खाक हाेती पुलिस की साख : शिकायतें आने के बावजूद यह थाना आज तक नहीं कर सका एक भी बड़ा केस साॅल्व | Credibility of the MP police is gone because of Bad reputation | Patrika News h3>
इस पुलिस थाने की यह खासियत है कि इस थाने वाले अपने क्षेत्र में अपराध कम दिखाने की हाेड़ में शिकायतकर्ताओं की शिकायत लेने के बावजूद या तो उन्हें रिसीविंग नहीं देते और अगर किसी तरह शिकायतकर्ता रिसीविंग की प्राप्ति कर भी लेता है तो भी कई बार ताे FIR दर्ज ही नहीं की जाती है। वहीं ये भी शिकायतें सामने आती रहती हैं कि शिकायत की रिसीविंग लेने पर पुलिस कर्मियों द्वारा यहां तक कह दिया जाता है कि रिसीविंग से क्या हाेगा केस इससे थाेड़े ही साॅल्व हाे जाएगा। ताकि शिकायतकर्ता पर ही दबाव बनाकर पुलिस अपने तरीके से केस काे घुमा सकें।
जानकाराें के अनुसार ऐसा करने से थाने में थाना क्षेत्र में होने वाली घटनाओं और वारदातों की संख्या पुलिस के रजिस्टर पर कम हो जाती है। जिसके चलते यहां के अधिकारी इस थाने काे काफी अच्छा कार्रवाई करने वाला मानते हैं एफआईआर की संख्या और शिकायतों की संख्या कम होने के चलते थाने का रौब अफसरों के बीच में भी काफी अच्छा रहता है।
यहां ताे शिकायतकर्ता काे ही FIR के नाम पर घुमाया जाता है, खुद नहीं मालूम FIR का मतलब-
दरअसल अभी कुछ समय पहले ही मिसराेद थाने में आए एक केस पर वहां के पुलिस कर्मियों द्वारा यह कह दिया गया कि इस केस पर हमें अभी शक है अत: हम FIR नहीं कर सकते, जबकि वे इसका शिकायत पत्र करीब 2 से 4 दिन पूर्व ही ये कह कर ले चुके थे कि हम जांच करेंगे, जांच के बाद मामला साफ हाेने के बावजूद FIR की बात कहने पर पुलिस की ओर से अभी FIR नहीं करने की बात कही गई थीं । पुलिस की इसी कार्यप्रणाली काे देखते हुए क्षेत्र के लाेग अब गृह मंत्री से मुलाकात का विचार बना रहे हैं।
जबकि FIR का मतलब फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (First Information Report) हाेता है, जाे किसी भी पीडित के द्वारा लिखाई जा सकती है। क्याेंकि जब किसी अपराध की पहली सूचना कोई व्यक्ति पुलिस को देता है तो उसे थाना में एक फॉर्म में दर्ज किया जाता है, जिसे FIR कहते हैं और उसी के आधार पर पुलिस उस अपराध का अनुसंधान करती है।
ऐसे में आज हम आपको मिसराेद थाने से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपने कभी सुना भी नहीं होगा, दरअसल मिसरोद थाना राजधानी भोपाल में स्थित है। इसी थाने के क्षेत्र में भोपाल का सबसे बड़ा कवर्ड कैंपस रुचि लाइफ़स्केप्स भी स्थित है। मगर तमाम कोशिशों के बावजूद रुचि लाइफ में होने वाली घटनाओं का आज तक थाने की पुलिस द्वारा एक बार भी समाधान नहीं किया जा सका है।
दरअसल रुचि लाइफ में अनेक चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं, ऐसे में हर बार पुलिस आती है कार्रवाई का लोगों को भरोसा भी दिलाती है, क्षेत्र के लाेगाें का कहना है कि इसके बावजूद कोई भी केस आज तक पुलिस द्वारा सॉल्व नहीं किया जा सका हैं। ऐसे में कई बार यह बातें भी आती रहती हैं कि इन मामलाें में पुलिस द्वारा अपराधियों को पकड़ तो लिया जाता है, लेकिन उनसे हिस्सा बांटी के चलते इन केस को ओपन नहीं किया जाता और हिस्सा बांटी के बाद दबा दिया जाता है। ऐसा ही एक केस कुछ दिनों पहले भी रुचि लाइफ़स्केप्स की मल्टी में हुआ है। जहां बी- 4 मल्टी में एक परिवार रहता है, जिनके कार्य पर जाने के बाद उनके घर से सारा गाेल्ड चाेरी हाे गया क्योंकि यह परिवार अपनी चाबियां अपनी काम करने वाली बाई को दे जाता है ऐसे में काम करने आने वाली बाई पर पूर्ण रूप से शक था।
जब इस मामले की शिकायत मिसरोद थाने में की गई तो शिकायतकर्ता से शिकायत का पत्र तो ले लिया गया, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की रिसीविंग नहीं दी गई, जिसके करीब तीन-चार दिन बाद जब पुलिस से लगातार इस संबंध में कहा गया और इस संबंध में भोपाल पुलिस कमिश्नर को शिकायत की गई तब कहीं जाकर रिसीविंग पुरानी तिथि के रूप में दी गई।
