जिस मां का दूध पिया, उसी के स्तन काट डाले: कोर्ट बोला- जेल में भी इंसानों को खा जाएगा, इसे जीने का हक नहीं; कोल्हापुर मर्डर केस, आज पार्ट-3 h3>
कोल्हापुर की एक बस्ती में यल्लवा नाम की बूढ़ी की लाश पड़ी थी। आंत, कलेजा, दिल यहां तक कि स्तन भी कटे हुए थे, जो लाश के पास ही पड़े थे। बगल में बैठा उसका बेटा सुनील कुचकोरवी मांस जैसा कुछ खा रहा था। तवे पर भी मांस का टुकड़ा पक रहा था। यह मंजर देखकर पु
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पुलिस को शक हुआ कि सुनील अपनी मां का ही मांस खा रहा है। उसके स्टमक वॉश यानी पेट से निकली चीजों की जांच कराई गई, तो पता चला कि उसके पेट में मां का ही मांस था। तवे पर पड़ा मांस भी मां यल्लवा का था। सुनील के नाखूनों में भी मां के खून के सैंपल मिले।
यह करीब-करीब साफ था कि सुनील ने ही मां को चाकुओं से चीरकर, उसके अंग बाहर निकाल लिए थे, लेकिन इस कत्ल का कोई चश्मदीद नहीं था। दरअसल, वह मटन खाने के लिए पैसे मांग रहा था और मां ने गुस्से में कह दिया था- तू मुझे ही खा ले।
दैनिक NEWS4SOCIALकी सीरीज मृत्युदंड में कोल्हापुर मर्डर केस के पार्ट-1 और पार्ट-2 में आप इतनी कहानी तो जान चुके हैं। तीसरे और आखिरी पार्ट में अब आगे की कहानी…
सुनील के खिलाफ कोल्हापुर के मशहूर एडवोकेट विवेक शुक्ला ने केस लड़ना शुरू किया। पुलिस की एक-एक रिपोर्ट को सिलसिलेवार तरीके से कोर्ट में रखा। शुक्ला ने जिरह के दौरान कोर्ट में कहा- माय लॉर्ड, एक बेटे ने अपनी ही मां का कत्ल किया है। सिर्फ कत्ल ही नहीं, जिस मां के कोख से इस बेटे ने जन्म लिया, उसी को भूनकर खा गया।
पुलिस जांच, पोस्टमॉर्टम, फोरेंसिक और DNA रिपोर्ट यह साबित करने के लिए काफी हैं कि यह साधारण कत्ल नहीं है।
रिपोर्ट से साफ है कि जो खून, मांस के टुकड़े से मिला, वही खून बेटे के मुंह में लगा था। जो मांस का टुकड़ा सुनील के पेट में था, वह किसी जानवर का मांस नहीं, बल्कि मां की बॉडी से निकाले गए अंग के टुकड़े थे।
लाश के पास से जो 3 चाकू बरामद हुए, उसमें लगा खून भी सुनील के शरीर पर पड़े खून के धब्बे से मैच कर रहा है। यानी कत्ल सुनील ने ही किया है।
सुनील के वकील वीडी लाम्बोरे बचाव में कहते रहे- सुनील ने कत्ल नहीं किया है। कातिल को पकड़ने में नाकाम पुलिस ने ये मनगढ़ंत केस गढ़ा है। इस पूरे मामले में कोई चश्मदीद नहीं है। पुलिस ने सबूत बनाए हैं। कोई ठोस सबूत नहीं है।
एडवोकेट शुक्ला ने कहा- माय लॉर्ड, इस केस में भले ही कोई चश्मदीद गवाह नहीं है, लेकिन सारे सबूत इस बात को साबित करने के लिए काफी हैं कि जब इस बूढ़ी का कत्ल हुआ, तो उसके बेटे के अलावा वहां कोई नहीं था। अगर उसने अपनी मां का कत्ल नहीं किया, तो उसने घर से बाहर आकर किसी को क्यों नहीं बताया कि मां की हत्या हो गई है।
हुजूर, यल्लवा को आखिरी बार सुनील की 8 साल की भतीजी रक्षिता ने ही जिंदा देखा था। अब 8 साल की मासूम बच्ची तो झूठ नहीं बोलेगी न ! इसी के आधार पर पुलिस ने लास्ट सीन थ्योरी कोर्ट के सामने पेश की है। हमने 34 गवाहों के इकबालिया बयां कोर्ट के सामने पेश किए हैं। इन्हें देखा जाए…।
इस दलील के बाद सुनील के वकील वीडी लाम्बोरे ने कहा- माय लॉर्ड, इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। सारे सबूत परिस्थितिजन्य हैं, यानी हालातों के आधार पर दोष लगाया जा रहा है। सुनील को इसका फायदा मिलना चाहिए। उसे कम-से-कम सजा दी जानी चाहिए।
