क्या उद्धव इतने कमजोर थे कि मेरे बिना सरकार नहीं बचा सकते? संजय राउत के बहाने नाना पटोले का ठाकरे पर हमला
सामना संपादकीय में लिखा था कि नाना पटोले और बाला साहेब थोरात के बीच विवाद चल रहा है। जो कांग्रेस पार्टी के लिए ठीक नहीं है। बालासाहेब थोरात कांग्रेस के ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता हैं। ऐसे में उनका सम्मान किया जाना जरूरी है। बालासाहेब थोरात ने आरोप लगाया था कि उन्हें और उनके परिवार को बदनाम किया जा रहा है। इस काम के पीछे नाना पटोले हैं।
सामना संपादकीय में क्या?
शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया है कि अगर नाना पटोले तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान विधानसभा स्पीकर पद से इस्तीफा न दिया होता तो आज हालात कुछ अलग होते। शायद सरकार गिरने की नौबत भी न आती। नाना पटोले का एक अपरिपक्व और जल्दबाजी में लिया गया फैसला, ठाकरे सरकार के गिरने की एक अहम वजह बना है। संजय राउत के इस आरोप पर एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने भी अपना समर्थन जताया है।
कहां हुई थी गड़बड़
सामना संपादकीय में संजय राउत ने लिखा था कि अगर विधानसभा अध्यक्ष के पद पर नाना पटोले रहते तो महाविकास अघाड़ी सरकार आज भी सत्ता पर काबिज रहती। उन्होंने कहा कि राज्यपाल और विरोधी दल सरकार को गिराने की कोशिशों में जुटे हुए थे। इसके लिए उन्होंने साजिश भी रची थी। पटोले इस्तीफे के बाद विपक्षी दलों का काम और भी आसान हो गया था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पटोले के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने महाराष्ट्र में दोबारा कभी विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होने ही नहीं दिया। अगर पटोले स्पीकर पद पर बने रहते तो महाविकास सरकार कभी नहीं गिरती।