कैबिनेट मंत्री के बगावती तेवरों ने फिर सुलगाई अदावत की आग! गहलोत की समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे हेमाराम, पढ़ें सियासी चर्चा

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कैबिनेट मंत्री के बगावती तेवरों ने फिर सुलगाई अदावत की आग! गहलोत की समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे हेमाराम, पढ़ें सियासी चर्चा

कैबिनेट मंत्री के बगावती तेवरों ने फिर सुलगाई अदावत की आग! गहलोत की समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे हेमाराम, पढ़ें सियासी चर्चा


Rajasthan Politics: राजस्थान में पिछले 4 साल से कांग्रेस के भीतर चल रही सियासी खींचतान एक बार फिर चर्चा में हैं। पायलट गुट के नेता और गहलोत कैबिनेट में मंत्री हेमाराम चौधरी के बगावती तेवर राजनीतिक गलियारों में फिर से चर्चा में हैं। चौधरी ने हाल ही सीएम की समीक्षा बैठक का बहिष्कार किया है।

 

हाइलाइट्स

  • कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी के बगावती तेवर चर्चा में
  • सीएम अशोक गहलोत की समीक्षा बैठक का किया बहिष्कार
  • सचिन पायलट की जनसभा में उठाया था युवाओं को मौका देना का मुद्दा
  • बुजुर्गों को धक्का देकर युवाओं के आगे बढ़ने वाला बयान भी हुआ वायरल
जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने चार साल के कार्यकाल की समीक्षा के लिए 16 जनवरी की सुबह केबिनेट की बैठक बुलाई। इसके बाद 16 और 17 जनवरी को ओटीएस में दो दिवसीय समीक्षा बैठक बुलाई। इस बैठक में सभी विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों को बुलाकर चार साल में किए गए कार्यों की प्रगति रिपोर्ट ली। सचिन पायलट समर्थक मंत्री हेमाराम चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की समीक्षा बैठक का बहिष्कार कर दिया। मंत्री मंडल के तमाम मंत्रियों ने समीक्षा बैठक में अपने विभाग के कामकाज की प्रगति रिपोर्ट पेश की लेकिन हेमाराम चौधरी समीक्षा बैठक में जाने के बजाय सचिन पायलट के किसान सम्मेलन में व्यस्त रहे। इस दौरान चौधरी ने राजनीति में युवाओं को अधिक से अधिक अवसर देने की पैरवी करते हुए इशारों ही इशारों में गहलोत के नेतृत्व पर सवाल उठा दिए। समीक्षा बैठक के बहिष्कार और गहलोत की खिलाफत को देखते हुए सियासी गलियारों में इस बात की चर्चाएं तेज हो गई है कि क्या हेमाराम चौधरी ने फिर से बगावत के संकेत दे दिए हैं।

सरकार के बजाय सचिन पायलट को तवज्जो दे रहे चौधरी

वन मंत्री हेमाराम चौधरी सरकार और अशोक गहलोत के बजाय सचिन पायलट को तवज्जो देते हैं। भले ही गहलोत ने चौधरी को मंत्री मंडल में शामिल किया लेकिन चौधरी ने कभी गहलोत और सरकार को तवज्जो नहीं दी। वे सचिन पायलट के साथ वफादारी से जुड़े हुए हैं। अपने स्थानीय कार्यक्रमों और सभाओं में चौधरी हमेशा अशोक गहलोत के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं। बुधवार 18 जनवरी को हेमाराम चौधरी का जन्मदिन है। सचिन पायलट ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देने का ट्रीट किया तो रिप्लाई में हेमाराम चौधरी ने लिखा कि आप जैसे संघर्षशील राजननेता का राजस्थान प्रदेश की राजनीति और कांग्रेस पार्टी में योगदान अतुलनीय है। यानी चौधरी ने पायलट के जितना योगदान किसी और नेता का नहीं माना है।
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नई जाजम बिछाकर बड़ा एक्शन लेने की तैयारी में पायलट

पार्टी में अपने समर्थक विधायकों के स्तर पर सचिन पायलट ने कई बार सत्ता की चाबी लेने की कोशिश की लेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। अब किसान सम्मेलन के नाम पर लगातार अलग अलग जिलों का दौरा कर रहे सचिन पायलट जनता के बीच जाकर अपना वर्चस्व और मजबूत करने में जुटे हैं। हालांकि उन्हें अभी भी पार्टी आलाकमान पर भरोसा है और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अगर पार्टी लेवल पर ऐसा नहीं होता है तो वे जनता के बीच जाकर अपने संघर्ष की बदौलत यह संदेश देना चाहते हैं कि उनका विजन क्या है। पायलट की लोकप्रियता प्रदेश के हर जिले में बहुत ज्यादा है। वे हर वर्ग की समस्याएं समय समय पर उठाते हैं और जनता के कामकाज नहीं होने पर अपनी ही सरकार को कटगरे में खड़ा करने से नहीं चूकते। आगामी दिनों में विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है। इस बजट सत्र में भी सचिन पायलट समर्थक विधायक सरकार को निशाने पर लेने से नहीं चुकेंगे।
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गहलोत समर्थक कई नेता आ चुके पायलट खेमे में

जुलाई 2020 में जो विधायक अशोक गहलोत के समर्थन में डटे थे, उनमें से कई विधायक पायलट खेमे में आ चुके हैं। कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह गुढा, वाजिब अली सहित कई नेता खुलकर सचिन पायलट की पैरवी करने लगे हैं। मंत्री राजेन्द्र गुढा तो अशोक गहलोत के साथ कांग्रेस आलाकमान को भी निशाने पर ले चुके हैं। साथ ही खुले मंच पर बयान दे चुके हैं कि अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो कांग्रेस के उतने ही विधायक जीत पाएंगे जितने एक फॉर्चूनर गाड़ी बैठ सके। इससे पहले गहलोत गुट के कई विधायक और मंत्री सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं। अब बजट सत्र से ठीक पहले पायलट किसान सम्मेलनों का आयोजन कर रहे हैं जहां अपार जनसैलाब उमड़ रहा है। पायलट का शक्ति प्रदर्शन देख राजनैतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई कि क्या कांग्रेस में जल्द ही बगावत का बवंडर उठने वाला है।
रिपोर्ट- रामस्वरूप लामरोड़

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