ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: ओवेसी ने विश्वनाथ धाम और एक प्लाट का जिक्र कर उठाया फैसले पर सवाल, ये है उसका पूरा इतिहास

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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: ओवेसी ने विश्वनाथ धाम और एक प्लाट का जिक्र कर उठाया फैसले पर सवाल, ये है उसका पूरा इतिहास

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: ओवेसी ने विश्वनाथ धाम और एक प्लाट का जिक्र कर उठाया फैसले पर सवाल, ये है उसका पूरा इतिहास

वाराणसी: वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने श्रृंगार गौरी दर्शन पूजन मामले में सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला जज ने इस मामले को सुनवाई योग्य माना। फैसले के साथ ही एक नई बहस 1991 के विशेष उपासना स्थल कानून को लेकर शुरू हो गई। फैसले पर टिप्पणी करते हुए एआईएमआईएम के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बड़ा आरोप पूरी व्यवस्था पर लगा दिया। ओवैसी के मुताबिक काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के क्रम में एक प्लॉट का जिक्र किया गया और यह कहा गया कि जमीन के हिस्से पर मालिकाना हक मुस्लिमों का था, जिसे विश्वनाथ धाम निर्माण के दौरान ट्रांसफर किया गया।

जमीन ट्रांसफर के मामले को उठाते हुए ओवैसी ने 1991 के कानून को नजरअंदाज कर उस जगह के धार्मिक चरित्र को बदलने का आरोप लगाया। अब जिस जमीन के हिस्से का जिक्र ओवैसी कर रहे है, क्या वास्तव में वो जमीन उस जगह का हिस्सा है, जिस जमीन पर श्रृंगार गौरी और अन्य विग्रहों के होने का दावा किया जा रहा है। इस दावे की पड़ताल एनबीटी ऑनलाइन ने की।

ओवैसी के दावा गलत, मुकदमा अलग रकबा संख्या पर
श्रृंगार गौरी दर्शन मामले में वादी महिलाओं के वकील विष्णु जैन से एनबीटी ऑनलाइन ने जब जानना चाहा कि ओवैसी जिस जमीन का जिक्र कर रहे है, उसकी क्या हकीकत है। तब विष्णु जैन ने बताया कि हमारा मुकदमा प्लाट संख्या 9130 पर है, जो कि मौजूदा समय में बैरिकेडिंग के अंदर है। जो जमीन काशी विश्वनाथ धाम के साथ ट्रांसफर की गई है, उस जमीन का रकबा संख्या अलग है। अगर उनको लगता है कि उनका दावा फैसले पर मजबूत है तो भी कानूनन अगर सरकार ने एक्सचेंज किया भी तो भक्तों पर ये एक्सचेंज लागू नहीं होता है और भक्तों पर वो टाइटल लागू नहीं होता।

जमीन को लेकर अंजुमन इंतेजामिया ने क्या कहा
अंजुमन इंतेजामिया कमिटी के सचिव यासीन ने बताया कि जुलाई 1993 में सरकार की तरफ से गाटा संख्या 8276 पर ज्ञानवापी की सुरक्षा के लिए सरकार ने एक पुलिस कंट्रोल रूम बनाने के लिए इस जमीन को लिया था। इसके बाद इस जमीन को मस्जिद की ओर से जिला प्रशासन को दिया गया। ओवैसी इसी जमीन का जिक्र कर रहे है, जो 2021 में मस्जिद कमिटी ने काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को दूसरी जगह जमीन मिलने के एवज में सुपुर्द कर दी थी।

1800 वर्ग फीट के बदले दी गई 1 हजार वर्गफीट जमीन
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि विश्वनाथ धाम परिसर के विस्तार के दौरान अट्ठारह सौ स्क्वायर फिट जमीन मस्जिद कमेटी से ली गई। इस पर पुलिस कंट्रोल रूम बना हुआ था। इसके एवज में उन्हें फूल मंडी के पास 1 हजार स्क्वायर फीट जमीन बाजार भाव के हिसाब से स्थानांतरित कर दी गई। इस जमीन के ट्रांसफर प्रक्रिया में कोई पैसे का लेनदेन नहीं हुआ है।

ट्रांसफर हुई जमीन के असली मालिकाना पर भी है विवाद
केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने जिस जमीन को ट्रांसफर स्वरूप मस्जिद कमेटी को सौंपा है। इसके लिए तकरीबन स्टाम्प ड्यूटी समेत करीब पांच करोड़ का लेनदेन किया गया है। मस्जिद कमेटी के जिस अट्ठारह सौ स्क्वायर फिट जमीन की बात कही जा रही है मूलतः वह जमीन सात सौ स्क्वायर फीट थी । उस जमीन पर भी मालिकाना हक को लेकर काशी करवट के महंत की तरफ से एक वाद भी न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन नियमों को ताक पर रखकर मंदिर प्रशासन ने जमीन का लेनदेन किया। इतना ही नही 1993 में भी जब पुलिस कंट्रोल रूम बनाने की बात सामने आई थी तो उस पर निर्माण को लेकर आपत्ति दर्ज की गई थी लेकिन मौजूदा सरकार ने जबरन उस पर निर्माण कराया था।
रिपोर्ट – अभिषेक कुमार झा

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