इस मामले में एक खास बात यह भी रही कि रिसीविंग लेने से पहले जब पुलिस के जांच अधिकारी से फोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि हम लोग क्लियर कर चुके हैं यह चोरी घर में कार्यरत बाई द्वारा ही की गई है, लेकिन इसके बाद रिसीविंग लेने के चलते अब तक इस मामले का पुलिस द्वारा खुलासा नहीं किया गया है। वहीं क्षेत्र में ये भी चर्चा है कि पुलिस चोर को पकड़ ताे चुकी है, लेकिन उससे इस समय अपना 80-20 का हिस्सा करते हुए केस को दबाने की कोशिश में व्यस्त है। साथ ही यदि ऐसा न हाे ताे भी पुलिस अब इस मामले के खुलासे के लिए विशेष प्रयास करती नहीं दिख रही है।
केवल एक कॉलोनी में हो रही घटनाओं से मिसरोद थाने की स्थिति इस प्रकार समझें-
– मिसरोद थाना के अंतर्गत आने वाले राजधानी के सबसे बड़े कवर्ड कैंपस रुचि लाइव स्केप्स में हुई 5 बड़ी चोरियों में से आज तक एक भी चोरी का पुलिस खुलासा नहीं कर सकी है।
– वहीं दूसरी ओर इसी कॉलोनी में काम करने आने वाली कुछ महिलाओं द्वारा गलत कार्य किए जाने की सूचना भी लगातार सामने आती रहती है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने अब तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है।
– इससे पूर्व में यहां रात में कई बार बाहर से आए लाेगाें द्वारा हंगामें की काेशिशें व लाेगाें के घरों के दरवाजे काे ताेड़ने की काेशिशें भी हाे चुकीं हैं, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस के पास नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस की ओर से आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई ऐसे लाेगाें पर नहीं की गई है।
वहीं ये भी आरोप लगता रहता है कि इस थाने से लगातार उपर के अफसराें पर कुछ न कुछ पहुंचाने के चलते अधिकांश अफसर इस थाने पर विशेष कृपा भी बनाए रखते हैं। यहां तक की कुछ लाेगाें का ये तक मानना है कि भाेपाल में कमिश्नर व्यवस्था के आगमन के बाद से इस थाने की स्थिति में और ज्यादा गिरावट आई है।
वहीं इस संबंध में जब भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देऊस्कर से बात करने की कोशिश की गई ताे उनसे संपर्क नहीं हाे सका।
इस पुलिस थाने की यह खासियत है कि इस थाने वाले अपने क्षेत्र में अपराध कम दिखाने की हाेड़ में शिकायतकर्ताओं की शिकायत लेने के बावजूद या तो उन्हें रिसीविंग नहीं देते और अगर किसी तरह शिकायतकर्ता रिसीविंग की प्राप्ति कर भी लेता है तो भी कई बार ताे FIR दर्ज ही नहीं की जाती है। वहीं ये भी शिकायतें सामने आती रहती हैं कि शिकायत की रिसीविंग लेने पर पुलिस कर्मियों द्वारा यहां तक कह दिया जाता है कि रिसीविंग से क्या हाेगा केस इससे थाेड़े ही साॅल्व हाे जाएगा। ताकि शिकायतकर्ता पर ही दबाव बनाकर पुलिस अपने तरीके से केस काे घुमा सकें।
जानकाराें के अनुसार ऐसा करने से थाने में थाना क्षेत्र में होने वाली घटनाओं और वारदातों की संख्या पुलिस के रजिस्टर पर कम हो जाती है। जिसके चलते यहां के अधिकारी इस थाने काे काफी अच्छा कार्रवाई करने वाला मानते हैं एफआईआर की संख्या और शिकायतों की संख्या कम होने के चलते थाने का रौब अफसरों के बीच में भी काफी अच्छा रहता है।
यहां ताे शिकायतकर्ता काे ही FIR के नाम पर घुमाया जाता है, खुद नहीं मालूम FIR का मतलब-
दरअसल अभी कुछ समय पहले ही मिसराेद थाने में आए एक केस पर वहां के पुलिस कर्मियों द्वारा यह कह दिया गया कि इस केस पर हमें अभी शक है अत: हम FIR नहीं कर सकते, जबकि वे इसका शिकायत पत्र करीब 2 से 4 दिन पूर्व ही ये कह कर ले चुके थे कि हम जांच करेंगे, जांच के बाद मामला साफ हाेने के बावजूद FIR की बात कहने पर पुलिस की ओर से अभी FIR नहीं करने की बात कही गई थीं । पुलिस की इसी कार्यप्रणाली काे देखते हुए क्षेत्र के लाेग अब गृह मंत्री से मुलाकात का विचार बना रहे हैं।
जबकि FIR का मतलब फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (First Information Report) हाेता है, जाे किसी भी पीडित के द्वारा लिखाई जा सकती है। क्याेंकि जब किसी अपराध की पहली सूचना कोई व्यक्ति पुलिस को देता है तो उसे थाना में एक फॉर्म में दर्ज किया जाता है, जिसे FIR कहते हैं और उसी के आधार पर पुलिस उस अपराध का अनुसंधान करती है।
