जल प्रबंधन से अभिशाप बनेगा वरदान : प्रो. नवीन

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जल प्रबंधन से अभिशाप बनेगा वरदान : प्रो. नवीन

जल प्रबंधन से अभिशाप बनेगा वरदान : प्रो. नवीन

दरभंगा में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में प्रो. नवीन कुमार अग्रवाल ने कहा कि मिथिला में जल प्रबंधन से बिहार न केवल पीने योग्य पानी की आपूर्ति कर सकता है, बल्कि जल संकट से भी निपट सकता है। उन्होंने इस…

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाMon, 14 Oct 2024 07:38 PM
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दरभंगा। मिथिला में जल प्रबंधन कर अभिशाप को वरदान में बदला जा सकता है। आज जिस राष्ट्र व प्रदेश के पास जल का भंडार है, वह प्रदेश जल के बल पर समृद्ध व खुशहाल है। एमएलएसएम कॉलेज में मिथिला में जल संरक्षण: दशा एवं दिशा विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में उच्च शिक्षा के शैक्षणिक सलाहकार व इंटेक के दरभंगा चैप्टर के संयोजक प्रो. नवीन कुमार अग्रवाल ने ये बातें कही। प्रो. अग्रवाल ने संवाद कार्यक्रम के विषय को सारगर्भित और जनहित में महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि एक तरफ उत्तर बिहार हर वर्ष अमूमन बाढ़ की विभीषका को झेलता है तो वहीं दूसरी ओर दक्षिण बिहार पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता है। सिर्फ मिथिला में जल प्रबंधन पर काम हो जाय तो हम सालोंभर पूरे बिहार को न सिर्फ पीने योग्य पानी की आपूर्ति सकते हैं, बल्कि दूसरे प्रदेशों को भी इसकी आपूर्ति कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा का इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है जिसे वर्तमान मंत्री विजय कुमार चौधरी आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्व मंत्री श्री झा ने मिथिला में नहर बनाने की दिशा में पहल शुरू की थी जो वर्तमान में भी जारी है।

पूर्व प्रधानाचार्य व वनस्पति विज्ञानी प्रो. विद्यानाथ झा ने कहा कि सिर्फ मिथिला में जल प्रबंधन कर बिहार पानी का सबसे बड़ा निर्यातक बन सकता है। जल संकट बिहार में भी गहराता जा रहा है। इसी को देखते हुए आज सात निश्चय के माध्यम से बिहार के हर घर तक नल के जल को पहुंचाया जा रहा है। अभी भी जल प्रबंधन की दिशा में बिहार में बहुत काम करना होगा। सिर्फ जल प्रबंधन पर काम हो जाय तो मिथिला खेती के क्षेत्र में काफी अव्वल हो जाएगी। हम बाढ़ से लेकर वर्षा तक के जल का प्रबंधन कर सिंचाई के मामले में अव्वल राज्य बन सकते हैं। तालाब बचाओ अभियान के नारायण जी चौधरी ने कहा कि आज से 20-30 साल पहले जल प्रबंधन की दिशा में बिहार के हर गांवों में तालाब व कुओं की भरमार थी। आज एक-एक कर सभी तालाब व कुएं गायब हो रहे हैं। कुआं तो शायद अबकी पीढ़ी देख भी ना पाये। इसे बचाना पूरे समाज के लिये चुनौती है। बिहार में जल-जीवन व हरियाली पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो कि इस दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित होगी। सरकार आज तालाब खुदवाने वालों को सब्सिडी मुहैया करा रही है, इसको लेकर भी समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है।

लनामिवि के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि जल की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध जल संकट के बाबत ही होगी। आप भारत में ही कावेरी जल विवाद को देख लें, महाराष्ट्र और कर्नाटक में सदैव संघर्ष की स्थिति रहती है। आज मिथिला के लिये बाढ़ विभीषका का रूप ले चुकी है। जल का उचित प्रबंधन होने से हम जल से बिजली तैयार कर सकते हैं, सिंचाई में अव्वल हो सकते हैं और पीने योग्य पानी तैयार कर सकते हैं। कॉलेज के संस्थापक सचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ने अतिथियों को मिथिला के पारंपरिक परिधान पाग, चादर व पौधा देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर इंटेक, दरभंगा चैप्टर के शिव कुमार मिश्र सहित विभिन्न वक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार सिंह तथा धन्यावाद ज्ञापन एनएसएस पदाधिकारी डॉ. सुबोध चंद्र यादव ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज के सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मी व बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

जल संरक्षण से मिथिला का होगा तेज विकास: प्राचार्य

एमएलएसएम कॉलेज के आईक्यूएसी तथा इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. शंभू कुमार यादव ने कहा कि जल का महत्व अतीत में भी था, वर्तमान में भी है और भविष्य में भी रहेगा। हम कितने भी आधुनिक हो जाए, लेकिन जल सबकी जरूरत है। जल संरक्षण कर ही हम इन जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। मिथिला क्षेत्र जहां बाढ़ का पानी बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है, उसे संरक्षित कर हम उसे विभिन्न क्षेत्रों में काम ला सकते हैं और विकास के पैमान पर अव्वल बना सकते हैं।

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