क्या लालू की आरजेडी बिहार में दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पासवान और बीजेपी का वोट झटक पाएगी?

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क्या लालू की आरजेडी बिहार में दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पासवान और बीजेपी का वोट झटक पाएगी?

क्या लालू की आरजेडी बिहार में दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पासवान और बीजेपी का वोट झटक पाएगी?

लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह के इस्तीफे की अटकलें चल रही हैं। कहा जा रहा है कि जगदानंद सिंह ने लालू को अपना इस्तीफा देने की पेशकश की। इसके बाद आरजेडी नया प्रदेश अध्यक्ष तलाश रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर जगदानंद सिंह इस्तीफा दे देते हैं, तो नया आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? चर्चा है कि लालू यादव इस बार किसी दलित वर्ग के नेता को बिहार आरजेडी की कमान सौंपने के मूड में हैं। शिवचंद्र राम समेत अन्य कई नेताओं का नाम रेस में चल रहा है। बिहार में दलित अध्यक्ष बनाकर आगामी चुनावों में पासवान की लोजपा और बीजेपी का वोट झटकने पर आरजेडी की नजर है।

आरजेडी में जगदानंद की जगह नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू हो चुकी है। लालू यादव के सिंगापुर लौटने के बाद नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम फाइनल हो सकता है। हालांकि पहले जगदानंद सिंह को मनाया जाएगा। अगर वे नहीं माने तो फिर उनका इस्तीफा स्वीकार कर दिया जाएगा। सियासरी गलियारों में चर्चा है कि लालू प्रसाद यादव सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए इस बार किसी दलित को प्रदेश पार्टी की कमान सौंपना चाहते हैं। ऐसे में कई नामों पर चर्चा की जा रही है, जिसमें शिवचंद्र राम का नाम सबसे आगे है।

पिछले दिनों लालू प्रसाद यादव के सिंगापुर जाने से पहले शिवचंद्र राम ने दिल्ली में उनसे मुलाकात की थी। शिवचंद्र की लालू से मीसा भारती के आवास पर बहुत देर तक बातचीत हुई। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवचंद्र को आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है और लालू सिंगापुर से लौटकर इसपर मुहर लगाएंगे। शिवचंद्र के अलावा पार्टी में अन्य कई दलित चेहरे हैं, जो प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। इनमें उदय नारायण चौधरी का नाम भी शामिल है। 

 

आरजेडी की दलित वोटबैंक पर नजर

बिहार में विधायकों की संख्या के हिसाब से आरजेडी अभी सबसे बड़ी पार्टी है। महागठबंधन सरकार में भी आरजेडी का दबदबा है, नीतीश कैबिनेट में आरजेडी के सबसे ज्यादा मंत्री हैं। लालू के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप मंत्रिमंडल में शामिल हैं। मौजूदा राजनीतिक समीकरण के हिसाब से बिहार में अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव महागठबंधन में शामिल पार्टियां मिलकर लड़ेंगी। मुस्लिम और यादव आरजेडी का कोर वोटर है। अब पार्टी की दलित वोट बैंक पर नजर है। 

पासवान और बीजेपी का वोट झटक पाएगी आरजेडी?

एक अनुमान के मुताबिक बिहार में करीब 16 फीसदी मतदाता दलित है। किसी भी पार्टी को जीत के लिए ये आंकड़ा मायने रखता है। जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) जो अभी महागठबंधन के साथ ही है, इसके कोर वोटर्स महादलित हैं। आरजेडी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि पासवान और अन्य दलित जातियों के वोटर्स पर उसकी पकड़ नहीं है। 

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पासवान लोजपा के कोर वोटर्स हैं। रामविलास पासवान के जाने के बाद लोकजनशक्ति पार्टी के दो गुट हो गए, जिसमें से पशुपति पारस का गुट बीजेपी के साथ है। वहीं, चिराग पासवान के भी आगामी आम चुनाव से पहले बीजेपी के साथ जाने की अटकलें हैं। क्योंकि चिराग लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। नीतीश खुद नहीं चाहते कि चिराग महागठबंधन में शामिल हों। चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) पार्टी अपने दम पर अकेले चुनाव लड़कर कुछ खास कमाल नहीं कर सकती है। ऐसे में उसके पास एनडीए में दोबारा जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

दलित प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पासवान की काट बनाएंगे लालू?

लालू यादव की नजर पासवान से हटकर अन्य दलित वोटर्स पर हैं, जो अभी बीजेपी के साथ हैं। अगर आरजेडी से कोई दलित प्रदेश अध्यक्ष बनता है तो समाज के इस वर्ग में बड़ा संदेश जाएगा। आगामी चुनाव में दलित और महादलित मतदाता बीजेपी से खिसककर महागठबंधन के पाले में आ सकता है। हालांकि, अभी तय नहीं हुआ है कि जगदानंद सिंह का इस्तीफा स्वीकार होगा। आरजेडी में किसी दलित को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी सिर्फ अंदरखाने चर्चा चल रही है। पार्टी नेताओं की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

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