ऐसे में आज हम आपको मिसराेद थाने से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपने कभी सुना भी नहीं होगा, दरअसल मिसरोद थाना राजधानी भोपाल में स्थित है। इसी थाने के क्षेत्र में भोपाल का सबसे बड़ा कवर्ड कैंपस रुचि लाइफ़स्केप्स भी स्थित है। मगर तमाम कोशिशों के बावजूद रुचि लाइफ में होने वाली घटनाओं का आज तक थाने की पुलिस द्वारा एक बार भी समाधान नहीं किया जा सका है।
दरअसल रुचि लाइफ में अनेक चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं, ऐसे में हर बार पुलिस आती है कार्रवाई का लोगों को भरोसा भी दिलाती है, क्षेत्र के लाेगाें का कहना है कि इसके बावजूद कोई भी केस आज तक पुलिस द्वारा सॉल्व नहीं किया जा सका हैं। ऐसे में कई बार यह बातें भी आती रहती हैं कि इन मामलाें में पुलिस द्वारा अपराधियों को पकड़ तो लिया जाता है, लेकिन उनसे हिस्सा बांटी के चलते इन केस को ओपन नहीं किया जाता और हिस्सा बांटी के बाद दबा दिया जाता है। ऐसा ही एक केस कुछ दिनों पहले भी रुचि लाइफ़स्केप्स की मल्टी में हुआ है। जहां बी- 4 मल्टी में एक परिवार रहता है, जिनके कार्य पर जाने के बाद उनके घर से सारा गाेल्ड चाेरी हाे गया क्योंकि यह परिवार अपनी चाबियां अपनी काम करने वाली बाई को दे जाता है ऐसे में काम करने आने वाली बाई पर पूर्ण रूप से शक था।
जब इस मामले की शिकायत मिसरोद थाने में की गई तो शिकायतकर्ता से शिकायत का पत्र तो ले लिया गया, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की रिसीविंग नहीं दी गई, जिसके करीब तीन-चार दिन बाद जब पुलिस से लगातार इस संबंध में कहा गया और इस संबंध में भोपाल पुलिस कमिश्नर को शिकायत की गई तब कहीं जाकर रिसीविंग पुरानी तिथि के रूप में दी गई।
इस मामले में एक खास बात यह भी रही कि रिसीविंग लेने से पहले जब पुलिस के जांच अधिकारी से फोन पर बात की गई तो उनका कहना था कि हम लोग क्लियर कर चुके हैं यह चोरी घर में कार्यरत बाई द्वारा ही की गई है, लेकिन इसके बाद रिसीविंग लेने के चलते अब तक इस मामले का पुलिस द्वारा खुलासा नहीं किया गया है। वहीं क्षेत्र में ये भी चर्चा है कि पुलिस चोर को पकड़ ताे चुकी है, लेकिन उससे इस समय अपना 80-20 का हिस्सा करते हुए केस को दबाने की कोशिश में व्यस्त है। साथ ही यदि ऐसा न हाे ताे भी पुलिस अब इस मामले के खुलासे के लिए विशेष प्रयास करती नहीं दिख रही है।
केवल एक कॉलोनी में हो रही घटनाओं से मिसरोद थाने की स्थिति इस प्रकार समझें-
– मिसरोद थाना के अंतर्गत आने वाले राजधानी के सबसे बड़े कवर्ड कैंपस रुचि लाइव स्केप्स में हुई 5 बड़ी चोरियों में से आज तक एक भी चोरी का पुलिस खुलासा नहीं कर सकी है।
– वहीं दूसरी ओर इसी कॉलोनी में काम करने आने वाली कुछ महिलाओं द्वारा गलत कार्य किए जाने की सूचना भी लगातार सामने आती रहती है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने अब तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है।
– इससे पूर्व में यहां रात में कई बार बाहर से आए लाेगाें द्वारा हंगामें की काेशिशें व लाेगाें के घरों के दरवाजे काे ताेड़ने की काेशिशें भी हाे चुकीं हैं, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस के पास नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस की ओर से आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई ऐसे लाेगाें पर नहीं की गई है।
वहीं ये भी आरोप लगता रहता है कि इस थाने से लगातार उपर के अफसराें पर कुछ न कुछ पहुंचाने के चलते अधिकांश अफसर इस थाने पर विशेष कृपा भी बनाए रखते हैं। यहां तक की कुछ लाेगाें का ये तक मानना है कि भाेपाल में कमिश्नर व्यवस्था के आगमन के बाद से इस थाने की स्थिति में और ज्यादा गिरावट आई है।
वहीं इस संबंध में जब भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देऊस्कर से बात करने की कोशिश की गई ताे उनसे संपर्क नहीं हाे सका।