‘जरा हटके जरा बचके’ की कामयाबी से छिड़ी बहस, क्या फ्री टिकट बांटने से मिलेगा बॉलीवुडवालों को फायदा?

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‘जरा हटके जरा बचके’ की कामयाबी से छिड़ी बहस, क्या फ्री टिकट बांटने से मिलेगा बॉलीवुडवालों को फायदा?

‘जरा हटके जरा बचके’ की कामयाबी से छिड़ी बहस, क्या फ्री टिकट बांटने से मिलेगा बॉलीवुडवालों को फायदा?

पिछले काफी अरसे से एक अदद हिट फिल्म को तरस रहे बॉक्स ऑफिस पर पिछले हफ्ते रिलीज हुई विकी कौशल और सारा अली खान की फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ ने उम्मीद की किरण जगा दी। दरअसल इस फिल्म ने पहले वीकेंड पर 20 करोड़ से ज्यादा की कमाई करके फिल्म इंडस्ट्रीवालों को हैरान कर दिया। वरना इस फिल्म से हर किसी को इसकी मौजूदा कमाई से आधी कमाई की भी उम्मीद नहीं थी। कुछ लोगों का कहना है कि फिल्म को दर्शकों ने उसके अच्छे कॉन्टेंट के चलते पसंद किया। वहीं कुछ का मानना है कि फिल्म को इसके निर्माताओं द्वारा एक के साथ एक टिकट फ्री ऑफर के चलते ज्यादा दर्शक मिले।

बता दें कि फिल्म के पहले वीकेंड पर करीब ढाई लाख टिकट ऑफर के चलते मुफ्त में दर्शकों को बांटे गए। बावजूद इसके फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ ने सूने पड़े बॉक्स ऑफिस पर कमाई की बारिश कर दी है। शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ के पोस्टपोन होने के चलते उसकी रिलीज डेट पर रिलीज हुई, फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ को अभी एक हफ्ते का समय और मिलेगा। अगले हफ्ते प्रभास की आदिपुरुष रिलीज हो रही है। दूसरी ओर सनी देओल और अमीषा पटेल स्टारर फिल्म गदर एक प्रेम कथा ने भी एक के साथ एक फ्री टिकट का ऑफर दर्शकों को दिया। गौरतलब है कि 2001 में रिलीज हुई गदर एक बार सिनेमाघरों में रिलीज की जा रही है।

जरा हटके जरा बचके का हिट होने का कारण

इस बारे में बात करने पर प्रोड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर कहते हैं कि यह कहना बिल्कुल सही नहीं है कि फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ को दर्शक सिर्फ एक के साथ एक फ्री टिकट के चलते देखने आए हैं। अगर वाकई ऐसा होता, तो इससे पहले कई फिल्मों के लिए निर्माताओं ने इस तरह के ऑफर दिए थे, लेकिन उससे उन फिल्मों को दर्शक नहीं मिले। अगर दर्शक किसी फिल्म को पसंद करते हैं, तो वे उसे बिना किसी ऑफर के भी देखने आते हैं।

‘फिल्म में होना चाहिए दम’

वहीं अगर फिल्म अच्छी है और उसके टिकट पर एक के साथ एक फ्री का ऑफर भी है, तो जरूर उसको बढ़ाने में मदद मिलेगी। हालांकि मेरा मानना है कि फिल्म निर्माताओं को एक टिकट के साथ एक टिकट देने की बजाय सीधे सिनेमा टिकट का दाम आधा कर देना चाहिए। इससे दर्शकों को ज्यादा फायदा होता है और ज्यादा संख्या में दर्शक सिनेमा पहुंचते हैं। पिछले दिनों भी हमने देखा कि इस तरह के ऑफर के चलते सिनेमाघरों में हाउसफुल के बोर्ड लग गए थे। नैशनल सिनेमा डे पर 75 रुपए में सिनेमा टिकट बिके, तो सिनेमा लवर्स डे पर 99 रुपए में लोगों ने फिल्में देखीं। वहीं पठान के टिकट भी 100 रुपए में बिके। उससे बड़ा उदाहरण दृश्यम और गुडबाय जैसी फिल्मों का है, जिन्हें पहले दिन की एडवांस बुकिंग पर 50 फीसदी छूट थी। लेकिन गुडबाय जहां नहीं चली, वहीं दृश्यम का कॉन्टेंट अच्छा था, तो उसने 200 करोड़ से ज्यादा की कमाई की।’

‘मुफ्त टिकट से नहीं बनेगी बात’

वहीं ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श कहते हैं, ‘पिछले हफ्ते रिलीज हुई फिल्म जरा हट के जरा बच के को दर्शकों ने इसके कॉन्टेंट के चलते पसंद किया, वहीं एक के साथ एक फ्री टिकट के ऑफर ने फिल्म का बिजनेस बढ़ाने में मदद की। लेकिन यहां यह कहना सही नहीं होगा कि फिल्म को देखने दर्शक सिर्फ इसी ऑफर की वजह से आए। अगर किसी फिल्म को दर्शक पसंद नहीं करते, तो फिर कोई भी ऑफर या फ्री टिकट वाली स्कीम उसे बॉक्स ऑफिस पर डूबने से नहीं बचा सकती। अगर बाय वन गेट वन ऑफर से किसी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफल बनाया जा सकता, तो कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की फिल्म शहजादा को पहले दिन जबर्दस्त कमाई करनी चाहिए थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई थी, जबकि इसके निर्माताओं ने पहले दिन से ही एक के साथ एक टिकट फ्री का ऑफर रखा था।’ वहीं फिल्मी दुनिया के जानकार यह भी कहते हैं कि किसी फिल्म में दम नहीं है, तो महज एक के साथ एक टिकट फ्री देकर दर्शकों को सिनेमाघर नहीं लाया जा सकता। बेशक एक के साथ एक टिकट फ्री मिलने से दर्शकों में सिनेमाघर आने को लेकर क्रेज बढ़ता है, लेकिन सिर्फ इसके दम पर सिनेमाघर हाउसफुल नहीं हो सकते। बेहतर होगा कि निर्माता फ्री टिकट देने की बजाय अच्छी फिल्में बनाने पर ध्यान दें।

बिजनेस एनालिस्ट का क्या कहना है?

यह कहना बिल्कुल सही नहीं है कि फिल्म जरा हट के जरा बच के को दर्शक सिर्फ एक के साथ एक फ्री टिकट के चलते देखने आए हैं। अगर वाकई ऐसा होता, तो इससे पहले कई फिल्मों के लिए निर्माताओं ने इस तरह के ऑफर दिए थे, लेकिन उससे उन फिल्मों को दर्शक नहीं मिले।

गिरीश जौहर, प्रोड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट