चलती ट्रेन में चादर से बनाया प्रसव कक्ष, महिला ने दिया बेटी को जन्म.. गाजियाबाद की घटना, रेलवे स्टाफ पर लापरवाही का आरोप

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चलती ट्रेन में चादर से बनाया प्रसव कक्ष, महिला ने दिया बेटी को जन्म.. गाजियाबाद की घटना, रेलवे स्टाफ पर लापरवाही का आरोप

चलती ट्रेन में चादर से बनाया प्रसव कक्ष, महिला ने दिया बेटी को जन्म.. गाजियाबाद की घटना, रेलवे स्टाफ पर लापरवाही का आरोप

गाजियाबाद: चंडीगढ़ से उन्नाव ट्रेन से जा रहे एक परिवार के साथ जो हुआ वो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा। चलती ट्रेन में परिवार की गर्भवती महिला को असहनीय दर्द होने लगा। उन्होंने मदद के लिए स्टेशन कर्मियों से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। ऐसा आरोप है कि बस नंबर देकर कह दिया कि यहां कॉल कर लो। पीड़ित नंबर मिलाते रहे, लेकिन मदद नहीं मिली। वहां मौजूद स्टाफ मोबाइल पर गेम खेलता रहा।

मजबूरी में ट्रेन में मौजूद कुछ महिलाओं और एक यात्री ने परिवार की मदद की। उन्होंने चलती ट्रेन में ही चादर से प्रसव कक्ष बनाया। फिर एक नर्स से फोन पर बात करते रहे। कुछ ही देर में महिला ने एक बेटी को जन्म दिया। घटना साहिबाबाद और गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के बीच की है। उसी हालत में कई घंटे का सफर करके वे उन्नाव पहुंचे। किस्मत से मां बेटी दोनों ठीक हैं।

महिला के पति धर्मेंद्र ने बताया कि 4 बजे वह ट्रेन में बैठे थे। 6 बजे से उनकी पत्नी को दर्द उठना शुरू हो गया था। चलती ट्रेन में हरियाणा के सरकारी ऐंम्बुलेंस चालक ने महिला के सुरक्षित प्रसव में मदद की। दिनेश ने बताया कि बोगी में गर्भवती रवीना अपने पति धर्मेंद्र और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सफर कर रही थी।

ट्रेन में प्रसव और सहायता संबंधी कोई सूचना जीआरपी को नहीं मिली थी, अगर सूचना मिली होती तो जरूरी कार्रवाई और सहायता जरूर की जाती।

अनुज मालिक, प्रभारी जीआरपी GRP

ट्रेन दिल्ली पहुंचती उससे पहले ही नरेला स्टेशन पर गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने लगी। उनसे वह देखा नहीं गया। रवीना के पति धर्मेंद्र से बात की। उनके पास मौजूद अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट अंबाला में ही कार्यरत स्टाफ नर्स सुदेश शर्मा के मोबाइल पर भेजी और रवीना से उसकी बात भी कराई। उन्होंने रेलवे से मदद के लिए 139 नंबर डायल किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

ट्रेन के आगे बढ़ने के साथ ही रवीना की पीड़ा भी बढ रही थी। ऐम्बुलेंस सेवा-102 और 108 के लिए भी कॉल की, ऐम्बुलेंस सेवा गाजियाबाद स्टेशन पर उपलब्ध कराने की मांग की। ट्रेन अभी साहिबाबाद स्टेशन पर ही

पहुंची थी, रवीना की स्थिति देखी नहीं जा रही थी। कहीं से मदद न मिलती देख बोगी में सफर कर रहे लोगों की मदद से चादर से पर्दा करते हुए बोगी में प्रसव कक्ष बना दिया। रवीना के साथ सफर कर रही महिलाओं को गाइड करना शुरू किया। अंबाला से स्टाफ नर्स सुदेश भी लगातार लाइन पर बनी रहीं। रवीना के साथ चल रही महिलाओं को गाइड करती रहीं।

मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। न ही उनके पास कोई शिकायत पहुंची। अगर ऐसा हुआ है तो टीम से जानकारी लेंगे।

वी. के. गुप्ता, स्टेशन अधीक्षक

साहिबाबाद और गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के बीच रवीना ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची की साफ-सफाई भी महिलाओं को गाइड करके कराई गई। गाजियाबाद स्टेशन पर पहुंचकर रेलवे कर्मचारियों से अतिरिक्त समय ट्रेन रोकने की मांग की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। ट्रेन चल दी और हम गाजियाबाद स्टेशन पर ही उतर गए। हालांकि रवीना के परिवार से लगातार संपर्क में रहे। परिवार उन्नाव पहुंच गया है। जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।

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