जवाब में सरकारी वकील विवेक शुक्ला मेज पर हाथ पटकते हुए ऊंची आवाज में बोल पड़े- माय लॉर्ड, बचाव पक्ष की तरफ से सुनील के लिए कम-से-कम सजा की मांग की जा रही है। यह कतई मंजूर नहीं। आप पूरी रिपोर्ट्स को देखिए।
एक-एक पन्ना इस बात की पुष्टि कर रहा है कि कत्ल सुनील ने ही किया है। DNA रिपोर्ट, फोरेंसिक रिपोर्ट, लास्ट सीन थ्योरी, 34 गवाहों के बयान… सब सुनील के खिलाफ हैं। इस व्यक्ति के लिए मृत्युदंड से कम कुछ भी नहीं।
सुनील के वकील एडवोकेट शुक्ला को टोकते हुए- माय लॉर्ड, सुनील को फांसी की सजा तो नहीं ही मिलनी चाहिए। उम्र कैद दे दी जाए।
सुनवाई पूरी होने के बाद अब ऑर्डर आना बाकी था। कोर्ट ने एडवोकेट शुक्ला से पूछा- सजा पर कुछ कहना है।
विवेक शुक्ला ने कोर्ट से समय मांगा। दो दिन बाद बाद यानी सुनवाई के आखिरी दिन 04 जुलाई 2021 को शुक्ला ने कोर्ट से कहा- यह आम अपराध या महज मर्डर नहीं है। यह ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ यानी विरल से विरलतम है। सारे सबूत बचाव पक्ष के खिलाफ हैं। इसलिए फांसी की सजा से कम कुछ भी मंजूर नहीं।
8 जुलाई 2021 को कोल्हापुर सेशन कोर्ट के एडिशनल जज महेश जाधव ने अपने 98 पन्नों का जजमेंट पढ़ना शुरू किया- सुनील कुचकोरवी अपनी मां यल्लवा के कत्ल का दोषी है। चश्मदीद गवाह न होने का मतलब ये नहीं कि ये कत्ल सुनील ने नहीं किया।
8 साल की बच्ची रक्षिता ने आखिरी बार यल्लवा को सुनील के साथ देखा था। कानून की Last Seen Theory यह साबित करने के लिए काफी है कि सुनील ने ही अपनी मां का मर्डर किया है।
एडिशनल जज महेश जाधव ने कहा-
‘यह कोल्हापुर की धरती करवीर निवासिनी देवी महालक्ष्मी की भूमि है। यहां एक बेटे ने अपनी मां की न सिर्फ हत्या, बल्कि क्रूरता के साथ वध किया। हर धर्म में मां का स्थान सर्वोच्च रखा गया है। दुर्गा, काली, लक्ष्मी… सभी देवी को मां कहा जाता है।’
‘आरोपी सुनील ने घटना के वक्त मां की बेरहमी से हत्या के साथ-साथ बेशर्मी भरा निर्लज्ज कृत्य भी किया है। उसने अपनी मां को नग्न करके उसके गुप्तांग पर चाकू से चोट पहुंचाई। दिल, आंत, पसलियां निकालीं और उसका स्तन तक काट डाला।’
‘आरोपी ने ऐसा करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा कि जिस मां के स्तन को वह काट रहा है, उसी स्तन से उसने बचपन में दूध पिया था। जन्म के समय उसकी मां को 24 हड्डियों के टूटने के बराबर दर्द सहना पड़ा होगा।’
‘जिस तरह से हत्या की गई, इससे पता चलता है कि आरोपी को दूसरों की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है। आरोपी में सुधार या पुनर्वास की कोई गुंजाइश नहीं है।’
‘आरोपी ने अचानक ये सब नहीं किया। वह नशे में भी नहीं था। उसे पता था कि वह क्या कर रहा है। उसने 14 इंच के एक बड़े चाकू और दो छोटे धारदार चाकू से मर्डर किया। ऐसे चाकू बूचड़खाने में इस्तेमाल होते हैं।’
‘सुनील ने जिस तरह से पूरी घटना को अंजाम दिया, उसमें शैतानी प्रवृत्ति दिखाई देती है। ऐसा कोई शैतान ही कर सकता है। मर्डर के दौरान जो दर्द उसकी मां ने सहा होगा, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। असाधारण क्रूरता !’
‘मर्डर से पहले उसने एक बार भी नहीं सोचा कि उसकी पत्नी घर पर नहीं रहती थी। मां उसके लिए खाना बनाती थी। प्यार से खिलाती थी। जिस व्यक्ति के मन में अपनी मां को लेकर भावना नहीं है, वह इस समाज में जीने के लायक नहीं है। उसने जीने का अधिकार नहीं है। यदि उस पर रहम बरती जाए, तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।’
‘यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस यानी विरल से विरलतम मामलों में से एक है।
‘आरोपी सुनील रामा कुचकोरवी को इंडियन पीनल कोड 1860 की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया जाता है। उसे सजा-ए-मौत की सजा सुनाई जाती है। उसे फांसी के फंदे से तब तक लटकाए रखा जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए।’
ये फैसला सुनाकर जज कुर्सी छोड़कर चले गए। कोर्ट के बरामदे में बैठी सुनील की पत्नी लक्ष्मी चीख-चीख कर रोने लगी, लेकिन सुनील के माथे पर चिंता की एक लकीर तक नहीं थी। वह एकटक पूरे कोर्ट को देखता रहा।
कोल्हापुर सेशन कोर्ट में साढ़े 3 साल तक मामला चला। इस दौरान सुनील की पत्नी लक्ष्मी को रोटी के लाले पड़ गए। जब भूख से बच्चे छटपटाते, लक्ष्मी आस-पास से रोटी मांगकर ले आती। वही बच्चों को भी खिलाती और खुद भी खाती।
लक्ष्मी को एक बार काम भी मिला, तो मालिक को पता लग गया कि ये मां का कत्ल करने वाले सुनील की पत्नी है, तो उसे नौकरी से निकाल दिया। ये सिलसिला कई बरस चला। फिलहाल लक्ष्मी मुंबई में लोगों के घरों में बर्तन धोने, झाड़ू-पोछा का काम करती है।
सुनील को मृत्युदंड सुनाने के बाद सेशन कोर्ट ने कन्फर्मेशन के लिए मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट भेज दिया। हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
इसके बाद सुनील ने कोल्हापुर सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील भी की। 01 अक्टूबर 2024 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोबारा फांसी की सजा को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने कहा- यह नरभक्षी है। इसे अगर उम्रकैद दी गई तो जेल में इंसानों को मारकर खा जाएगा।
(सुनील कुचकोरवी 2017 से यरवदा जेल में है। फिलहाल उसने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2024 को सुनील की फांसी पर 6 मई 2025 तक रोक लगा दी है। अभी उसकी अपील पर सुनवाई होनी है।)
(नोट- कोल्हापुर मर्डर केस की पूरी कहानी कोर्ट जजमेंट, SHO संजय मोरे, हेड कॉन्स्टेबल तानाजी, एडवोकेट विवेक शुक्ला, सुनील कुचकोरवी की पत्नी लक्ष्मी कुचकोरवी, पड़ोसी सचिन और मयूर कंडले से बातचीत पर आधारित है।)
‘मृत्युदंड’ सीरीज में अगले हफ्ते पढ़िए एक और सच्ची कहानी…
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स्टोरी संपादन: उदिता सिंह परिहार