खाली हो रहा खजाना, फिर भी स्वच्छता के टॉप-10 में नहीं पा रहे ठिकाना | treasury getting empty, unable to find a place in top-10 | Patrika News h3>
प्रदेश के स्वच्छ शहरों की रैकिंग में जबलपुर शहर तीन साल से टॉप-10 में भी नहीं आ रहा। वर्ष 2019 में 25वें, 2020 में 17वें और 2021 में 20वें स्थान पर मुश्किल से आया था। इसके बाद भी सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं लाया जा सका। तमाम शिकायतें हुईं। जांच रिपोर्ट बनीं और बनाई गईं। खानापूर्ति के लिए कार्रवाई की गई। निगम के खजाने से करोड़ों रुपए खर्च होते रहे। लेकिन, व्यवस्था पर पटरी पर नहीं आई। अब फिर से रैंकिंग की याद आई है। हालांकि, निगम का सफाई अमला पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है।
हाल बदहाल, लोग परेशान
शहर में लागू सफाई व्यवस्था कागजों पर ही मजबूत है। लेकिन, असल में लोग परेशान हैं। किसी भी मोहल्ले में कचरा परिवहन की गाड़ी तय समय पर नहीं आती। कहीं-कहीं तो कब आती है, कब चली जाती है, पता नहीं चलता। कुछ घरों में कचरा गाड़ी पर नजर रखने के लिए किसी न किसी की एक तरह से तैनाती करनी पड़ती है। थोड़ा सा ध्यान हटा, तो वाहन नदारद। मजबूरी में लोग कचरा अपने घर में रखकर अगले दिन का इंतजार करते हैं। कुछ लोग आस-पास खाली जगह पर फेंक देते हैं। पास के मकान मालिक से विवाद भी इस चक्कर में होता है। यह आरोप आम बात है कि कचरा उठाने वालों को पैसे दे दो, तो वह गेट खोलकर अंदर से भी डस्टबिन ले जाएगा। पैसे नहीं दिए, तो दरवाजे पर वाहन रुकता भी नहीं। इसके अलावा सड़कों पर झाड़ू लगाने वाले आ जाएंगे, तो कचरा उठाने वाले नहीं आएंगे। नालियां साफ करने वालों की झलक मुश्किल से दिखती है।
मनमानी पर नजर नहीं
शहर को चकाचक बनाने की योजना लाने का दावा निगम के जिम्मेदारों ने वर्ष 2016 में किया था। उसी समय सफाई का ठेका दिया गया। हालांकि, रहस्य बरकरार है कि किसकी शह पर योजना दम तोड़ती रही और अमले पर नकेल नहीं कसी गई। हर तरफ नालियां बजबजा रही हैं। जगह-जगह कचरे के ढेर बारिश में सड़ रहे हैं। यह हालत तब है, जब ठेका कम्पनी को निगम के खजाने से हर महीने 1 करोड़ 30 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। इसके अलावा फरवरी-2021 में निगम ने 16 सम्भागों को क्लस्टर में बांटा। कहा गया था कि इससे पूरा शहर चमकने लगेगा। क्लस्टर में मां नर्मदा साईं सेवा समिति, प्रियांसी कंस्ट्रक्शन एंड फेसिलिटी, मां नर्मदा सफाई संरक्षक एंड लेबर कॉन्टेक्टर कोऑपरेटिव सोसायटी, अल्ट्रा क्लीन एंड केयर कंपनी और श्री बर्फानी सिक्योरिटी को सफाई का ठेका दिया। शिकायतें सामने आ रही हैं कि जिन वार्डों में 40 सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगनी चाहिए, वहां 20 कर्मचारी भेजे जाते हैं।
सफाई व्यवस्था सुधारने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही इसके परिणाम आएंगे।
-भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम
प्रदेश के स्वच्छ शहरों की रैकिंग में जबलपुर शहर तीन साल से टॉप-10 में भी नहीं आ रहा। वर्ष 2019 में 25वें, 2020 में 17वें और 2021 में 20वें स्थान पर मुश्किल से आया था। इसके बाद भी सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं लाया जा सका। तमाम शिकायतें हुईं। जांच रिपोर्ट बनीं और बनाई गईं। खानापूर्ति के लिए कार्रवाई की गई। निगम के खजाने से करोड़ों रुपए खर्च होते रहे। लेकिन, व्यवस्था पर पटरी पर नहीं आई। अब फिर से रैंकिंग की याद आई है। हालांकि, निगम का सफाई अमला पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है।
हाल बदहाल, लोग परेशान
शहर में लागू सफाई व्यवस्था कागजों पर ही मजबूत है। लेकिन, असल में लोग परेशान हैं। किसी भी मोहल्ले में कचरा परिवहन की गाड़ी तय समय पर नहीं आती। कहीं-कहीं तो कब आती है, कब चली जाती है, पता नहीं चलता। कुछ घरों में कचरा गाड़ी पर नजर रखने के लिए किसी न किसी की एक तरह से तैनाती करनी पड़ती है। थोड़ा सा ध्यान हटा, तो वाहन नदारद। मजबूरी में लोग कचरा अपने घर में रखकर अगले दिन का इंतजार करते हैं। कुछ लोग आस-पास खाली जगह पर फेंक देते हैं। पास के मकान मालिक से विवाद भी इस चक्कर में होता है। यह आरोप आम बात है कि कचरा उठाने वालों को पैसे दे दो, तो वह गेट खोलकर अंदर से भी डस्टबिन ले जाएगा। पैसे नहीं दिए, तो दरवाजे पर वाहन रुकता भी नहीं। इसके अलावा सड़कों पर झाड़ू लगाने वाले आ जाएंगे, तो कचरा उठाने वाले नहीं आएंगे। नालियां साफ करने वालों की झलक मुश्किल से दिखती है।
मनमानी पर नजर नहीं
शहर को चकाचक बनाने की योजना लाने का दावा निगम के जिम्मेदारों ने वर्ष 2016 में किया था। उसी समय सफाई का ठेका दिया गया। हालांकि, रहस्य बरकरार है कि किसकी शह पर योजना दम तोड़ती रही और अमले पर नकेल नहीं कसी गई। हर तरफ नालियां बजबजा रही हैं। जगह-जगह कचरे के ढेर बारिश में सड़ रहे हैं। यह हालत तब है, जब ठेका कम्पनी को निगम के खजाने से हर महीने 1 करोड़ 30 लाख रुपए दिए जा रहे हैं। इसके अलावा फरवरी-2021 में निगम ने 16 सम्भागों को क्लस्टर में बांटा। कहा गया था कि इससे पूरा शहर चमकने लगेगा। क्लस्टर में मां नर्मदा साईं सेवा समिति, प्रियांसी कंस्ट्रक्शन एंड फेसिलिटी, मां नर्मदा सफाई संरक्षक एंड लेबर कॉन्टेक्टर कोऑपरेटिव सोसायटी, अल्ट्रा क्लीन एंड केयर कंपनी और श्री बर्फानी सिक्योरिटी को सफाई का ठेका दिया। शिकायतें सामने आ रही हैं कि जिन वार्डों में 40 सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी लगनी चाहिए, वहां 20 कर्मचारी भेजे जाते हैं।
सफाई व्यवस्था सुधारने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही इसके परिणाम आएंगे।
-भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम