielinski लिखते हैं, ‘उस लड़के को सफाई में मदद करने के बजाय कुछ लोग फोटो खींचने में जुट गए। हमें फोटो खींचने की लत लग गई है जिसके कारण हम अजीब हो गए हैं। खैर, फर्श साफ करने के लिए उस लड़के के लिए वास्तव में वाहवाही।’ यह टिप्पणी आंखें खोलने वाली हैं। हम भारतीय दूसरों को कुछ अच्छा करते देख वाह-वाह तो बहुत करते हैं, लेकिन अच्छे काम में भी हाथ बंटाने से हिचकते हैं। अगर हम नजीर पेश करने वालों की तस्वीर खींचने की जगह, उनके काम में हाथ भी बंटाएं
तो कितनी अच्छी बात होगी! सोचिएगा जरूर।